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Friday, September 12, 2025
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शिमला रूरल के बाद हिमाचल कांग्रेस में और बदलाव के संकेत

सुरेश चंबयाल।। दिल्ली में आलाकमान से बात करके आए मुख्यमंत्री वीरभद्र दिन अपने तेवरों के साथ एक बार फिर संगठन पर भारी पड़े हैं। मुख्यमंत्री ने कह दिया है कि संगठन अब कमरे में रहेगा और फील्ड में मैं। कांग्रेस की बात की जाए तो नेहरू-इंदिरा दौर के बाद राजीव से होते-होते 90 के दशक के दौरान राजेश पायलट और माधव राव सिंधिया जैसे नेताओं ने कांग्रेस में इस बात पर जोर देना शुरू कर दिया था कि कांग्रेस का अध्यक्ष चुनकर आना चाहिए। राजेश पायलट तो इसके मुखर समर्थक हो गए थे। जिस दौर में राजेश पायलट या सींधिया जैसे लोग पार्टी में चुनकर अध्यक्ष बनाए जाने की वकालत कर रहे थे, कहीं से उन्हें समर्थन नहीं मिला। कांग्रेस के ज्यादातर नेता नेहरू-गांधी परिवार के प्रति ही आस्था जता रहे थे। राहुल गांधी जब पैदा हुए थे, तब कांग्रेस समर्थकों ने ऐसे पोस्टर लगा दिए थे कि देश का अगला प्रधानमंत्री पैदा हो गया है।

 

कांग्रेस पीवी नरसिम्हा राव के समय गांधी परिवार के प्रभाव से बाहर निकल चुकी थी। उस वक्त सीताराम केसरी कांग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे। मगर सत्ता पलटने के बाद सीताराम केसरी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया और एक बार फिर पार्टी का पूरा कंट्रोल नेहरू गांधी परिवार के हाथ में आ गया और अब तक उन्हीं के हाथ में है। यहां तक कि पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी मनोनीत हैं, न कि इलेक्टेड। तो फिर वीरभद्र ने तो कभी सींधिया या पायलट की तरह आवाज़ नहीं उठाई कि शीर्ष पदाधिकारी भी उनके बेटे की इलेक्टेड होने चाहिए।

 

क्या वाकई मनोनीत किए जाने के खिलाफ हैं वीरभद्र?
हिमाचल के हालिया प्रकरण की बात करें तो वीरभद्र सिंह भी राजेश पायलट सरीखे नेताओं के विचारों से सहमत नजर आते हैं कि कांग्रेस का अध्यक्ष चुनकर आना चाहिए। हर मंच, हर प्लैटफॉर्म पर वो यही बात करते हैं। यह भी उदाहरण देते हैं कि उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह भी चुनकर युवा कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बने हैं। कहते हैं कि खुद भी कांग्रेस में चुनकर आता रहा हूं और किसी को मनोनीत किए जाने के खिलाफ हूं।

विरोधाभासी बातें करते हैं मुख्यमंत्री
वीरभद्र सिंह की यह मनोनयन वाली सवाल काफी विरोधाभासी प्रतीत होती है। क्योंकि शिमला की ही बात करें तो मुख्यमंत्री ने दिल्ली से आते ही शिमला ग्रामीण संगठन जिला, जिसमें कांग्रेस ने शिमला शहरी सीट को छोड़कर बाकी की 7 सीटों को रखा है, वहां के अध्यक्ष रितेश कपरेट को हटाकर यशवंत छाजटा को अध्यक्ष बना दिया है। कपरेट छात्र राजनीति से कांग्रेस में आए हुए हैं और सुक्खू समर्थक माने जाते हैं। सुक्खू ने भी डैमेज कंट्रोल के लिए उन्हें कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया, परन्तु यह बात समझ नहीं आई कि अध्यक्ष और कार्यकारी अध्यक्ष एक साथ हो सकते हैं क्या? और किस लॉजिक पर? साथ ही एक सवाल और है, वीरभद्र सिंह जब नॉमिनेटड अध्यक्ष के समर्थन में नहीं है तो छाजटा को क्यों नॉमिनेट किया गया?

सीएम की कथनी और करनी में अंतर क्यों?
सूत्रों के अनुसार यह कहानी गहरी है। यूथ कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए जब विक्रमादित्य सिंह ने चुनाव लड़ा था, उस समय परिवहन मंत्री जीएस बाली के बेटे रघुबीर बाली, मनमोहन सिंह कटोच और अन्य दावेदारों के बीच रितेश कपरेट ने भी अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी दी थी। रितेश कपरेट को आए मतों के अनुसार उन्हें यूथ कांग्रेस संगठन में उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी भी मिली थी। और अब शिमला ग्रामीण के अध्यक्ष के तौर पर कपरेट वीरभद्र की आँखों में सुक्खू समर्थक के तौर पर भी चुभ रहे थे क्योंकि शिमला ग्रामीण से विक्रमादित्य को चुनाव लड़ना है और कपरेट का वहां होना कहीं न कहीं मुख्यमंत्री को खटक रहा था।

 

कपरेट की जगह जिन यशवंत छाजटा को अध्यक्ष बनाया गया,  उनका कांग्रेस संगठन से ज्यादा गहरा नाता नहीं रहा है। छाजटा कॉन्ट्रेक्टर हुआ करते थे और अभी हिमुडा के उपाध्यक्ष हैं। छाजटा की वीरभद्र परिवार से बहुत नजदीकियां हैं। चर्चा है कि पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह भी पूरा जोर लगा रहीं हैं कि यशवंत छाजटा को शिमला शहर से कांग्रेस का उमीदवार भी बनाया जाए। सुनने में आया है कि सुक्खू कपरेट को नहीं हटाना चाहते थे, परन्तु उन्हें प्रदेश प्रभारी की बात माननी पड़ी। प्रदेश प्रभारी शिंदे तक भी छाजटा की व्यक्तिगत पहुंच थी क्योंकि छाजटा की धर्मपत्नी नागपुर यानि महाराष्ट्र से ही हैं। इसलिए सुक्खू को भी मन मसोस कर रहना पड़ा और कपरेट को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में एक पोस्ट हाल फिलहाल पकड़ा दी गई।

 

क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है, मगर फिलहाल यही लग रहा है कि कांग्रेस में मुख्यमंत्री बेशक नॉमिनेटेड बनाम चुनकर आए लोगों में से ‘चुनकर आए’ लोगों को तरजीह देने की बात करें, मगर जहां वह चाहेंगे वहां अपने हिसाब से ही गोटियां सेट करेंगे। शिमला इसका एक उदाहरण है। आगे-आगे कहां क्या होता है, यह देखने वाली बात होगी।

(लेखक हिमाचल प्रदेश से जुड़े विभिन्न मसलों पर लिखते रहते हैं। इन दिनों इन हिमाचल के लिए नियमित लेखन कर रहे हैं।)

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 ओपिनियन पोल

इन हिमाचल डेस्क।। चुनाव से पहले हिमाचल प्रदेश की जनता के मूड को भांपने के लिए करवाए गए सर्वे के नतीजों को कंपाइल कर लिया गया है। इसके लिए कोशिश की गई थी कि हर विधानसभा सीट में कम से कम 1000 लोगों से बातचीत करके पूछा जाए कि वे किस पार्टी के उम्मीदवार को वोट देंगे। सिर्फ कुछ जगहों पर लगभग 500 लोगों से बातचीत की गई है और वे सीटें हैं- बैजनाथ, चुराह, करसोग, भरमौर, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, शिलाई और रेणुका जी।

 

सर्वे सिर्फ बीजेपी और कांग्रेस पर आधारित
पाठकों से कैजुअल बातचीत की गई ताकि उन्हें कहीं से भी यह न लगे कि उनसे किसी संस्थान द्वारा राजनीतिक राय मांगी जा रही है। अगर उन्हें बताया जाता कि सर्वे किया जा रहा है तो वे शायद कुछ ज्यादा ही सचेत होकर बात करने लगते। इसलिए सामान्य बातचीत के दौरान यह पता लगाया कि वे राजनीतिक पार्टी के सदस्य हैं या नहीं। इसके बाद बातों के दौरान उनसे स्थानीय राजनीति को लेकर उनकी पसंद-नापसंद पता की गई। इसके आधार पर ही नतीजे बनाए गए। जो लोग राजनीति को लेकर उदासीन लगे, उन्हें भी सर्वे के सैंपल में जगह दी गई। हालांकि ऐसे लोगों की संख्या ज्यादा नहीं थी। इसलिए न सिर्फ शहर के भीड़भाड़ भरे इलाकों में बात की गई, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बात की गई और सभी आयु वर्गों और लिंग आदि की राय शामिल की गई।

 

प्रतिनिधि चुनने को लेकर है स्पष्टता
ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिकतर लोग स्पष्ट रूप से बीजेपी और कांग्रेस में से किसी एक के पक्ष में खड़े नजर आए। कुछ सीटों पर लोग इसलिए भी कन्फ्यूज़ लगे क्योंकि उनके नेता को इस बार टिकट मिलने में या तो संशय है या फिर उनकी पसंद का नेता नया है और किसी पार्टी से टिकट चाहता है। मगर ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम थी, इसलिए उनकी राय बीजेपी या कांग्रेस या उनके समर्थकों की तुलना में नगण्य थी। सिर्फ दो सीटें ऐसी नज़र आईं, जहां पर बीजेपी और कांग्रेस से इतर किसी एक नेता के समर्थकों की संख्या काफी ज्यादा थी। इनमें झंडूता और जोगिंदर नगर शामिल हैं। यहां पर निर्दलीय चुनाव प्रचार अभियान में जुटे उम्मीदवार अच्छा-खासा समर्थन जुटा रहे हैं, खासकर झंडूता में। जोगिंदर नगर में ज्यादातर लोग बीजेपी के पक्ष मे हैं, मगर उनकी पसंद टिकटार्थियों में बंटी हुई है। ऐसे में इन दोनो सीटों पर बीजेपी किसे टिकट देती है, इसके ऊपर काफी चीजें निर्भर करेंगी।

 

इनके अलावा किसी भी सीट पर ऐसा नहीं मिला, जहां जनता कांग्रेस या बीजेपी में से किसी को चुनने के लिए कन्फ्यूज़न में हो और मुकाबला फिफ्टी-फिफ्टी लग रहा हो। या तो जनता स्पष्ट रूप से कांग्रेस पार्टी या उसके संभावित उम्मीदवार के पक्ष में थी या फिर बीजेपी या उसके संभावित उम्मीदवार के समर्थन में थी। कहीं पर ऐसा नहीं मिला कि जितने लोग एक पक्ष में हों और उतने ही दूसरे पक्ष में।

 

अगर माना जाए कि आज चुनाव होते हैं तो कांग्रेस सत्ता से बाहर होने जा रही है और बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। बावजूद इसके कांग्रेस का प्रदर्शन उतना खराब नहीं होने वाला, जितना दावा बीजेपी कर रही है। यानी उसका मिशन 50+ पूरा नहीं होने जा रहा।

पार्टी इतनी सीटें मिल सकती हैं (कुल 68) सर्वे में शामिल लोगों का प्रतिशत में मिला समर्थन
बीजेपी 43 49%
कांग्रेस 24 38.5%
अन्य 1 12.5%

कांग्रेस इस बार 24 सीटें जीतने जा रही है और बीजेपी 43 सीटें। सीटवार जानें, सर्वे के आधार पर किस सीट पर जनता किस पार्टी के साथ खड़ी नज़र आ रही है।

विधानसभा सीट- पार्टी
1. चुराह – बीजेपी
2. भरमौर – बीजेपी
3. चंबा – कांग्रेस
4. डलहौजी – कांग्रेस
5. भटियात- बीजेपी
6. नूरपुर- बीजेपी
7. इंदौरा – बीजेपी
8. फतेहपुर- बीजेपी
9. ज्वाली- बीजेपी
10. देहरा- बीजेपी
11. जसवां-परागपुर- बीजेपी
12. ज्वालामुखी- बीजेपी
13. जयसिंहपुर – कांग्रेस
14. सुलह- बीजेपी
15. नगरोटा- कांग्रेस
16. कांगड़ा- बीजेपी
17. शाहपुर- कांग्रेस
18. धर्मशाला- कांग्रेस
19. पालमपुर- कांग्रेस
20. बैजनाथ- कांग्रेस
21. लाहौल-स्पीति- बीजेपी
22. मनाली- कांग्रेस
23. कुल्लू- बीजेपी
24. बंजार- बीजेपी
25. आनी – बीजेपी
26. करसोग- बीजेपी
27. सुंदरनगर-कांग्रेस
28. नाचन- बीजेपी
29. सिराज- बीजेपी
30 द्रंग – बीजेपी
31. जोगिंदर नगर- बीजेपी
32. धर्मपुर – बीजेपी
33. मंडी- कांग्रेस
34. बल्ह -कांग्रेस
35. सरकाघाट- बीजेपी
36. भोरंज- बीजेपी
37. सुजानपुर- बीजेपी
38. हमीरपुर- बीजेपी
39. बड़सर- बीजेपी
40. नादौन- बीजेपी
41. चिंतपूर्णी – कांग्रेस
42. गगरेट – बीजेपी
43. हरोली – कांग्रेस
44. ऊना- बीजेपी
45. कुटलेहड़- बीजेपी
46. झंडूता – निर्दलीय
47. घुमारवीं- बीजेपी
48. बिलासपुर- बीजेपी
49 श्री नैना देवी- बीजेपी
50. अर्की- बीजेपी
51. नालागढ़ – बीजेपी
52. दून – कांग्रेस
53. सोलन- कांग्रेस
54. कसौली- बीजेपी
55. पच्छाद- बीजेपी
56. नाहन- बीजेपी
57. श्री रेणुकाजी – कांग्रेस
58. पावंटा साहिब- कांग्रेस
59. शिलाई- बीजेपी
60. चौपाल- बीजेपी
61. ठियोग- कांग्रेस
62. कुसुम्पटी- कांग्रेस
63. शिमला- बीजेपी
64. शिमला ग्रामीण- कांग्रेस
65. जुब्बल-कोटखाई- बीजेपी
66. रामपुर- कांग्रेस
67. रोहड़ू- कांग्रेस
68. किन्नौर- कांग्रेस

 

अभी चुनाव में वक्त है और टिकट आदि का आवंटन भी शुरू नहीं हुआ है। जैसे ही सिलसिला शुरू होगा, कई तरह के समीकरण हर सीट पर बदलने को मिलेंगे। साथ ही चुनाव प्रचार अभियान के चरम पर आने के बाद जो माहौल बनेगा, उसपर भी कई चीज़ें निर्भर करेंगी। जैसा कि देखने को मिलता रहा है, उस दौरान लोगों के रुझान में बदलाव आएगा। ऐसे में हम चुनाव से पहले एक बार फिर लोगों की राय लेने की कोशिश करेंगे।

नीतियों पर सवाल उठाने वाले अध्यापक शिमला तलब

शिमला।। पिछले दिनों कुछ शिक्षकों ने जिला सोलन के दाडलाघाट में आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल से शिक्षा का स्तर गिरने की शिकायत करते हुए शिक्षा विभाग की नीतियों पर सवाल उठाए थे। इस मामले पर संज्ञान लेते हुए उच्च शिक्षा निदेशालय ने पांच शिक्षकों को 11 अक्तूबर को शिमला तलब किया है। (कवर इमेज प्रतीकात्मक है)

 

इन शिक्षकों पर आरोप है कि 13 अगस्त 2016 को दाड़लाघाट में हिमाचल शिक्षक महासंघ की ओर से आयोजित सेमिनार में इन्होंने सरकार और शिक्षा विभाग की नीतियों पर सवाल उठाते हुए प्रदेश में शिक्षा का स्तर ठीक नहीं होने की राज्यपाल से शिकायत की।

 

साल 2016 में इस मामले को तत्कालीन उच्च शिक्षा निदेशक ने गंभीरता से लेते हुए पांचों शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किए थे। इसके बाद सभी शिक्षकों को चार्जशीट भी कर दिया था। अब करीब एक साल बाद निदेशालय ने दोबारा इस मामले पर जांच शुरू कर दी है।

आ रहा है विधानसभा चुनाव पर In Himachal ओपिनियन पोल

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। किस सीट पर कौन भारी पड़ सकता है और किसी पार्टी के सत्ता में आने की संभावनाए हैं, इसे लेकर In Himachal रविवार को ओपिनियन पोल जारी करने जा रहा है। ‘इन हिमाचल’ ने जनता मे मूड को भांपने के इरादे से प्रदेश की सभी 68 सीटों पर विभिन्न व्यक्तियों से बात की और उनकी पसंद पूछी। ऐसा करते वक्त कुछ बातों का ध्यान रखा गया। पुरुषों, महिलाओं, बुजुर्गों और युवा मतदाताओं से समान रूप से फीडबैक लिया गया है।

 

‘इन हिमाचल’ ने सभी सीटों पर लगभग 1000 लोगों से बातचीत की है। यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि बैजनाथ, चुराह, करसोग, भरमौर, लाहौल-स्पीति, किन्नौर, शिलाई और रेणुका सीटों का सर्वे करीब 500 लोगों के रुझान पर आधारित है। सर्वे के वक्त इस बात ध्यान रखा गया है कि जिनकी राय ली गई, वे किसी राजनीतिक पार्टी से सक्रिय कार्यकर्ता या पदाधिकारी न हों।

 

रविवार सुबह 10 बजे In Himachal का ओपिनियन पोल आप हमारी वेबसाइट या फेसबुक पेज के माध्यम से पढ़ पाएंगे।

कुल्लू का भव्य दशहरा मेला नहीं देखा तो क्या देखा?

कुल्लू।। हिमाचल का कुल्लू दशहरा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जिस दिन रावण दहन के साथ पूरे देश में रामलीला का समापन होता है और दशहरा मना लिया जाता है, उसी दिन से हिमाचल के कुल्लू में दशहरा मेले की शुरुआत होती है। इस साल यह 30 सितंबर से 6 अक्टूबर तक चलेगा।

 

इस दौरान जिले और आसपास के इलाकों के कई गांवों के लोग और श्रद्धालु अपने देवी-देवताओं को पालकियों पर सुसज्जित करके लाएंगे।

Courtesy: kulludussehra.hp.gov.in

हिमाचल प्रदेश में कई सदियों पहले से ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में सात दिन तक दशहरा मनाए जाने का रिवाज है। इससे जुड़ी कुछ दंकथाएं भी हैं जो साल 1600 के सदी से जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से एक है राजा जगत सिंह की कहानी, जिन्हें कथित तौर पर कोढ़ हो गया था क्योंकि उन्होंने सुनी सुनाई बात के आधार पर एक ब्राह्मण से कुछ ऐसा मांग लिया था, जो उसके पास नहीं था।

 

राजा से किसी ने कहा था कि फ्लां ब्राह्मण के पास सुच्चे मोती हैं जो राजकोष में होने चाहिए। राजा ने ब्राह्मण से कहा कि उन्हें जमा करवाए। चूंकि उसके पास कोई मोती नहीं थे, इसलिए दबाव में आकर उसने सरपरिवार आत्मदाह कर लिया था।

रघुनाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है।

कहते हैं कि राजा को इसकी ग्लानि हुई थी और वह बीमार हो गए थे। कहते हैं कि उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। मन्नत मांगे जाने के बाद जब वह ठीक हुए तो उन्होंने आसपास की कई रियासतों के देवी-देवताओं को न्योता दिया था। इसके बाद हर साल इसे मनाने की शुरुआत हो गई थी।

नीचे देखें, कुल्लू दशहरे पर 60-70 के दशक में बनी एक डॉक्युमेंट्री:

टी-टूरिज़म के नाम पर कांगड़ा चाय के बागान नहीं बिकने देंगे: जीएस बाली

शिमला।। पिछली कैबिनेट बैठक में वीरभद्र सरकार ने चाय के चुनिंदा बागान को ‘टी-टूरिज़म’ के नाम पर कुछ शर्तों के साथ बेचने की इजाजत दी थी। इसले लिए हिमाचल ले लैंड सीलिंग ऐक्ट के प्रावधानों में छूट दी गई थी। खबर आई थी कि सरकार के कुछ मंत्रियों ने कैबिनेट में इसका विरोध किया था, मगर अब एक मंत्री इस मामले में खुलकर अपनी सरकार के रुख के खिलाफ आ गए हैं। परिवहन मत्री जी.एस. बाली ने कहा है कि मैंने कैबिनेट में भी इस कदम का विरोध किया था और आगे भी करता रहूंगा।

 

परिवहन मंत्री ने कहा है, ‘टी-टूरिज्म के नाम पर गार्डन की जमीन को बेचने का प्रयास सरासर गलत बात है। चाय के बागान कांगड़ा की पहचान हैं और इन्हें खत्म नहीं होने दिया जाएगा। मैंने कैबिनेट में भी इसका विरोध किया था और आगे भी करूंगा।’

चाय के बागानों को बेचने का मामला क्या है, जानने के लिए यहां क्लिक करें

कांगड़ा से संबंध रखने वाले परिवहन मंत्री ने कहा, “1972 में बने लैंड सीलिंग ऐक्ट के तहत सरकार ने जमीन की अधिकतम सीमा तय की थी और इससे ज्यादा लैंड को सरकार ने अपने पास रख लिया था। इसके तहत राज्य के कई लोगों को अपनी जमीनें सरकार को देनी पड़ी थीं. मगर चाय और सेब की जमीनों को इस ऐक्ट से इस शर्त पर बाहर रखा था कि वे अपनी जमीनें नहीं बेच पाएंगे।”

परिवहन मंत्री ने कहा कि इन दोनों जमीनों को इस तर्क के आधार पर ऐक्ट से बाहर रखा गया था कि सेब और कांगड़ा टी हिमाचल की पहचान हैं। 45 सालों तक इन जमीनों को मालिकों ने बचाकर रखा और अब टी-टूरिज़म के नाम पर वे इसे बेचना चाहते हैं, जो कि गलत है।

 

गौरतलब है कि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी कांग्रेस सरकार के इस फैसले की आलोचना कर चुके हैं।

नड्डा ने बताया, राजनीति में किसके पास टिकती है ताकत

बिलासपुर।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 अक्टूबर को बिलासपुर में प्रस्ताविस एम्स का शिलान्यास करने आ रहे हैं। इस मौके पर आयोजित की जाने वाली महारैली के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा लोगों को जुटाने में लगे हैं। इस दौरान बिलासपुर के पंजगाई में लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि ‘राजनीतिक ताकत उसी के पास टिकती है, जो वक्त के अनुसार राजनीति को समझकर उसे पहचानता है।’

 

नड्डा के इस बयान के क्या अर्थ निकाले जाएं, इसे लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चा है। यह कयास भी लगाए जा रहे हैं नड्डा का इशारा आखिर किसकी तरफ था। गौरतलब है कि जेपी नड्डा पीएम की रैली को लेकर कुछ दिनों से हिमाचल में ही टिके हुए हैं।

बिलासपुर के साथ कांगड़ा और ऊना में भी होगा शिलान्यास

शिमला।। बिलासपुर में एम्स का शिलान्यास करने आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम में बदलाव की खबर है। हिमाचल बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष ने जानकारी दी है कि प्रधानमंत्री अब तीन अक्टूबर को एम्स के साथ-साथ दो और शिलान्यास करेंगे।

 

सत्ती ने कार्यक्रम में बदलाव की जानकारी देते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री ऊना के सलोह में बनने वाली ट्रिपल आईटी और कांगड़ा जिले के कंदरोड़ी में स्टील प्लांट का शिलान्यास भी करेंगे।

सरकार को करोड़ों का चूना लगा गए शराब ठेकेदार

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, हमीरपुर।। हिमाचल प्रदेश सरकार को करीब 12 करोड़ रुपये का चूना लगने की खबर है। खबर है कि शराब के पांच शराब ठेकेदारों ने यह काम किया है। इनके ऊपर आरोप है कि वे हिमाचल प्रदेश बेवरेजेज कॉर्पोरेशन लिमिटिड (HPBCL) के गोदाम से करीब 12 करोड़ रुपये की शराब उठाकर निकल गए। इसे बेचकर उन्होंने अपनी जेब तो भर ली, मगर गोदाम से जारी सामान की पेमेंट नहीं हुई। इसका खुलासा सरकार द्वारा निर्धारित किए गए शराब कॉर्पोरेशन के खाते में पैसे जमा न होने से हुआ। अब पांचों ठेकेदारों को तलाशा जा रहा है।

 

कॉरपोरेशन ने इन पांचों आरोपी ठेकेदारों पर कोर्ट में केस लगा दिया है। करोड़ो की राशि का गोलमाल करने उपरांत ठेकेदार कहां चले गए, इसका कोई अता-पता नहीं है। पाठकों को बता दें कि इस बार प्रदेश में हिमाचल सरकार ने शराब के अपने गोदाम बनाए हुए हैं। हिमाचल प्रदेश बेवरेजेज कोर्पोरशन लिमिटिड ( HPBCL) के बैनर तले हर जिले में शराब के गोदाम हैं और हमीरपुर में ऐसा गोदाम बजूरी में है। शराब के ठेकेदार यहां से तभी माल उठा सकते हैं, जब वे सरकार के खाते में पैसे जमा करवाने का प्रमाण पत्र दिखाएं। मगर इस मामले में ऐसा कैसे हो गया कि पैसे आए बिना वे सामान ले गए, यह बड़ा सवाल है। इसका मतलब यही है कि उन्होंने फर्जी कागजात दिखाकर शराब हासिल की।

 

पुलिस अधीक्षक रमन कुमार मीणा ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि कंपनी की तरफ से मामला दर्ज हुआ है। उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार परचून लाइसेंस बिक्रेता को शराब तभी दी जाएगी यदि वह अग्रिम अदायगी करेगा। जब एचपीबीएल का वार्षिक लेखा परीक्षण किया गया तो पाया गया की 543.59 करोड़ की शराब परचून लाइसेंस धारक को दी गई । इसमे से 11,47,50,291 रुपये एचपीबीएल के खाता में नहीं आए है।

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इन लाइसेंस धारक विक्रेता से नहीं आई रकम
अशोक कुमार पुत्र कुलदीप सिंह गांव बांग बनियाल डा0 सुनहेत तहसील देहरा , अंकुश राणा पुत्र परवीन ठाकुर गांव भगोल डा0 पटलांदर तहसील सुजानपुर , अशोक कुमार पुत्र मान चंद गांव बही डा. भांबला तहसील सरकाघाट , रवि प्रकाश पुत्र थैनू राम गांव व डा0 डुड़ाणा तहसील नादौन, नरेंदर ठाकुर पुत्र संत राम गांव दलोली डा0 तलौरा तहसील घुमारबीं के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।

 

(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशिक की गई है)

एचआरटीसी कंडक्टर भर्ती के रिजल्ट को लेकर विवाद

शिमला।। एचआरटीसी में हाल ही में निकले परिचालक भर्ती के नतीजे पर सवाल उठाते हुए एक शख्स ने दावा किया है कि रिटन टेस्ट से गैरहाजिर रहे एक शख्स को परीक्षा में उत्तीर्ण बताया गया है। उसके इन आरोपों की पुष्टि नहीं पाई है। इस मामले को लेकर परिवहन मंत्री जीएस बाली का कहना है कि भर्ती में पूरी पारदर्शिता बरती गई है।

 

दरअसल मंडी के एक अभ्यर्थी का कहना है कि वह पीजी कॉलेज ऊना में एग्जाम देने गया था। जिस कमरे में वह एग्ज़ाम दे रहा था, वहां पर उनसे 10 नंबर पहले वाला रोलनंबर एग्जाम देने नहीं आया था, मगर एग्जाम में वह उत्तीर्ण है।

 

एक शख्स द्वारा किए गए इस दावे को लेकर परिवहन मंत्री जीएस बाली ने कहा है कि रिजल्ट सही है और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई है। अमर उजाला के मुताबिक उनका कहना है कि इन आरोपों की छानबीन की जाएगी।