स्पेशलिस्ट और सुपर-स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी से जूझ रहा टांडा मेडिकल कॉलेज

कांगड़ा।। प्रदेश में स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी को पूरा करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। पिछले एक साल में, 50 से अधिक स्पेशलिस्ट और सुपर-स्पेशलिस्ट नौकरी छोड़ चुके हैं या उच्च अध्ययन पर चले गए हैं।

इस समय प्रदेश के अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्पेशलिस्ट और सुपर-स्पेशलिस्ट के 100 से ज्यादा पद खाली हैं। इसमें राज्य की स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करने वाला कांगड़ा जिला का टांडा मेडिकल कॉलेज सबसे अधिक प्रभावित है।

टांडा मेडिकल कॉलेज से पिछले छह महीनों में छह डॉक्टर चले गए हैं, जिनमें से अधिकांश सुपर-स्पेशलिस्ट हैं। इनमें से अधिकांश डॉक्टर एम्स बिलासपुर में भर्ती हुए थे। कॉलेज छोड़ने वाले डॉक्टरों में रेडियोलॉजी विभाग के डॉ लोकेश राणा भी शामिल हैं, जो एमआरआई, ट्रस बायोप्सी, एमआर आर्थ्रोग्राम और अल्कोहल एब्लेशन के स्पेशलिस्ट हैं। ये टेक्नोलॉजी प्रोस्टेट और हड्डी के कैंसर का पता लगाने में सहायक हैं।

पहले ऐसे मरीजों को इलाज के लिए पीजीआई चंडीगढ़ और एम्स नई दिल्ली जाना पड़ता था। हालांकि, डॉ राणा ने टांडा मेडिकल कॉलेज में यह सुविधाएं दी थीं। लेकिन अब उन्होंने भी एम्स, बिलासपुर में प्रवेश ले लिया है।

इनके अन्य डॉक्टर जी टांडा मेडिकल कॉलेज छोड़कर एम्स, बिलासपुर में गए हैं, उनमें फिजियोलॉजिस्ट डॉ रूपाली, एंडोक्रिनोलॉजी में सुपर-स्पेशलिस्ट डॉ प्रियंदर सिंह ठाकुर, न्यूरो-फिजिशियन डॉ आशीष शर्मा और प्लास्टिक सर्जन डॉ नवनीत शामिल हैं। इनके अलावा प्रशासनिक अधिकारी डॉ विक्रांत कंवर भी एम्स में शामिल हो गए हैं। बाल रोग विशेषज्ञ और सुपर स्पेशलिस्ट डॉ स्मृति गुप्ता ने भी टांडा मेडिकल कॉलेज छोड़ दिया है।

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