हिमाचल में जमीन से ‘दूध’ और ‘दही’ निकलने का रहस्य क्या है

मंडी।। मंडी जिले की चौहार घाटी की रोपा पद्धर पंचायत में जमीन से दूधिया पानी क्या निकलने लगा, लोगों ने इसे चमत्कार का नाम दे दिया। न सिर्फ चमत्कार का नाम दिया बल्कि धूप-अगरबत्ती जलाकर पूजा-अर्चना भी करने लग गए। पूजा-अर्चना करने वालों में न सिर्फ बड़े-बुजुर्ग बल्कि पढ़े लिखे युवा व बुद्धिजीवी वर्ग भी शामिल हैं। यही नहीं लोग यह भी कह रहे हैं कि जमीन से निकला दूध दही में परिवर्तित ही रह है।

इस लेख में इन हिमाचल आपको विस्तार से बताएगा कि जमीन से दूधिया पानी किसी चमत्कार की वजह से नहीं, बल्कि एक रासायनिक प्रक्रिया के तहत निकलता है। चौहार घाटी का यह इलाका पुराने समय से ही नमक और चूने के भंडार के लिए प्रसिद्ध है। गुम्मा से लेकर द्रंग तक नमक और चूने के भंडार है। गुम्मा का नमक प्रदेश व देश भर में प्रसिद्ध है। गुम्मा व द्रंग दोनों जगह नमक व चूने वाला पानी निकलता है।

किस वजह से दूधिया होता है रंग

जब भी चूने के पानी वायुमंडल में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड के सम्पर्क में आता है तो पानी का रंग दूधिया हो जाता है। यह एक रासायनिक प्रक्रिया है, कोई चमत्कार नहीं। साइंस में यह चीज़ अक्सर पढ़ाई जाती है। अगर चूने के पानी में से कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुजारी जाए तो पानी का रंग दूधिया हो जाता है।

कार्बन डाइऑक्साइड एक रंगहीन व गन्धहीन गैस है। धरती पर यह गैस प्राकृतिक रूप से पायी जाती है।वायुमण्डल में यह गैस लगभग 0.03 से 0.04 प्रतिशत पाई जाती है। यही नहीं यह गैस पृथ्वी पर जीवन के लिये अति आवश्यक है। सामान्य तापमान व दबाव पर यह गैसीय अवस्था में रहती है।

आइये साइंस की भाषा में इसे समझते हैं। चूने के दो प्रकार होते हैं। बुझा हुआ चूना और बिना बुझा हुआ चूना। साइंस में बिना बुझे हुए चूने को कैल्शियम ऑक्साइड और बुझे हुए चूने को कैल्शियम हाइड्रोक्साइड कहा जाता है। चूने का पानी भी कैल्शियम हाइड्रोक्साइड ही कहलाता है।

रासायनिक प्रक्रिया

जब चूने के पानी में से कार्बन डाइऑक्साइड गैस गुजारी जाती है तो रिएक्शन होता है। रिएक्शन में कार्बन चूने में मौजूद कैल्शियम की जगह ले लेता है। रिएक्शन के बाद कैल्शियम कार्बोनेट और पानी बनता है। कैल्शियम कार्बोनेट का रंग सफेद होता है और इस वजह से पानी दूधिया दिखाई देता है। इस कैल्शियम कार्बोनेट को क्रिस्टल या प्रेसिपिटेट कहा जाता है। लेकिन जब यह पानी बह रहा होता है तो कैल्शियम कार्बोनेट जमीन की सतह पर रह जाता है। ये वही प्रेसिपिटेट हैं जिन्हें चौहार घाटी में लोग दूध से दहीं बनना बता रहे हैं।

लेकिन हकीकत ये है कि न तो वो कोई दूध है और न ही कोई दूध से बनी दही। यह एक रासायनिक प्रक्रिया है। लेकिन साइंस का ज्ञान न होने के कारण लोग इसे चमत्कार का नाम दे रहे हैं। यह एक अव्यवहारिक बात है और कहीं न कहीं इससे अंधविश्वास को भी बढ़ावा मिल रहा है।

पाठ्यक्रम में हैं शामिल

यह प्रक्रिया स्कूली पाठ्यक्रम में भी शामिल है। सीबीएसई में यह दसवीं क्लास में पढ़ाया जाता है। इसके अलावा यह एक रसायन विज्ञान (केमिस्ट्री) का प्रश्न भी है, जो अक्सर यूपीएससी, एसएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है। साल 2011 में आयोजित एसएससी की परीक्षा में भी यह सवाल पूछा गया था।

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