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Saturday, September 13, 2025
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सोचने पर मजबूर करती हैं रेप, शारीरिक शोषण और छेड़छाड़ की ये 3 घटनाएं

शिमला।।

अब तक अपराध के मामले में शांत समझे जाने वाले हिमाचल प्रदेश में घिनौने अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। महिलाओं के खिलाफ अपराध भी लगातार बढ़ रहे हैं। एक तरफ  कुल्लू में 13 साल की बच्ची से रेप के बाद उसे जलाने की कोशिश की गई तो दूसरी  तरफ सोलन में 12 साल की बच्ची के साथ जान-पहचान के शख्स ने पॉर्न विडियो दिखाकर यौन शोषण करने का मामला सामने आाया है। तीसरी घटना में एक शख्स ने रात को लड़की के घर में घुसकर उससे छेड़छाड़ की।

13 साल की बच्ची से रेप के बाद जलाने की कोशिश
कुल्लू जिले के शिरड़ इलाके में 13 साल की लड़की स्कूल से लौटने के बाद घर के पास शौच के लिए गई थी। अचानक वहां आरोपी ने लड़की को दबोच लिया और दरिंदगी का शिकार बना डाला। इसके बाद उसने हैवानियत की हद पार करते हुए लड़की पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। लड़की की चीख-पुकार से घबराकर आरोपी वहां से फरार हो गया। जैसे-तैसे लड़की ने आग बुझाई और घर पहुंची।

सांकेतिक तस्वीर

आग की वजह से बच्ची का शरीर जल गया। घर पहुंचने के बाद लड़की की मां उसे लेकर कुल्लू अस्पताल लेकर पहुंची। अस्पताल की सूचना पर एसपी सुरेंद्र वर्मा और डीएसपी कुल्लू संजय शर्मा मौके पर पहुंचे, मगर लड़की बयान देने की हालत में नहीं थी। ऐसे में पुलिस ने बुधवार सुबह बयान दर्ज किया। मामला दर्ज कर आरोपी की तलाश शुरू कर दी गई है।

12 साल की बच्ची का शीरीरिक शोषण
सोलन शहर में एक 12 साल की लड़की ने अपनी जान-पहचान के एक युवक पर पॉर्न दिखाकर शारीरिक शोषण करने का आरोप लगाया है। इस बात की सूचना पाकर मौके पर पहुंची चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने लड़की को अपने कब्जे में लिया और जांच पड़ताल में आरोपी के मोबाइल में पॉर्न क्लिप भी पाई। आरोपी युवक के खिलाफ मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।

आधी रात को घर में घुसकर छेड़छाड़
सोलन के अर्की के पास लड़ेच गांव में एक व्यक्ति द्वारा लड़की के कमरे में घुस कर उसके साथ छेड़छाड़ किए जाने का मामला सामने आया है। पुलिस थाने में दर्ज मामले के अनुसार बुधवार की रात्रि को इस गांव का एक व्यक्ति एक घर में घुस गया और वहां लड़की को कमरे में अकेला पाकर उससे छेड़छाड़ करने लगा। लड़की ने इसका विरोध करते हुए चिल्लाना शुरू कर दिया। शोर सुन कर जब परिवार के लोग कमरे में पहुंचे और उन्होंने छेड़छाड़ करने वाले व्यक्ति को काबू में करके इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उक्त व्यक्ति को हिरासत में लिया। मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है।

अंधविश्वास: जिंदा करने के लिए जमीन में गाड़ दिया युवक का शव

चंबा।।
हिमाचल प्रदेश हर क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है मगर कुछ इलाके ऐसे भी हैं, जहां पर आज भी अंधविश्वास चरम पर है। ताजा घटना भरमौर की है, जहां पर करंट लगने से एक छात्र की मौत हो गई। इसके बाद एक बाबा के कहने पर उसे एक गड्ढे में गाड़ दिया गया और उम्मीद की जाने लगी कि वह फिर जिंदा हो जाएगा।
Image Courtesy: अमर उजाला
बुधवार को यह अजीब खेल पांच घंटे तक चलता रहा। बाद में पुलिस ने आकर युवक के शव को बाहर निकाला। दरअसल विकास उर्फ बंटी 12वीं में पढ़ता था। धरकौथा के शिव कुमार का बेटा बंटी अपने ननिहाल सठली गया था। घर वापस आने के लिए वह गाड़ी का इंतजार कर रहा था। अचानक वह सड़क के साथ बने घर के स्लैब के साथ गुजरती बिजली की तार की चपेट में आया और सड़क से नीचे गिर गया।
बेसुध हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस बीच वहां आए एक बाबा ने परिजनों को सलाह दी कि अगर बंटी के शरीर को गर्दन तक जमीन में गाड़ दिया जाए तो वह ठीक हो जाएगा। गमगीन परिजनों को अपने बच्चे को फिर से जीवित करने की आस दिखाई दी।
युवक के जिंदा होने की उम्मीद में परिजनों और ग्रामीणों ने मिलकर गांव के बीच में ही एक गड्ढा खोद दिया और लाश को गले तक इसमें गाड़ दिया। करीब पांच घंटे तक युवक के जिंदा होने का इंतजार ग्रामीण करते रहे, लेकिन वह नहीं उठा।
इस बीच किसी ने पुलिस को खबर दी और शव को गड्ढे से निकालक पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। बाद में उसका शव परिजनों को सौंप दिया गया और गुरुवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया।

राजीव बिंदल के धूमल से दूरियां बनाकर नड्डा कैंप में शामिल होने की चर्चा

  • सुरेश चंबयाल
हिमाचल प्रदेश में चुनाव तो अभी काफी दूर है मगर माहौल पूरा चुनावी चल रहा है। सत्ताधारी कांग्रेस में तो गुटबाज़ी साफ दिख रही थी, मगर अब विपक्षी पार्टी बीजेपी में भी कुछ ऐसे ही समीकरण उभरते दिख रहे हैं। लम्बे अरसे तक धूमल और शांता गुटों में विभाजित रहने वाली हिमाचल बीजेपी अब  धूमल  बनाम नड्डा की राह पर चल दी है।
नड्डा के खेमे में वही नेता आने को आतुर हैं, जिन्हे धूमल सरकार के  समय  पार्टी  और सरकार में ज्यादा तवज्जो नहीं मिली थी। टिकट की इच्छा रखने वाले लोग भी नड्डा के साथ हैं, क्योंकि राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सीएम कोई भी बने, टिकट आवंटन की चाबी नड्डा के हाथ ही रहने वाली है। कहा जा रहा है कि नड्डा का अपने खास सिपहलसार रहे राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी श्रीकांत शर्मा को हिमाचल बीजेपी का प्रदेश प्रभारी बनाना इसकी तरफ साफ संकेत दे रहा है। इस वजह से  प्रदेश के कई नेता छिटक-छिटककर नड्डा के साथ जा रही है।
यह राजनीति का उसूल है कि जिसके हाथ में पावर होती है, कार्यकर्ताओं की निष्ठा उसी की तरफ स्थानांतरित हो जाती है।  परन्तु प्रदेश में चर्चा का विषय बीजेपी  माइंडेड लोगों के बीच यह बना है कि धूमल सरकार में प्रमुख पोर्टफोलियो संभालने वाले और धूमल के दाएं हाथ कहे जाने वाले राजीव बिंदल ने आखिर नड्डा कैंप की तरफ क्यों छलांग लगा दी।
सोलन से लेकर नाहन तक यही चर्चा गर्म है कि राजीव बिंदल की अब धूमल से अनबन है। इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं पता, मगर जनता और कार्यकर्ता चर्चा कर रहे हैं कि दोनों के राम-लक्ष्मण जैसे रिश्ते में कड़वाहट का ज़हर घुल गया हैं।  सुनने में आया है कि बिंदल के नड्डा प्रेम में भविष्य की राजनीति का  मानचित्र उभरा हुआ है। नड्डा का नाम अध्यक्ष पद की दौड़ में चलते ही और उनके केंद्र बीजेपी संगठन में रुतबे के बाद से डॉक्टर बिंदल हिमाचल में नड्डा के सब से बड़े समर्थक हो गए थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री बनने के बाद से नड्डा जब कभी हिमाचल आते हैं तो प्रदेश के मुख्य द्वार पर ही बिंदल  दल-बल के साथ नड्डा के स्वागत में  खड़े रहते हैं।
सूत्रों के मुताबिक यही सब धूमल गुट को संदेहास्पद लग रहा है। वे भी जानते हैं बिंदल मौके पर चौका मारने वाले बल्लेबाज़ हैं।  गली-मोहल्लों में हो रही इस तरह की गुफ्तगू से यह भी निकल कर आया है कि बिंदल नड्डा के आशीर्वाद से हिमाचल बीजेपी के अद्यक्ष तो बनना ही चाहते हैं, साथ ही साथ उनकी इच्छा यह भी है कि अगर पार्टी धूमल और नड्डा के अलावा किसी और सीएम बनाने की सोचे तो वह भी एक विकल्प के रूप में उभरें।
इसी कवायद में अगर याद किया जाए तो लगभग एक साल पहले सोलन में  बीजेपी के दो दिवसीय सम्मेलन में  एक रहस्यमयी पर्चा लोगों में बांटा गया था,  जिसमे बिंदल को हिमाचल का मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की गई थी। तब से धूमल और बिंदल के रिश्ते  उलझ कर रह गए हैं।
ऐसा नहीं है कि बिंदल का ही एकतरफा लगाव नड्डा के लिए है।  नड्डा भी जानते हैं कि चुनावी रणनीति में माहिर बिंदल जैसे सेनापति की उन्हें भी जरूरत पड़ सकती है। सूत्रों का कहना है की  पहली बार बिंदल को विधायक का टिकट दिलवाने में नड्डा का ही योगदान रहा था।  सोलन में सोफत के साथ अनबन के चलते नड्डा ने बिंदल का नाम आगे कर दिया था।
खैर मामला कुछ भी हो, लेकिन डॉक्टर बिंदल का आजकल शिमला में धूमल के प्रोग्राम आदि में सक्रिय भागीदारी न दिखाना इन सब चर्चाओं को हवा दे ही रहा  है। ऊपर से 2 जुलाई हो नड्डा फिर सोलन में हैं, लिहाजा जनता के बीच कानाफूसी होना लाजिमी है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)

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विभिन्न विभागों में खाली 926 पदों को भरेगी हिमाचल प्रदेश सरकार

शिमला।।

मंगलवार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने विभिन्न विभागों के 926 पदों को भरनेकी मंजूरी दी है। कैबिनेट की बैठक में राजस्व विभाग में सबसे ज्यादा 242 पदों को भरने का फैसला लिया गया है। कॉन्ट्रैक्ट बेस के अलावा कैबिनेट ने नियमित भर्तियां करने की भी मंजूरी दी है।

 
हिंदी अखबार ‘अमर उजाला’ की खबर के मुताबिक मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में मंगलवार सुबह दस बजे से दोपहर करीब डेढ़ बजे तक कैबिनेट बैठक हुई। मंत्रिमंडल ने राजस्व विभाग की बंदोबस्त शाखा में पटवारियों के 242 रिक्त पदों को भरने के लिए उम्मीदवारों के चयन एवं प्रशिक्षण को मंजूरी प्रदान की। आयुर्वेद विभाग में आयुर्वेदिक फार्मासिस्ट के 100 रिक्त पदों को अनुबंध आधार पर भरने और आयुर्वेदिक महाविद्यालय पपरोला में प्रोफेसर के तीन पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की।
 
 
बागवानी विभाग में बागवानी विकास अधिकारी के 71 पदों को अनुबंध आधार पर मौजूदा भर्ती एवं पदोन्नति नियमों के अनुसार हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरने का फैसला लिया। इसके अलावा बागवानी प्रसार अधिकारियों के 75 पदों को भरने को मंजूरी प्रदान की गई।
 
मंत्रिमंडल ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर के पद को स्तरोन्नत कर प्रिंसिपल साईंटिफिक आफिसर बनाने को भी मंजूरी प्रदान की। बैठक में उच्च शिक्षा विभाग में कनिष्ठ कार्यालय सहायक (आईटी) के 200 पदों को अनुबंध आधार पर भरने का फैसला लिया। इसके अलावा रूसा के राज्य परियोजना निदेशालय में विभिन्न पदों को भरने की भी मंजूरी प्रदान की।
 
कैबिनेट बैठक में चार नई पुलिस चौकियों में स्टाफ का इंतजाम करने के लिए विभिन्न श्रेणियों में 46 पद सृजित करने का फैसला लिया। इसके अलावा पुलिस विभाग में सीधी भर्ती द्वारा सब इंस्पेक्टरों के 20 रिक्त पद भरने की भी स्वीकृति प्रदान की गई।
 

मंत्रिमंडल ने सीमित सीधी भर्ती कोटे से नियमित आधार पर लिपिकों के 35 पद भरने और सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग में अनुबंध आधार पर कनिष्ठ कार्यालय सहायक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के 70 पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की। बैठक में शिमला के ढली स्थित विशेष रूप से अक्षम बच्चों के संस्थान के लिए जमा दो स्कूल में पीईटी तथा डीपीई के पद भरने का फैसला लिया।
 
बैठक में गृह रक्षकों से नागरिक रक्षा और अग्निशमन सेवा विभाग में लिपिकों के 10 पद भरने का फैसला लिया गया। मंत्रिमंडल ने पंचायती राज विभाग की कार्यप्रणाली सुचारु बनाए रखने के दृष्टिगत सीधी भर्ती के माध्यम से विभिन्न श्रेणियों के 54 पद भरने का फैसला लिया।

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पालमपुर में सड़क पर नाचने लगी नशे में धुत्त स्कूल टीचर

कांगड़ा।।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में एक अजीब मामला सामने आया है। पालमपुर के राजपुर चौक में एक महिला टीचर सरेआम डांस करने लगी। कभी वह चिल्लाती तो कभी सड़क पर लेटर गाना गाने लगती। पता चला कि महिला नशे में धुत्त है। लोगों ने पुलिस को बुलाया, तब जाकर हुड़दंग शांत हुआ।
पुलिस का कहना है कि एक स्थानीय स्कूल में काम करने वाली महिला टीचर ने शराब पी ली थी। वह अपनी कार पर दो बच्चों को लेकर राजपुर चौक पहुंची थी। यहां पर उसने हुड़दंग मचाना शुरू कर दिया। लोगों ने उसे समझाने की कोशिश की, मगर वह मानी नहीं।
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साथ ही मौजूद बच्चे भी कहते रहे कि ममी घर चलो, मगर महिला ने उनकी भी नहीं सुनी। कभी वह नाचती तो कभी सड़क पर लेटकर गाना गाती। बताया जा रहा है कि कार में ड्राइवर भी मौजूद था, मगर वह नहीं उतरा।
आखिरकार लोगों ने पुलिस को बुलाया। पुलिस को भी महिला को काबू करने में गश आ गए। आखिर में उसे पकड़कर मेडिकल कराया गया, जिसमें नशे में होने की पुष्टि हो गई। ‘अमर उजाला’ के मुताबिक पुलिस का कहना है कि महिला के खिलाफ शांति भंग करने का मामला दर्ज कर लिया है। उसे गिरफ्तार कर लिया गया था मगर अब जमानत पर रिहा कर दिया गया है।

हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई बंदरों की गिनती

शिमला।।

हिमाचल प्रदेश में बंदरों की गिनती की जा रही है। आज यानी 1 जुलाई से यह काम शुरू हो गया है। मंडी, पावंटा साहिब, कांगड़ा, हमीरपुर जैसे क्षेत्रों में इन्होंने लोगो की नाक में दम करके रखा हुआ है। बंदरों की तादाद के लिहाज से हिमाचल को बेहद समृद्ध राज्य माना जाता है। राज्य का वन विभाग इस काम को अंजाम दे रहा है।

राज्य में बंदर अलग-अलग जगहों पर पाए जाते हैं।जैसे जंगलों,शहरों, गांवों, मदिरों, सड़कों के इर्द-गिर्द। बंदरों की जनगणना को अंजाम देने के लिए तमिलनाडु के कुछ विशेषज्ञ भी आए हैं।

2004 में भी हुई थी बंदरों की जनगणना। तब इनकी संख्या सवा तीन लाख से कुछ कम पाई गई थी। हालांकि 2013 की जनगणना में इनकी तादाद घटी। तब ये सवा दो लाख से कुछ ज्यादा थे राज्य में।

जानकारी के अनुसार, वन विभाग जनगणना के काम में महिला मंडलों और पंचायतों से भी सहयोग ले रहा है। बंदरों से पीड़ित दरअसल हिमाचल प्रदेश को देश के बंदरों से सबसे ज्यादा पीड़ित राज्यों में माना जाता है। सरकार की कोशिश है कि इनकी संख्या को घटाने में सबका सहयोग मिल जाए। इस बीच, सरकार ने बंदरों की नसबंदी के काम को भी तेज कर दिया है।

प्रियंका वाड्रा की शिमला डील की जानकारी रोकना गलत: सूचना आयोग

 
 
शिमला।।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बेटी प्रियंका वाड्रा के शिमला में बन रहे घर और जमीन के बारे में सूचना देने से बच रही हिमाचल प्रदेश सरकार बैकफुट पर आ गई है। प्रदेश के सूचना आयोग ने सरकार को 10 दिन के अंदर प्रियंका द्वारा खरीदी गई जमीन की जानकारी देने के लिए कहा है।
पिछले साल हिमाचल प्रदेश के आरटीआई ऐक्टिविस्ट देबाशीष भट्टाचार्य ने सूचना हासिल की थी कि प्रियंका ने हिमाचल में दो जगह जमीन खरीदी है। मगर इस जमीन के बारे में जानकारी देने से सरकार द्वारा इनकार  कर दिया गया था।  
इस साल की शुरुआत में 43 साल की वाड्रा ने राज्य सरकार को अपने वकील के माध्यम से कहा था कि उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है, ऐसे में जमीन के बारे में जानकारी न दी जाए।
अब सूचना आयोग के अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में जानकारी को शेयर किया जाना चाहिए। मगर आरटीआई आवेदनों को देखने वाले अधिकारियों ने इस निर्देश को व्यवहार में नहीं लाया। आयोग ने पूछा है, ‘इस बारे में बताया जाए कि सूचना आयोग के निर्देशों की उपेक्षा के लिए उन अधिकारियों को दंडित क्यों नहीं किया गया।’ 

स्टेट इन्फर्मेशन कमिशन ने सोमवार को कहा कि आरटीआई के अंतर्गत डीटेल्स के मुताबिक उन्होंने प्रदेश में दो जगह जमीन खरीदी थी। एक 2007 में और एक 2012 में। इसमें कुल भुगतान की भी जानकारी है। 
 
प्रियंका गांधी के पिता राजीव गांधी और उनकी दादी इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गई थी, इसीलिए प्रियंका को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा मिली हुई है। इसी सुरक्षा का हवाला देते हुए प्रियंका ने जानकारी देने से इनकार कर दिया था।

 

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक आरटीआई ऐक्टिविस्ट भट्टाचार्य ने कहा, ‘हिमाचल प्रदेश छोटा राज्य है। वीवीआईपी यहां लगातार जमीन खरीद रहे हैं और दुरुपयोग कर रहे हैं। इसीलिए आरटीआई के माध्यम से जानकारी मांगी गई।’

क्यों खुदकुशी के लिए बदनाम हुआ कंदरौर पुल, कैसे रुकेगा सिलसिला?

  • विवेक अविनाशी
मंडी के एक निजी कॉलेज में पढ़ रही कुल्लू जिले के आनी से ताल्लुक रखने वाली छात्रा दीक्षा ने पिछले सप्ताह बिलासपुर के कंदरौर पुल से सतलुज में कूदकर आत्महत्या कर ली। एशिया के सबसे ऊंचे पुल से हुई खुदकुशी की इस घटना ने एक बार फिर कंदरौर पुल को सुर्खियों में ला खड़ा किया है।
इस आत्महत्या का विडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गया था। वास्तव में इस पुल से कूदकर आत्महत्या करने का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है। एक अपुष्ट समाचार के अनुसार बिलासपुर के कंदरौर पुल पर और अली खड्ड के पुल पर एक मास में लगभग 6 से ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं। लोग इसी पुल से क्यों आत्महत्या करना चाहते हैं, यह विचारणीय प्रश्न है। इससे पूर्व कि इस प्रश्न पर विचार करें, इस पुल के इतिहास और बनावट के विषय में विचार करना भी आवश्यक है।
(सोशल मीडिया पर वायरल खुदकुशी का विडियो, अपनी जिम्मेदारी पर देखें)
कंदरौर के इस ऐतिहासिक पुल का निर्माण कार्य साल 1959 में प्रारंभ हुआ था और 1965 में यह बनकर तैयार हो गया था। गैमन इंडिया कंपनी द्वारा तैयार किया  गया यह पुल एशिया का सबसे ऊंचा पुल है। इसकी लंबाई 280 मीटर और चौड़ाई 7 मीटर है। इसकी ऊंचाई 80 मीटर है। छठे दशक के पूर्वार्ध में बना यह पुल जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर है और प्रदेश के ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा, चंबा और मंडी जिले के कुछ इलाकों को राजधानी शिमला से जोड़ता है।
इस पुल के निर्माण में सबसे बड़ी त्रुटि यह रह गई है कि इसके दोनों तरफ ऊंची रेलिंग नहीं है और इस कारण आत्महत्या करने वाले निराश लोगों के लिए यह पहली प्राथमिकता वाला स्थल बन गया है। इसी कारण इसे जिले का ‘सूइसाइड ब्रिज’ भी कहा जाता है। इस पुल के किनारों पर लगी रेलिंग इतनी ऊंची नहीं है कि पुल के किनारे तक पहुंचने में कठिनाई हो। प्रदेश सरकार भी इस पुल की रेलिंग को ऊंचा करने की ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दे रही है।
कंदरौर पुल एशिया का सबसे ऊंचा पुल है
आत्महत्या करने वाले हताश लोगों की मानसिकता को लेकर मनोविज्ञानी निरंतर शोध करते रहते हैं। सेन फ्रैंसिस्को का गोल्डन गेट ब्रिज दुनिया का दूसरा ऐसा पुल है, जहां पर आत्महत्या करने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंचते हैं। जून 2012 तक इस पुल से छलांग लगाकर मरने वालों की संख्या 1500 को पार कर गई थी। इस पुल की दरिया से दूरी 250 फीट है। डॉक्टरों का मानना है कि इतनी ऊंचाई से छलांग लगाने वाला 80 मील प्रति घंटे की रफ्तार से पानी से टकराता है। यह टक्कर इतनी भयंकर होती है कि इंसान के विभिन्न अंग कट-फट जाते हैं, जिससे जल्दी मौत हो जाती है।
कंदरौर पुल पर आत्महत्या करने वालों में पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं की संख्या अधिक रही है। नवंबर 2006 में इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला के सीनियर डॉक्टर ने सोलन से यहां आकर खुदकुशी की थी। वैसे हिमाचल प्रदेश के आत्महत्या संबंधी आंकड़ों पर जर डालें तो छलांग मारकर खुदकुशी करने के मामले बहुत कम हैं। ज्यादातर कीटनाशक दवाइयां ही आत्महत्या के लिए प्रदेश में इस्तेमाल की जाती हैं।
मनोविज्ञानी सुझाव देते हैं कि आत्महत्या का यह कायर कदम उठाने वालों को वाहन से उतरकर कुछ देर पैदल चलना चाहिए। अगर कंदरौर पुल के दोनों छोरों पर कुछ प्रेरक साइन बोर्ड लगा दिए जाएं तो आत्महत्या करने के इरादे से आने वाला अपना क्षणिक निर्णय बदल सकता है। मेरे विचार से कुछ इस तरह की पंक्तियां भी इस स्थल के लिए उपयुक्त होंगी, “इस पुल से हिमाचल की प्रसिद्ध लोकगायिका गंभरी देवी का गांव सिर्फ 30 किलोमीटर दूर है। उनका प्रसिद्ध लोकगीत है- खाणा-पीणा नंद लेणी गो गंभरिये… खाणा-पीणा नंद लैणी हो…। आइए प्रकृति का आनंद लें, क्योंकि जिंदगी जीने के लिए है।”
(लेखक वरिष्ठ स्तंभकार हैं)

वीरभद्र सिंह को जन्मदिन पर जब शांता कुमार का फ़ोन आया तो जानिए क्या हुआ

शिमला।।
23 जून को हिमाचल के मुखयमंत्री वीरभद्र सिंह 81 साल के हो गए , सारा दिन बधाई देने वालों का तांता लगा रहा , प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी ने भी ट्व्वीटर के माध्यम से वीरभद्र सिंह को बधाई दी।  रोपवे के शिलान्यास के दौरान दोपहर को जब मुख्यमंत्रीं वीरभद्र सिंह पूजा में बैठे थे की सिक्योरिटी आफिसर को पकड़ाए हुए उनके फ़ोन पर वरिष्ठ भाजपा नेता शांता कुमार का फ़ोन आया शांता कुमार ने बधाई देने के लिए वीरभद्र सिंह को फ़ोन किया था।
सिक्योरिटी आफिसर ने देखा की मंत्रोचारण चल रहा है तो शांता कुमार से थोड़ी देर बाद फ़ोन करने को कहा यह बात पूजा में बैठे वीरभद्र सिंह के कानों में पद गयी।  मुख्यमंत्री ने तत्काल मंत्रोचारण रुकवाया और फ़ोन हाथ में लेकर शांता कुमार से बात की। वें उनकी बधाई स्वीकार की  गौरतलब है की प्रदेश की राजनीति के यह दोनों बुजुर्ग नेता उम्र में भी लगभग बराबर बराबर ही हैं वीरभद्र सिंह शांता कुमार से 3 महीने बड़े हैं।  बाद में पत्रकारों से मुस्कुराते हुए मुख्यमंत्री बोले शांता कुमार और हमारे सबंध  राजनीति से ऊपर है हमारी लड़ाई वैचारिक है परन्तु  रिश्तों में घनिष्ठता उस से बढ़कर है।
फोटो TribuneIndia,com से साभार
पुराने जानकार कहते हैं की शांता कुमार प्रदेश के लिए जो भी पालिसी लाये।  उनकी सरकार जाने के बाद भी वीरभद्र सिंह ने कभी उस से छेड़खानी नहीं की उन्हें  कंटिन्यू रक्खा।  हिमाचल प्रदेश के एक सीनियर प्राशासनिक आफिसर ने नाम ना बताने की शर्त पर बताया था की नब्बे के दशक में  अधिकार काफी हाउस में यह मंत्र करते थे की शांता कुमार अगर मुख्यमंत्री हों और वीरभद्रा सिंह  मुख्या सचिव तो हिमाचल प्रदेश यूरोप के बराबर तरक्की कर लेता।  शांता कुमार विज़नरी हैं उनके पास प्रदेश हिट की नीत्तियां हैं वहीँ वीरभद्र सिंह एक सख्त  एडमिनिस्ट्रेटर  है वो जानते हैं अधिकारीयों से काम कैसे समय पर लेना है।  

मंडी में IIT कैंपस में ठेकेदार के मजदूरों और लोकल मजदूर यूनियन में मारपीट, 4 की मौत

मंडी।।
शांत राज्य की पहचान रखने वाले हिमाचल प्रदेश में हुई एक घटना ने सबको चौंका दिया है। मंडी के कमांद में बन रहे आईआईटी कैंपस में ठेकेदार द्वारा रखे गए बाहर के मजदूरों और स्थानीय मजदूर यूनियन के बीच झड़प में 4 लोगों की जान चली गई।
बताया जा रहा है कि स्थानीय मजदूर यूनियन इस बात का विरोध कर रही थी कि बाहर के मजदूरों को क्यों रखा गया। कहा जा रहा है कि ठेकेदार के साथ बहस के दौरान अचानक किसी ने गोलियां चला दीं, जो स्थानीय मजदूरों को लग गई। इससे गुस्साए यूनियन के मजदूरों और स्थानीय लोगों ने गुस्से में आकर ठेकेदार के लोगों पर हमला कर दिया।
बताया जा रहा है कि मारपीट के दौरान जान बचाने के लिए भाग रहे ठेकेदार द्वारा रखे पंजाब के मजदूर ऊंचाई से कूद गए। इससे 4 की मौत हो गई, जबकि 5 बुरी तरह से जख्मी हैं। उन्हें मंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दो लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि अन्य 2 ने अस्पताल ले जाते वक्त दम तोड़ा।
बाद में लोगों ने आईआईटी कैंपस के बाहर खड़ी गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया। बाद में पुलिस ने मौके पर पहुंचकर हालात को काबू पाया और सभी घायलों को अस्पताल पहुंचा दिया। घटना के बाद से मौके पर बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए हैं।

बताया जा रहा है कि ठेकेदार ने इन मजदूरों को कुछ दिन पहले हायर किया था और मजदूरों ने पुलिस को भी इस बारे में जानकारी दी थी।

स्थानीय मजदूर यूनियन का कहना है कि वे बाहर के रखे मजदूर नहीं, बल्कि ठेके दार के रखे बाउंसर्स थे। पुलिस ने मामला दर्ज करके छानबीन शुरू कर दी है।