शिमला में महंगी ‘उड़ान’ पर हिमाचल कांग्रेस ने पीएम मोदी पर ली चुटकी

शिमला।। महीना भर पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिमला आकर ‘उड़ान’ योजना की शुरुआत की थी। भाषण देते वक्त उन्होंने कहा था कि मेरा सपना है कि हवाई चप्पल पहनने वाला व्यक्ति भी हवाई यात्रा कर सके, इसीलिए यह स्कीम लॉन्च हुई है। मगर हकीकत यह रही कि कुछ ही दिनों के अंदर इस योजना की पोल खुल गई। न सिर्फ टिकट बहुत महंगे मिलने लगे बल्कि कंपनी पर मौसम साफ न होने के बावजूद फ्लाइट कैंसल करने का आरोप लगा। इलेक्शन मोड में आ चुकी हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस ने इसी मामले पर प्रधानमंत्री मोदी सरकार पर व्यंग्य किया है। कार्टून पर डब करके एक छोटा सी वीडियो बनाया गया है जिसमें दिखाया गया है कि कैसे लोग पीएम की घोषणाओं पर खुश होते हैं मगर बाद में पोल खुलती है तो वे ठगा हुआ महसूस करते हैं।

वीडियो खत्म होने पर नारा दिखता है- ‘मोदी सरकार सूटबूट की सरकार- झूठमूठ की सरकार, वीरभद्र सरकार भरोसे की सरकार- सूझबूझ की सरकार।’ इस वीडियो को हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया है और विक्रमादित्य समेत कांग्रेस के अन्य पेजों पर इसे शेयर किया गया है। शेयर करते वक्त मुख्यमंत्री ने लिखा है- इस हवाई चप्पल ( HAWAI CHAPPAL) का जवाब मोदी जी को देना होगा!!! देखें, शिमला कांग्रेस नाम के पेज से शेयर वीडियो:

मुख्यमंत्री के ट्विटर हैंडल से हुआ ट्वीट:

निफ्ट कांगड़ा के छात्र ने वेबसाइट हैक करके बदल दिए मार्कशीट के नंबर

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, कांगड़ा।। निफ्ट कांगड़ा के एक छात्र ने ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि हर कोई हैरान है। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नॉलजी में पढ़ने वाले बिहार के एक छात्र ने वेबसाइट को हैक करके मार्कशीट के साथ छेड़छाड़ की और नंबर बढ़ा डाले। जब इसकी जानकारी मिली तो  NIFT के डायरेक्टर ने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने आरोपी छात्र अलोक कुमार निवासी मुज्जफरपुर( बिहार) को गिरफ्तार कर लिया है।

निफ्ट के छात्र ने इतने प्रतिष्ठित संस्थान की आधिकारिक वेबसाइट को कैसे हैक कर लिया, इस बात का खुलासा जांच के बाद ही हो पाएगा। बताया जा रहा है कि आरोपी छात्र ने न सिर्फ अपनी बल्कि 50 के करीब छात्रों की मार्कशीट से छेड़छाड़ करके नंबर बदल दिए। पुलिस ने मामले में आईपीसी की धारा 419, 420, 465, 467,468,120बी और आईटी एक्ट 65, 66सी व 66 डी के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

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डीएसपी कांगड़ा सुरेंद्र शर्मा ने मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि आरोपी छात्र को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। उन्होंने बताया कि आरोपी छात्र से पूछताछ के बाद ही यह बात साफ़ हो पाएगी कि हैकिंग को कहा से बैठकर अंजाम दिया गया। दरअसल छात्रों के पास पहुंची मार्कशीट और वेबसाइट में अलग-अलग नंबर होने की शिकायतें संस्थान के पास पहुंच रही थीं। इसी शक के आधार पर संस्थान ने अपने स्तर पर मामले की तफ्तीश शुरू की तब पता चला कि ऐसे छेड़छाड़ हुई है।

विवादित बाबा शिमला रेफर किए जाने के बावजूद रीजनल हॉस्पिटल में ले रहा वीआईपी ट्रीटमेंट

सोलन।। जमीन पर अवैध कब्जे और महिला पर तेजधार हथियार से हमला करने के आरोपी रूड़ा गांव के श्री रामलोक मंदिर का संचालक और विवादित बाबा अमरदेव क्षेत्रीय अस्पताल में  डटा हुआ है। इस बाबा का शिमला रेफर कर दिया गया है मगर वह यह पिछले 3 दिन से वीआईपी विशेष कक्ष नंबर 1 में रह रहा है और वीआईपी सेवाएं ले रहा है।

हिंदी अखबार पंजाब केसरी की खबर के मुताबिक बाबा अमरदेव इस समय 24 जून तक न्यायिक हिरासत में चल रहा है। उसे 8 जून को क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में भर्ती करवाया गया था। बाबा ने जोड़ों में दर्द, बाईं ओर सुन्नपन और बार-बार उल्टियां आने की शिकायत की थी। बाबा की शिकायत के बाद अस्पताल प्रशासन ने 3 चिकित्सकों की टीम उसकी गठित की थी। इस टीम में सर्जन डॉक्टर राजकुमार, ऑर्थो विशेषज्ञ डॉक्टर जय शर्मा और डॉक्टर राजन उप्पल शामिल थे।

रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सकों की टीम ने बाबा को 14 जून को आई.जी.एम.सी. शिमला रेफर किया था मगर वह शुक्रवार को भी यहीं पर था। अस्पताल प्रशासन ने बाबा को शिमला रेफर करने की सूचना जेल प्रशासन के अधिकारियों को दी है, मगर बावजूद इसके वह यहां 3 दिन से डटा हुआ है। गौरतलब है कि सीआईडी ने इस विवादित बाबा के यहां से तेंदुए की खालें भी बरामद की हैं।

बाबा की राजनीतिक पहुंच भी बताई जाती है और सत्ता व विपक्ष के कई नेता इसके दरबार में हाजिरी लगाते रहे हैं। मौजूदा सरकार के मंत्री भी बाबा के पास आते रहते थे। विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि मुख्यमंत्री वीरभद्र ने आईजीएमसी जाकर इस बाबा से मुलाकात की थी और उसके 48 घंटों के अंदर कंडाघाट के 18 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया था।

वनरक्षक होशियार सिंह की मौत के मामले में अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंची पुलिस

मंडी।। 9 जून को करसोग के जंगल में मृत पाए गए वनरक्षक होशियार सिंह के मामले में अब तक पुलिस को पता नहीं चल पाया है कि मौत कैसे हुई। परिजन इस मामले में हत्या का आरोप लगा रहे हैं वहीं कथित सुसाइड नोट के आधार पर पुलिस इस मामले में हर ऐंगल से जांच कर रही है।

डीआईजी आसिफ जलाल ने इस मामले में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पुलिस इस मामले में हत्या और आत्महत्या दोनों ऐंगल से जांच कर रही है। उन्होंने कहा कि शुरुआती जांच से संकेत मिले  थे कि होशियार सिंह की मौत जहर से हुई है। उन्होंने कहा कि फरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है और उसी से पता चलेगा कि मौत की असली वजह क्या थी।

डीआईजी ने कहा कि मोबाइल डेटा को भी एनालाइज किया जा रहा है र साथ में CDR (कॉल डीटेल रिकॉर्ड्स) की भी जांच की जा रही है। डीआईजी ने कहा कि कि एएसपी कुलभूषण वर्मा के नेतृत्व में एसआईटी की जांच की की वह खुद निगरानी कर रहे थे।

प्रिंसिपल चीफ सेक्रेटरी ऑफ फॉरेस्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग एच.एस. डोगरा का कहना है कि इलाके में अवैध तरीके से पेड़ का जाने की विस्तृत रिपोर्ट दो दिन में तैयार हो जाएगी। इस बीच मृतक के परिजनों और स्थानीय लोगों ने सिराज घाटी में प्रदर्शन किया और मामले की सीबीआई जांच की मांग की।

अनुपम खेर को शिमला रूरल से उम्मीदवार बना सकती है बीजेपी

शिमला।। एक तरफ जहां चर्चा थी कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे और यूथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष विक्रमादित्य शिमला रूरल से चुनाव लड़ सकते हैं, वहीं अब चर्चा है कि अगर ऐसा हुआ तो बीजेपी उनके खिलाफ अनुपम खेर को उतारेगी। गौरतलब है कि अनुपम खेर मोदी सरकार के पक्ष में स्टैंड लेते रहे हैं और उनकी पत्नी किरन खेर चंडीगढ़ से बीजेपी की सांसद भी हैं। (आर्टिकल के साथ इस्तेमाल तस्वीर पहले की है)

विक्रमादित्य अपने पिता की मौजूदा सीट शिमला रूरल में खासे ऐक्टिव हैं और इस संबंध में उनके कुछ वीडियो भी आ चुके हैं। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि वीरभद्र अगला विधानसभा चुनाव कहीं और से लड़ सकते हैं और उनकी मौजूदा सीट से विक्रमादित्य इलेक्शन लड़ेंगे। इसी क्रम में अब एक और अटकल सामने आ गई है कि शिमला से संबंध रखने वाले अनुपम को बीजेपी अपना उम्मीदवार बना सकती है। दरअसल अनुपम का परिवार पहले नाभा में रहता था और लक्कड़ बाजार स्कूल से उन्होंने पढ़ाई की। फिर कॉलेज स्तर की पढ़ाई भी उन्होंने यहीं की और फिर मुंबई चले गए।

इसके अलावा अनुपम खेर ने टुटू में मकान भी खरीदा है। अनुपम के पिता प्रदेश के वन विभाग में कार्यरत थे। वह लंबे समय तक शिमला के फिंगास्क एस्टेट में किराए के मकान में रहे हैं। अनुपम के माता-पिता की ख्वाहिश थी कि शिमला में घर हो। इसीलिए अनुपम पहले शोघी में मकान बनाना चाहते थे मगर अब टुटू में उन्होंने मकान खरीदा है। खैर, सोशल मीडिया में अनुपम खेर के नाम की चर्चा चल रही है और अब कुछ अखबारों ने इन चर्चाओं को अपने पन्नों पर जगह दी है। फिलहाल तो ये अटकलें ही हैं, आने वाले वक्त में ही साफ हो पाएगा कि शिमला रूरल को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की रणनीति क्या है।

दिल खुश कर देगा मस्ती में नाचते-गाते पहाड़ी बुजुर्ग का वीडियो

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एक बुजुर्ग का वीडियो इन दिनों लोगों को गुदगुदा रहा है। यह पहाड़ी बुजुर्ग मस्ती में न सिर्फ गा रहे हैं बल्कि नाच रहे हैं। ऐसा करते वक्त उनके चेहरे पर जो मुस्कान है, चेहरे पर जो उत्साह है, एकदम बच्चों जैसा है। वैसे भी उम्र सिर्फ आंकड़ों का खेल है। विभिन्न पेज और ग्रुप्स इस वीडियो को शेयर कर चुके हैं। यह पता नहीं चल पाया है कि वह कौन हैं, कहां से हैं। बहरहाल, आप भी देखें और पसंद आए तो शेयर भी करें 🙂

वीडियो देखने में कोई दिक्कत हो तो यहां क्लिक करें

तारादेवी में सैकड़ों पेड़ कटने को वनमंत्री ने बताया झाड़ियां कटने का मामला

शिमला।। साल 2014 में शिमला के तारादेवी में सैकड़ों पेड़ों के अवैध कटान का मामला चर्चा में आया था। पेड़ कटान के इस मामले में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भूमि मालिक को 20 लाख रुपये बतौर हर्जाना राशि जमा कराने का आदेश दिया था। मगर अब वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी का कहना है कि तारादेवी में पेड़ नहीं, झाड़ियां कटी थीं।

क्या यह झाड़ियों के ठूंठ हैं? (Courtesy: tribuneindia.com)

शिमला में वनमंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने कहा कि पुलिस को क्या पता, मंत्री को पता है कि तारादेवी में अवैध कटान हुआ है या नहीं। दैनिक जागरण, दिव्य हिमाचल और अन्य अखबारों में छपी रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘तारादेवी में पेड़ नहीं केवल झाड़ियां काटी गईं और वहां अवैध कटान नहीं हुआ। वन मंत्री ने शिमला में पत्रकारों से कहा कि तारादेवी में निजी जमीन पर झाड़ियां काटी गई थीं जिसकी अनुमति नहीं ली गई थी।’ इस मामले में जा पुलिस ने जो मामला दर्ज किया था उसमें छोटे बड़े 250 पेड़ काटे जाने का जिक्र था। (नीचे देखें Himachal Watcher द्वारा पब्लिश किया गया वह वीडियो जिसमें तारादेवी में काटे गए पेड़ों के ठूंठ नजर आते हैं।)

गौरतलब है कि जनवरी 2015 में NGT के चेयरपर्सन स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली बेंच ने पर्यावरण को 477 पेड़ों के कटान से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 4700 पेड़ उसी भूमि पर लगाने का आदेश दिया था। उस दौरान सरकार ने ट्रिब्यूनल को बताया था कि 87 घन मीटर के करीब काटी गई लकड़ी बरामद की जा चुकी है। ट्रिब्यूनल को सरकार ने खुद बताया था कि 426 पेड़ों को पुन: जिंदा किया जा सकता है जबकि अन्य पेड़ों की जगह नए पेड़ लगाए जाएंगे।

तारादेवी में कटे पेड़ों की तस्वीरें Himachal Watcher के आर्टिकल पर जाकर देखने के लिए यहां क्लिक करें

खुद मर गई मगर मरने से पहले मालकिन की जान बचा गई भैंस

कांगड़ा।। कांगड़ा में संयोग से एक महिला की जान भैंस की वजह से बच गई, मगर अफसोस! भैंस खुद न बच सकी। दरअसल चामुंडा देवी के मंदिर के साथ लगते गांव में मंगलवार को आंधी के कारण बिजली का खंबा टूटने से तार नीचे गए गए थे। इसका पता किसी को नहीं था। करंट गीली जमीन पर भी आ गया था।

भैंस खंबों को मजबूती देने के लिए लगाई गई स्टे वायर के साथ खुद को रगड़कर खुजाने लगी। इस वायर में भी करंट था और वह उससे चिपक गई। हाई वोल्टेज करंट की चपेट में आई भैंस तड़पने लगी। भैंस की मालकिन ने यह देखा तो बिना सोचे वह भैंस की तरफ जाने लगी। मगर वह भी करंट की वजह से भैंस के साथ चिपक गईं।

इन हालात में बचने की उम्मीद न के बराबर थी मगर तड़प रही भैंस के शरीर में हलचल हुई और उसकी जोरदार लात महिला को लगी। लात पड़ते ही जगंदवा देवी नाम की महिला छिटककर दूर खेत में जा गिरीं। उनकी जान तो बच गई मगर भैंस वहीं मर गई।

जलवाहक पर लगा स्कूल में मानसिक रूप से कमजोर बच्चे के साथ दुष्कर्म का आरोप

भवारना।। भवारना में एक हाई स्कूल में तैनात जलवाहक पर स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे के साथ कुकर्म करने का मामला सामने आया है। जलवाहक के खइलाफ 377 और POCSO ऐक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। बताया जा रहा है कि बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है।

बताया जा रहा है कि सोमवार को छुट्टी होने के बाद जब बच्चे घर रहे थे तो आरोपी ने पीड़ित छात्र को स्कूल की तरफ बुलाया। आरोप है कि बच्चे के साथ स्कूल मे ही इस हरकत को अंजाम दिया गया है। बच्चे ने घर जाकर परिजनों को बात बताई तो मंगलवार सुबह पुलिस स्टेशन भवारना में मामले की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई।

पुलिस ने मामला दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है। डीएसवपी विकास धीमान का कहना है कि मामले के आरोपी की गिरफ्तारी कर ली गई है और जांच जारी है।

होशियार सिंह केस: पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हैं ये 6 पॉइंट

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इन हिमाचल डेस्क।। वनरक्षक होशियार सिंह की संदिग्ध हालात में मौत का मामला उलझता जा रहा है। भले ही पुलिस ने शुरू में इसे हत्या का मामला बताया था मगर बाद में इसे आत्महत्या में तब्दील कर दिया। ऐसा करने के पीछे पुलिस ने होशियार के कुछ नोट्स, एक चिट्टी, जहर की शीशियों और उल्टी मिलने का हवाला दिया। मगर आप यह जानकर हैरान होंगे कि इनमें से किसी भी चीज की पुष्टि नहीं हुई है और न ही पुलिस यह बता पा रही है कि अगर उसने खुदकुशी की थी तो वह पेड़ पर कैसे जा चढ़ा, उल्टा कैसे लटका था, उसकी शर्ट किसने उतार दी थी और कलाइयों पर खरोंच कैसे आई थी। इन सवालों को लेकर एसपी मंडी प्रेम चंद ठाकुर का जवाब था- पुलिस अभी वेरिफाई कर रही है, अभी एफएसएल की रिपोर्ट आएगी, पुलिस जांच कर रही है, एफएसएल की रिपोर्ट आएगी, पुलिस जांच कर रही है, आरोपियों से पूछताछ हो रही है। अब जांच अधिकारी बदल दिए गए हैं, एसआईटी बनाई गई है और एएसपी को जिम्मेदारी सौंपी गई है। मगर अब तक की पुलिस की कार्रवाई पर आम जनता ही नहीं, तमाम अखबार और मीडिया सवाल उठा चुके हैं।

सवाल उठता है कि अगर पुलिस इन बातों को लेकिए आश्वस्त ही नहीं है, तो उसे हत्या के मामले को आत्महत्या में बदलने की जल्दबाजी क्यों थी? साफ है, इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई पर अगर जनता शक कर रही है तो इसके लिए कोई और नहीं, खुद पुलिस जिम्मेदार है। आइए जानते हैं कि कौन से बिंदु पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हैं-

1. पुलिस के पास इस सवाल का जवाब नहीं है कि होशियार की लाश पेड़ पर उल्टी कैसे टंगी मिली। यहां तक कि हिंदी अखबार अमर उजाला ने इस संबंध में मंडी के एसपी से बात की तो उनका कहना था- पुलिस अभी वेरिफाई कर रही है कि वह पेड़ पर कैसे चढ़ा। जब एफएसएल की रिपोर्ट आएगी, तभी स्थिति साफ होगी।

2. पुलिस होशियार की डायरी और पत्र का हवाला देकर इसे आत्महत्या बता रही है। मगर क्या इसमें लिखावट होशियार की ही है, डायरी के पन्नों पर तारीख पुरानी क्यों है, हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में बातें लिखने का मामला क्या है, इन सवालों का जवाब भी पुलिस के पास नहीं है। ऐसा भी तो हो सकता है कि लगातार होशियार को धमकियां मिल रही हों और उसे लगता हो कि कहीं कोई उसकी कभी जान न ले ले। इसी तनाव में उसने यह सोचकर डायरी में बातें लिख दी हों ताकि उसे कुछ हो जाए तो कम से कम पुलिस को जांच के लिए ऐंगल तो मिले कि उसे किन लोगो से खतरा था। यानी पुलिस तकनीकी पहलुओं पर आश्वस्त हुए बिना ही इन तथाकथित सबूतों के आधार पर मामला आत्महत्या में बदल दिया।

3. हैरानी की बात है कि पुलिस को जहर की शीशियां या ये लेटर और नोट पहले ही दिन क्यों नहीं मिल गए? वैसे भी डायरी तो बैग में मिली थी और बैग उसी दिन मिल गया था जिस दिन शव मिला था। फिर लेटर और डायरे के नोट्स या फिर जहर की शीशियां मिलने में वक्त कैसे लग गया। इससे तो यही साबित होता है कि पुलिस ने मौका-ए-वारदात की ढंग से पड़ताल नहीं की थी।

4. जब अमर उजाला ने एसपी मंडी से पूछा कि मान लीजिए वह जहर खाकर पेड़ पर चढ़ा था तो वह गिरा क्यों नहीं और इसकी कमीज कैसे उतरी थी। जवाब मिला कि अभ उशकी शर्ट किसी और ने उतारी है या खुद उतारी है, इसका पहलू पर पुलिस जांच कर रही है। जब कलाई में आई खरोंचों और कोहने से हाथ तक बाजू सूजने के सवाल किए गए तो उन्होंने कहा- कलाइयों में कोई कट नहीं है। खरोंचें किस चीज की हैं और कोहनी से लेकर बाजू कैसे सूजी है, एफएसएल की रिपोर्ट में सामने आएगा।

अगर पुलिस को इन सवालों के जवाब ही नहीं मिले तो क्या सामान्य तौर पर आत्महत्या का मामला लग रहा है?

5. सबसे बड़ी बात यह है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबित लापता होने के दो दिन बात होशियार की मौत हुई थी। दो दिन तक वह कहां रहा। इसपर एसपी मंडी कहते हैं कि गायब होने वाली पांच तारीख को उसने एक टीचर के यहां ब्रेकफस्ट किया था। इसके बाद दो दिन वह कहां रहा, पुलिस इसकी भी जांच कर रही है।

तो क्या पुलिस के मन में शक पैदा नहीं होता कि कलाइयों में सूजन कहीं बांधे जाने की वजह से न हुई हो और दो दिन उसे कहीं बंधक बनाकर न रखा गया हो और किन्ही हत्याों ने मामले को आत्महत्या का रंग देने की कोशिश की हो?

6. अभी तक पुलिस को मोबाइल डेटा में क्या मिला है, इसपर भी एसपी मंडी का कहना है कि एफएसएल को मोबाइल सौंपा गया है, वहीं से पता चलेगा। यानी अभी रिपोर्ट आई नहीं है। एसपी का कहना है कि अपराधियों से पूछताछ चल रही है।

किसी भी अपराध के मामले में कई तरह के साक्ष्य होते हैं और जब तक साइंटिफिक तरीकों से सबूतों की वेरिफिकेशन नहीं होती, पुलिस की जांत परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर होती है। मगर अभी तक न लिखावट मैच हुई है, न यह साफ हुआ है कि वाकई उसने जहर खाया था, उसकी कलाइयों में सूजन पाई गई, खरोंचें पाई गईं, शव पेड़ पर लटका मिला, शर्ट उतरी हुई थी, मोबाइल डेटा की रिपोर्ट नहीं आई, लापता होने के बाद दो दिन कहां था, इसका जवाब नहीं मिला। बावजूद इसके पुलिस का तुरंत इस मामले को अनवेरिफाइड सबूतों के आधार पर जल्दी ही आत्महत्या के केस में बदलना कहीं न कहीं सवाल तो खड़े करता ही है। इस मामले में हिमाचल की मौजूदा सरकार ही नहीं, प्रदेश की पुलिस पर की भी साख दाव पर लगी है। प्रदेश के लोगों को यह लगता है कि उनका राज्य सबसे अच्छा राज्य है और यहां ईमानदारी है। अगर यहां पर पुलिस जैसी महत्वपूर्ण संस्था से ही भरोसा उठ जाएगा तो यह अच्छी बात नहीं होगी। ऐसे में मंडी पुलिस के कंधों के ऊपर इस वक्त पूरे प्रदेश की उम्मीदों और पूरे महकमे के ईमानदार कर्मचारियों की इज्जत की जिम्मेदारी है।