18.1 C
Shimla
Friday, September 12, 2025
Home Blog Page 4

एचआरटीसी ने दिवाली से पहले मालभाड़े में की कटौती, ये हैं नई दरें

0

शिमला।। हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) ने दिवाली से पहले मालभाड़े में कटौती की है। हालांकि, इस संबंध में जारी अधिसूचना में सिर्फ एक क्लॉज़ में बदलाव कर दरें बदलने का जिक्र किया गया था, जिससे यह भ्रम फैल गया कि अब यात्रियों को अपने बैग, बैगेज या अन्य सामग्री पर भी शुल्क देना होगा।

इसके बाद एचआरटीसी की ओर से स्पष्टीकरण देकर बताया गया कि नई दरें सिर्फ अतिरिक्त कमर्शियल चीज़ों की ढुलाई के लिए है और यात्री पहले की तरह अपने साथ अधिकतम तीस किलो तक के व्यक्तिगत सामान या किसी भी आकार के बैग, बैगेज या बक्से निशुल्क ले जा सकते हैं।

जिन सामग्रियों को छूट मिली हुई है, उसके अतिरिक्त किसी बैग, बैगेज या बॉक्स  में ऑटोमोबाइल स्पेयर पार्ट, इलेक्ट्रॉनिक आइटम,  ड्राई फ्रूट, नए बर्तन, कॉस्मेटिक आइटम, होजरी आइटम, मेडिसन या मेडिकल उपकरण ले जाने की दरें बदली गई हैं। यात्रियों के साथ या बिना यात्री के इन चीज़ों को भेजने की नई दरें पहले की दरों के मुकाबले कम हैं और इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी कर जानकारी दी गई है।

इस संबंध में आप नीचे एचआरटीसी की ओर से जारी स्पष्टीकरण देख सकते हैं।

संजीव शर्मा: कर्मचारी राजनीति में ‘व्यवस्था परिवर्तन’ करता कर्मचारी नेता

देवेंद्र।। सचिवालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने कर्मचारियों की मांगें को लेकर सरकार पर हल्ला बोल कर सरकार की इस गलतफहमी को दूर कर दिया कि प्रदेश के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर मुखर नहीं होंगे। शायद लंबे अर्से बाद कोई ऐसा कर्मचारी नेता सामने आया जिसने प्रदेश के कर्मचारियों की दबी पीड़ा को जुबान दी। पिछले कई वर्षों से कर्मचारी व शिक्षकों के कई संगठन बने हुए हैं लेकिन सभी जानते हैं ये कर्मचारी नेता जिन शिक्षकों व कर्मचारियों के बलबूते संगठनों की बागडोर संभालते हैं अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए उनके हितों की बलि दे देते हैं। कोई इनसे समस्या उठाता है तो समाधान करने की बजाए उल्टा उन्हें हडका डरा कर चुप करा देते हैं। पिछले कुछेक समय में तो इतनी गंदी राजनीति हो गयी है कि यदि कोई सोशल मीडिया पर अपनी मांगों के बारे में लिख दे या आलोचना कर दे तो ये तरह-तरह के हथकंडे अपना कर उनपर दबाव बनाते हैं।

शिक्षक नेताओं का तो कहना ही क्या खुद निदेशालय, उप-निदेशक कार्यालय, या यहां-वहां डेपुटेशन लेकर खुद सत्ता का सुख भोगते हैं जबकि प्रदेश में सैंकड़ों शैक्षणिक संस्थानों में शिक्षकों के हजारों पद खाली हैं। लेकिन मजाल है ये शिक्षक नेता शिक्षकों की समस्याओं के बारे में आवाज़ उठाएं। सरकार ने आते ही ट्रांसफर के नाम पर clubbing नामक जिन्न से चुन-चुन कर शिक्षकों की ट्रांसफरे की, अच्छा होता सबकी की होती परंतु चहेतों की दो-तीन किलोमीटर के भीतर म्यूचुअल ट्रांसफर की और कईयों पर राजनीतिक टैग लगाकर उन्हें उठा दिया जबकि भूल गए इस सरकार को लाने में कर्मचारियों व शिक्षकों का कितना बड़ा हाथ था फिर भी शिक्षकों को clubbing के नाम पर निशाना बनाया गया। अच्छा होता सरकार सभी के लिए बदला नीति की बजाए तबादला नीति बनाती फिर कोई भी होता उसके साथ भेदभाव नहीं होना था।

बेरोजगार पिछले दो वर्षों से सरकार से नौकरियों की आस में टकटकी लगाए बैठे हैं। लेकिन उनके पास संजीव शर्मा जैसा कोई नुमाइंदा नहीं फिर भी जिस तरह संजीव शर्मा ने सरकार की कार्यप्रणाली की परत दर परत पोल खोली उससे उन्हें भी लगा कि कोई तो है बेरोजगारी का दर्द समझने वाला।
यह आक्रोश केवल सचिवालय कर्मचारियों का नहीं यह आक्रोश वह है जो हर कर्मचारी में कहीं न कहीं एक लावे के रूप में धधक रहा था पर डर के मारे ज्वालामुखी नहीं बन पा रहा था।
सचिवालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष संजीव शर्मा ने जिस बेबाकी और निडरता से इस आक्रोश को भांपा और कर्मचारियों के लिए न्याय की आवाज़ उठायी उसके लिए प्रदेश का हर कर्मचारी अंतर्मन से उनका अहसानमंद हो गया। उनकी कही बातें उनकी कोई निजी खुन्नस नहीं थी यह तो कर्मचारियों की आवाज़ व पीड़ा थी जिसे उनके चेहरे के रूप में एक मंच मिला। सबसे बड़ी बात शायद प्रदेश के इतिहास में पहली बार किसी कर्मचारी ने सरकार की फिजूलखर्ची की पोल खोलकर रख दी जबकि यह काम विपक्ष का था जिसमें विपक्ष नाकामयाब रहा, विपक्ष ने शायद एक ही मन बनाया होगा कि सत्र के दौरान वाक आऊट करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेंगे। पहले 26 जनवरी फिर 15 अप्रैल और अब 15 अगस्त को मंहगाई भत्ते की घोषणा न होने से कर्मचारी इतने आक्रोशित हो जाएंगे सरकार ने सपने में भी नहीं सोचा होगा।

कर्मचारियों की मुख्य मांग है मंहगाई भत्ता व पे कमीशन का एरियर्स केंद्र सरकार के कर्मचारी लगभग 50% डीए ले रहे हैं इसी तरह प्रदेश में यह 38% है मतलब 12% की तीन किश्तें पेंडिंग हैं। जब सेवा नियमों में भत्ता मिलना जरूरी है तो सरकार मात्र यह कह कर अपना पल्ला नहीं छुडा सकती कि हमारे पास वित्तीय संसाधन नहीं। प्रश्न यह भी है कि केवल कर्मचारियों व बेरोजगारों के लिए ही वित्तीय संसाधन नहीं? रही सही कसर सरकार के काबीना मंत्री राजेश धर्माणी ने कर्मचारियों के विरुद्ध बयानबाजी करके पूरी कर दी वे भूल गए कि भाजपा शासन में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के एक ब्यान ने उन्हें सत्ता से बाहर करने का काम कर दिया था।

सरकार व्यवस्था परिवर्तन की बात करती आयी परंतु किसी ने सोचा तक नहीं था कर्मचारी राजनीति में संजीव शर्मा नामक कर्मचारी नेता इतनी बेबाकी व तथ्यों से अपनी बात रख कर्मचारी राजनीति में भी व्यवस्था परिवर्तन कर देगा।

(ये लेखक के निजी विचार हैं। उनसे Writerdevender@gmail.com पर ईमेल के माध्यम से संपर्क किया जा सकता है)

 

ब्यास में मिला कुल्लू से लापता 21 वर्षीय लड़की का शव, दो गिरफ्तार

कुल्लू।। मनाली में सात अगस्त से लापता 21 साल की एक लड़की का शव ब्यास नदी के किनारे मिला है। पर्सिलिया डेनियल नाम की यह लड़की खखनाल में रहती थी और दोस्तों से मिलने ओल्ड मनाली गई थी।

लड़के के पिता स्विट्ज़रलैंड से और मां कुल्लू से हैं। जब बेटी घर नहीं लौटी तो पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी।

अब क़रीब एक हफ्ते बाद युवती का थव 15 मील में मनाली-कुल्लू हाइवे के पास मिला है। पुलिस ने इस मामले में दो युवकों को गिरफ्ता किया है। इनमें से एक निशांत उर्फ नीलू (20 साल) कुल्लू का रहने वाला है और दूसरा अर्चित (26) पंडोह का रहने वाला है।

कुल्लू के एसपी कार्तिकेयन गोकुलचंद्रन ने बताया कि लड़की सात अगस्त को दोस्तों से मिलने निकली मगर लापता हो गई। ट्रिब्यून की खबर के अनुसार, एसपी ने बताया कि बाद में पता चला कि वो एक अभियुक्त के साथ एक होटल में रुकी थी।

शुरुआती जांच बताती है कि होटल के कमरे में लड़की बेहोश हो गई। इसके बाद अभियुक्त ने उसे मरा हुआ मानकर गााड़ी में बिठाया और नदी में फेंक दिया।

एसपी का कहना है कि कॉल रिकॉर्ड्स के आधार पर पुलिस ने संदिग्धों को गिरफ्तार किया है।

जरूरतमंदों की सुविधाएं छीनना ही सुक्खू सरकार का व्यवस्था परिवर्तन: जयराम ठाकुर

शिमला।। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस सरकार को प्रदेश के आम लोगों को दी गई उन सुविधाओं को छीनने का काम बंद करना चाहिए, जो सुविधाएं पिछली बीजेपी सरकार ने दी थीं।

बयान जारी कर जयराम ठाकुर ने कहा है कि कांग्रेस सरकार ने 2022 के विधानसभा चुनाव के समय दी गई गारंटियों को तो पूरा नहीं किया, मगर अब पिछली सरकार की दी गई सुविधाओं को छीन रही है।

उन्होंने कहा, “क्या व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर प्रदेश का रेवेन्यू बढ़ाने की बात करने के पीछे क्या मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू की यही योजना थी? क्या इस तरह से प्रदेश का राजस्व बढ़ेगा?”

ठाकुर ने कहा कि सहारा पेंशन योजना के तहत चलने फिरने में असमर्थ दिव्यांगों को दी जाने वाली पेंशन को रोकना और मरीजों से इलाज करवाने का अधिकार वापस लेना बेहद शर्मनाक है। क्या सरकार की जरूरतमंद लोगों के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं है? अगर सरकार को राजस्व ही बढ़ाना है तो उसे वित्तीय बोझ घटाकर शुरुआत करनी चाहिए।

नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा है कि सुखविंदर सिंह सुक्खू के कार्यकाल को किसी भी सरकार के सबसे खराब कार्यकाल के तौर पर याद रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने विकास कार्य भी नहीं किए। ठाकुर ने कांग्रेस सरकार की डेढ़ साल के कार्यकाल में 30 हजार करोड़ का कर्ज लेने के लिए भी आलोचना की।

2000 इलेक्ट्रिक बसें खरीद रही है HRTC, हटाई जाएंगी सभी डीज़ल बसें: सीएम सुक्खू

शिमला।। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने एलान किया है कि हिमाचल पथ परिवहन निगम (एचआरटीसी) के लिए और इलेक्ट्रिक बसें खरीदकर इसे ग्रीन ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम बनाया जाएगा।

सीएम ने एचआरटीसी की बैठक के बाद कहा कि इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए 327 करोड़ रुपये दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि 2000 अतिरिक्त टाइप टू ई-बसें खरीदने की प्रक्रिया जारी है।

अभी एचआरटीसी के पास 110 इलेक्ट्रिक बसें और 50 इलेक्ट्रिक टैक्सियां मौजूद हैं। सीएम ने कहा कि सारी डीजल बसों को चरणबद्ध तरीके से इलेक्ट्रिस बसों से बदल दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि एचआटीसी को मुनाफे में लाने के लिए भी ठोस योजना पर काम चल रहा है।

उपमुख्यमंत्री और परिवहन मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि एचआरटीसी हिमाचल की मुश्किलों भरी भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद भरोसेमंदर परिवहन सेवाएं दे रही है। उन्होंने कहा कि एचआरटीसी के कर्मचारी और पेंशनरों को अब समय पर वेतन और पेंशन मिलना शुरू हो गया है।

उन्होंने कहा कि अब यह महीने की पहली तारीख को दिया जा रहा है, जबकि बीजेपी सरकार के दौरान उन्हें आठ से दस दिन का इंतजार करना पड़ता था।

कंगना रणौत बोलीं- जांच हो, कहां गए पिछले साल केंद्र से आए 1800 करोड़

शिमला।। मंडी की सांसद कंगना रणौत ने प्रदेश सरकार पर बीते साल आपदा के लिए केंद्र से आई राहत सामग्री के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसकी जांच की मांग की है। उन्होंने दावा किया कि केंद्र सरकार ने हिमाचल को 1800 करोड़ रुपये दिए थे।

कंगना ने आरोप लगाया कि केंद्र से मिली राशि से प्रभावित परिवारों को सात लाख रुपये की राहत राशि देने में भी प्रदेश की सुक्खू सरकार विफल रही।

हालांकि, कांग्रेस सरकार ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कंगना रणौत पर आपदा के समय ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है।

शिमला के रामपुर में समेज गांव का दौरा करने के बाद कंगना ने कहा कि लोगों को केंद्र सरकार से हर संभव मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी इसके लिए स्पेशल पैकेज की घोषणा करेंगे, जैसा पिछले साल 1800 करोड़ रुपये का पैकेज दिया था।

मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार (मीडिया) नरेश चौहान ने कंगना के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए सवाल किया है कि वह सांसद हैं, ऐसे में केंद्र से वे कागजात लेकर आएं, जिनमें इतनी राशि बीते साल की आपदा के लिए केंद्र ने दी हो।

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी कंगना के बयान को संवेदनहीन बताते हुए कहा कि यह समय राजनीतिक छींटाकशी का नहीं, बल्कि मिलकर काम करने का है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार प्रभावित इलाक़ों और परिवारों में राहत कार्यो पूरी शिद्दत से चला रही है और लोगों को किसी तरह की कमी नहीं रहेगी।

सैलरी न मिलने पर भड़के कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के कर्मचारी

पालमपुर।। सीएसके हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय पामलपुर के नॉन टीचिग स्टाफ ने शुक्रवार को मुख्य गेट के पास धरना दिया। ये कर्मचारी वक्त पर वेतन न मिलने से नाराज थे। नॉन टीचिंग स्टाफ एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव शर्मा ने बताया कि पांच जुलाई तक उन्हें सैलरी नहीं है, ऐसे में कर्मचारियों को दिक्कत हो रही है।

धरना दे रहे कर्मचारियों ने वाइस चांसलर के प्रति गुस्सा जताया। इनका कहना था कि वेतन मिलने की तारीख के आधार पर ही लोन या अन्य किश्तें चुकानी होती हैं और अगर इसमें देरी हो जाए तो सारा गणित गड़बड़ाने से न सिर्फ मानसिक परेशानी होती है, बल्कि कई बार वित्तीय नुकसान भी उठाना पड़ता है।

कर्मचारियों की एसोसिएशन के अध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि मामला फाइनैंल कंट्रोलर की वजह से अटका है क्योंकि सरकार को ग्रांट इन एड की फाइल ही समय पर नहीं भेजी गई। इस वजह से यूनिवर्सिटी के सेवारत और सेवानिवृत कर्मचारियों को वेतन और पेंशन समय पर नहीं मिल पाई।

कर्मचामरियों का आरोप है कि कृषि मंत्री चंद्र कुमार का मानना है कि यूनिवर्सिटी को खुद से आमदनी पैदा करनी चाहिए, जबकि ऐसा संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रदेश सरकार स्कूलों और कॉलेजों के लिए फंड जारी करती है, उसी तरह उसके हायर एजुकेशन महकमे के तहत आने वाली यूनिवर्सिटीज़ को भी फंड दिया जाना चाहिए।

कर्मचारियों का कहना है कि उनके वेतन आदि के लिए फंड का प्रबंध करना सरकार का काम है। उनकी मांग है कि कर्मचारियों को एक तारीख को वेतन दिया जाए वरना वे प्रदर्शन करेंगे।

एचआरटीसी के 107 रूट प्राइवेट बसों को सौंपने की तैयारी

शिमला।। एचआरटीसी 107 रूटों का निजीकरण करने जा रही है। इन रूटों पर बस चलाने के लिए प्रदेश भर से 87 आवेदन आए हैं और अब लॉटरी के माध्यम से आवंटन किए जाने की योजना है।

दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, इनमें से कई रूट फायदे वाले भी हैं, लेकिेन एचआरटीसी उन्हें चलाने में खुद को सक्षम नहीं मान रही है। इसिलए उन्हें निजी बस ऑपरेटरों को सौंपने की तैयारी है। इस संबंध में एचआरटीसी ने परिवहन विभाग को प्रस्ताव सौंपा है।

इस समय निगम को हर महीने 65 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ रहा है। प्रदेश के 3700 रूटों पर करीब 3300 बसें चल रही हैं। हाल ही में प्रदेश सरकार ने नई वॉल्वो और अन्य बसें खरीदने को मंजूरी भी दी है।

बैजनाथ के पूर्व विधायक की मां को सरकारी जमीन आवंटित करने में पाई गई खामियां

बैजनाथ।। प्रमुख सरकारी भूमि के आवंटन से संबंधित एक मामले में  उपायुक्त कांगड़ा ने चकोटा प्रणाली के तहत पूर्व विधायक मुलख राज प्रेमी की मां को जमीन आवंटित करने में खामियां पाई हैं। ये खामियां प्रक्रिया से जुड़ी हैं और दस्तावेज़ भी पर्याप्त नहीं पाए गए हैं।

उपायुक्त ने वीरेंद्र जमवाल नाम के याचिकाकर्ता की ओर से जनहित में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बातें पाईं।याचिकाकर्ता ने पूर्ववर्ती उप-विभागीय अधिकारी (एसडीओ) और तहसीलदार द्वारा जारी उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिनके तहत पूर्व विधायक की माता को को मूल्यवान सरकारी भूमि आवंटित की गई थी।

याचिकाकर्ता का तर्क था कि इस भूमि का उपयोग सरकार द्वारा सार्वजनिक कल्याण गतिविधियों या बुनियादी ढांचे के विकास के लिए किया जा सकता था। याचिकाकर्ता वीरेंदर जमवाल की ओर से पेश एडवोकेट प्रणव घाबरू ने बताया कि यह आवंटन बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए और अधूरे व अपर्याप्त दस्तावेजों के आधार पर किया गया था।

उपायुक्त ने मामले की समीक्षा के बाद याचिकाकर्ता के तर्क से सहमति जताई और प्रक्रियात्मक अनियमितताओं की पहचान की। अपने आदेश में, उपायुक्त ने मामले को पुनः निर्णय के लिए वापस भेजने का फैसला किया है। उन्होंने एसडीओ सिविल बैजनाथ को मामले को सही तरीके से संभालने और सभी प्रक्रियाओं का सावधानीपूर्वक पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। इस कदम का उद्देश्य प्रक्रियात्मक कमियों को ठीक करना और मुद्दे का निष्पक्ष और पारदर्शी समाधान सुनिश्चित करना है।

मिसाल बन सकता है यह मामला
उपायुक्त का यह निर्णय समान मामलों के लिए एक मिसाल बनने की उम्मीद है, जो कानूनी प्रक्रियाओं और संपूर्ण दस्तावेजों के महत्व को उजागर करता है, विशेष रूप से मूल्यवान सरकारी भूमि से संबंधित मामलों में। यह मामला अब जनता और अधिकारियों द्वारा बारीकी से देखा जाएगा, क्योंकि इसका क्षेत्र में भूमि आवंटन प्रथाओं और सार्वजनिक कल्याण पहलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

जैसे ही मामला पुनः निर्णय के लिए एसडीओ सिविल बैजनाथ के पास वापस जाएगा, सभी की नजरें परिणाम और भविष्य में ऐसी प्रक्रियात्मक कमियों को रोकने के लिए उठाए गए कदमों पर होंगी।

पुणे में पोर्शे कार से दो लोगों को रौंदने वाले लड़के के पिता गिरफ्तार

पुणे।। महाराष्ट्र के पुणे में दो लोगों की जान लेने वाले घातक कार हादसे में शामिल रहे 17 साल के लड़के के पिता को पुणे पुलिस ने महाराष्ट्र के औरंगाबाद से गिरफ्तार कर लिया है। Pune Porsche accident के नाम से पूरे देश में इस हादसे की चर्चा है।

ये हादसा सोमवार सुबह पुणे के कल्याणी नगर इलाके में हुआ था। पॉर्शे कार को 17 साल का एक लड़का चला रहा था। पुलिस का कहना है कि ये कार एक मोटरसाइकल से टकराई और अनीस अवधिया और अश्वनी कोस्टा की मौके पर ही मौत हो गई।

अब इस मामले को पुणे पुलिस की क्राइम ब्रांच को सौंपा जा रहा है। पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार ने बताया कि नाबालिग लड़का 12वीं का रिजल्ट आने पर स्थानीय पब में जश्न मना रहा था, जहां उसे क्रैश से पहले शराब पीते हुए देखा गया था। महाराष्ट्र में शराब पीने की कानूनी उम्र 25 साल है। ऐसे में जिस पब ने उसे शराप परोसी, वो भी अवैध काम कर रहा था। ऐसे में उनके ऊपर भी मामला दर्ज होगा।

घटना के बाद लोगों में गुस्सा देखा गया। खासकर तब, जब जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 15 घंटों के अंदर ही लड़के को ज़मानत दे दी। बोर्ड ने काउंसलिंग, शराब मुक्ति और रोड सेफ्टी पर 300 शब्दों का निबंध लिखने जैसी हल्की व्यवस्थाएं दीं। हादसे में दो लोगों की जान जाने के बाद इतनी हल्की प्रतिक्रिया से लोगों में भारी गुस्सा था।

पुणे पुलिस ने सेशन कोर्ट में इस नाबालिग को वयस्क मानने की याचिका दायर करते हुए जमानत का विरोध किया है। इस बीच पुलिस ने लड़के के पिता को भी हिरासत में लिया है जो एक नामी बिल्डर हैं। उनके खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस ऐक्ट की धारा 75 और 77 के तहत मामला दर्ज किया गया है।