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Friday, September 12, 2025
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जब अर्की से कांग्रेस ने ‘सोनिया के कुक के बेटे’ को दिया था टिकट

सोलन।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अब अर्की से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जब मीडिया उनसे सवाल पूछ रहा है कि क्या आपने सेफ होने की वजह से ठियोग के बजाय अर्की चुना, तो इसके जवाब में वह बोलते हैं- अर्की से तो कांग्रेस दो बार से हारती आ रही है, फिर यह सीट सेफ कैसे हुई।

यह सच है कि दो बार से यह सीट कांग्रेस हार रही है। मगर पहले ऐसा नहीं था। हार का यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब कांग्रेस ने यहां के दिग्गज कांग्रेसी नेता धर्मपाल ठाकुर का टिकट काटकर उस शख्स को उम्मीदवार बना दिया, जिसका ज़मीन पर उस वक़्त कोई आधार नहीं था। मीडिया में सुर्खियां थीं- कांग्रेस ने सोनिया के कुक के बेटे को दिया टिकट। दरअसल जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया था, उनके परिवार की दो पीढियां नेहरू-गांधी परिवार के लिए काम चुकी थीं।

सोनिया के कुक थे राम प्रकाश के पिता
बात है 2007 विधानसभा चुनाव की। कांग्रेस ने अर्की से प्रकाश चंद कराड़ को टिकट दिया, जिनकी उम्र उस वक़्त 37 साल थी। उनके पिता पदम राम पहले इंदिरा गांधी के कुक रहे, फिर राजीव के और फिर सोनिया गांधी के। वह विदेश मंत्रालय में काम करते थे मगर 70 के दशक में नेहरू-गांधी परिवार के यहां कुक नियुक्त हुए। 2002 में ही वह रिटायर हो गए थे मगर 10 जनपथ से उनके अच्छे रिश्ते रहे। उन्होंने डीएनए को बताया था कि उनके पिता भी नेहरू जी के यहां खाने-पीने की चीजें सप्लाई किया करते थे। कांग्रेस ने उन्हें यह यह टिकट तीन बार MLA और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे धर्मपाल ठाकुर की जगह दिया था, जिन्होंने पंचायत स्तर से राजनीति की शुरुआत की थी।

निर्दलीय लड़े थे धर्मपाल ठाकुर
टिकट कटने से धर्मपाल ठाकुर को झटका लगा था। उन्होंने इसे अन्याय करार दिया था। अर्की ब्लॉक के कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवा दल और महिला कांग्रेस आदि के कई पदाधिकारियों ने कराड़ को टिकट देने से नाराज़ होकर अपना इस्तीफा भेज दिया था। धर्मपाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और कहा- कराड़ ज़मानत भी नहीं बचा पाएंगे।

कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा
चुनाव के नतीजे आये तो बीजेपी के गोविंद राम जीत गए और निर्दलीय लड़े धर्मपाल ठाकुर दूसरे नम्बर पर रहे। कांग्रेस के उम्मीदवार प्रकाश चन्द कराड़ तीसरे नम्बर पर रहे और दस हज़ार वोट भी नहीं ले पाए। मगर कांग्रेस के वोट कटने का नतीजा ये रहा कि बीजेपी जीत गई। बीजेपी को 21168 वोट मिले, धर्मपाल को 14481 और कांग्रेस को सिर्फ 7569.

ऐतिहासिक शहर है अर्की

आखिर में पार्टी से निकाल दिए गए थे धर्मपाल
धर्मपाल ठाकुर ने 1978 में राजनीतिक जीवन शुरू किया था। सबसे पहले अर्की के युवा कांग्रेस प्रधान बने थे। 1990 से लेकर 2007 तक लगातार अर्की का बतौर विधायक प्रतिनिधित्व किया, मगर 2007 में उनका टिकट काट दिया गया। ताउम्र पार्टी के लिए काम करने वाले धर्मपाल ठाकुर को निर्दलीय लड़ने की वजह से कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर निकाल दिया था। कहते हैं यह सदमा उन्हें बहुत गहरा लगा था। चुनाव के अगले साल 2008 नवंबर में हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

इस तरह से इस सीट से धर्मपाल जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता के जाने के बाद एक वैक्यूम सा बन गया, जिससे बीजेपी को सीधा फायदा हुआ। 2007 के बाद 2012 में भी बीजेपी की जीत हुई। मगर अब वीरभद्र फिर से धर्मपाल वाला करिश्मा दोहराना चाहते हैं और यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचना चाहते हैं।

90 की उम्र में संन्यास के बाद वापसी कर सकती हैं विद्या स्टोक्स

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने बुधवार शाम को 68 में से 59 सीटों पर टिकटों का ऐलान कर दिया। जिन नौ सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा नहीं हुई, उनमें शिमला की ठियोग सीट भी शामिल है। पहले तो मुख्यमंत्री वीरभद्र ने खुद यहां से लड़ने का ऐलान किया था मगर अब वह यहां के बजाय अर्की से लड़ने जा रहे हैं। ठियोग से मौजूदा विधायक विद्या स्टोक्स हैं, जिन्होंने पारिवारिक कारणों का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। उनकी उम्र अभी 89 साल है और दिसंबर में वह 90 साल की हो जाएंगी। मगर अब जानकारी मिल रही है कि वह संन्यास से वापसी की घोषणा करते हुए फिर से ठियोग से चुनाव लड़ेंगी।

 

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने जब अपनी सीट शिमला रूरल अपने बेटे विक्रमादित्य के लिए छोड़ी थी, तभी से वह अपने लिए सुरक्षित सीट ढूंढ रहे थे। पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह अर्की का रुख कर सकते हैं। मगर बीच में जब कांग्रेस की सीनियर नेता विद्या स्टोक्स ने कहा कि वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी, तब वीरभद्र ने कांग्रेस के परंपरागत वोटरों वाली इस सीट पर नजरें टिकाईं। उन्होंने न सिर्फ यहां से लड़ने का ऐलान किया, बल्कि विद्या स्टोक्स ने उन्हें यहां आकर न्योता भी दिया था। मगर जानकारों का कहना है कि बीजेपी की तरफ से भी मजबूत कैंडिडेट होने के साथ-साथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नाराजगी और सीपीएम उम्मीदवार के जनाधार वाले तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वह भांप गए कि यहां से लड़कर जीतना टेढ़ी खीर है। ऐसे में उन्होंने अर्की से लड़ने का फैसला कर लिया।

ठियोग कांग्रेस में ये हैं हालात
मगर अब ठियोग से कौन लड़ेगा? कांग्रेस नहीं चाहती कि इस बार सीटों को यूं ही गंवाया जाए। ऐसे में किसी भी तरह की विपरीत स्थिति से बचने के लिए कांग्रेस पुराने और दिग्गज नेताओं को ही टिकट देना चाहती है। ऐसे में सूत्रों से जानकारी मिली है कि पार्टी यहां से विद्या स्टोक्स को ही उतारना चाहती है। इस वक्त यहां राजेेन्द्र वर्मा, कुलदीप राठौर और दीपक राठौर कांग्रेस के टिकट के दावेदार हैं। मगर स्टोक्स कैंप इन तीनों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। वे प्रकाश ठाकुर का नाम सुझा रहे हैं, मगर वह भी मजबूत स्थिति में नहीं हैं और उन्होंने टिकट के लिए आवेदन भी नहीं किया है। इस स्थिति में विद्या स्टोक्स फिर से यहां से चुनाव लड़ सकती हैं।

विद्या स्टोक्स

ठियोग का पॉलिटिकल ड्रामा
अगर विद्या स्टोक्स चुनावी समर में उतरती हैं तो इस बार हिमाचल की राजनीति का यह सबसे रोचक घटनाक्रम होगा। वह यूं कि सबसे पहले तो मुख्यमंत्री ने संकेत दिए कि वह ठियोग से लड़ सकते हैं। फिर कुछ समय बाद विद्या स्टोक्स ने कहा कि परिवार को समय देने के लिए वह इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगी। फिर वीरभद्र ठियोग गए और बोले कि मैं यहां से चुनाव लड़ूंगा। जब चुनाव लड़ने का ऐलान हो गया, उसके बाद जाकर स्टोक्स ने वीरभद्र को ठियोग से लड़ने का न्योता दिया। यानी ऐलान पहले, निमंत्रण बाद में। फिर मुख्यमंत्री ने ठियोग छोड़कर अर्की से लड़ने का ऐलान कर दिया और ठियोग से टिकट का ऐलान नहीं हुआ। अगर विद्या स्टोक्स यहां से चुनावी मैदान में उतरती हैं तो लगभग 90 साल की उम्र में संन्यास लेने के बाद उनका लौटना भी इस घटनाक्रम में एक रोचक कड़ी साबित होगा।

हिमाचल कांग्रेस ने जारी की उम्मीदवारों की पहली लिस्ट

नई दिल्ली।। बीजेपी के बाद अब कांग्रेस ने भी हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपनी लिस्ट जारी कर दी है। बीजेपी ने जहां सभी 68 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं, कांग्रेस ने अभी 59 उम्मीदवारों के नाम ही जारी किए हैं। यानी 9 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। इनमें शिमला रूरल भी है, जहां से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अपने बेटे विक्रमादित्य  सिंह को टिकट दिलाना चाहते हैं।

जिन सीटों पर अभी कैंडिडेट फाइनल नहीं हुए हैं, वे हैं- शाहपुर, पालमपुर, मनाली, कुल्लू, मंडी, कुटलेहड़, नालागढ़, ठियोग, शिमला ग्रामीण।

जानें, बाकी की 59 में किस सीट से कौन होगा कांग्रेस का प्रत्याशी:

1 Churah- Surinder Bhardwaj
2 Bharmour- Thakur singh Bharmouri
3 Chamba-  Neeraj Nayyar
4 Dalhousie-  Smt. Asha Kumari
5 Bhattiyat- Kuldip Singh Pathania
6 Nurpur- Ajay Mahajan
7 Indora- Kamal Kishore
8 Fatehpur- Sujan Singh Pathania
9 Jawali Chander Kumar
10 Dehra- Ms. Viplov Thakur

11 Jaswan­Pragpur- Surinder Mankotia
12 Jawalamukhi- Sanjay Rattan
13 Jaisinghpur- Yadvinder Goma
14 Sullah- Jagjivan Pal
15 Nagrota- G.S Bali
16 Kangra-  Pawan Kajal17
17 Dharamshala- Sudhir Sharma
18 Baijnath- Kishori Lal
19 Lahaul & Spiti-  Ravi Thakur
20 Banjar- Aditya Vikram Singh

21 Anni- Bansi Lal
22 Karsog- ­ SC Mansa Ram
23 Sundernagar- Sohan Lal Thakur
24 Nachan- Lal Singh Kaushal
25 Seraj-  Chet Ram Thakur
26 Darang- Kaul Singh Thakur
27 Jogindernagar- Jiwan Lal Thakur
28 Dharampur- Chander Shekhar
29 Balh- Prakash Chaudhary
30 Sarkaghat- Pawan Thakur

31 Bhoranj-  Suresh Kumar
32 Sujanpur- Rajinder Rana
33 Hamirpur- Kuldeep Pathania
34 Barsar- Inder Dutt Lakhanpal
35 Nadaun- Sukhvider Singh Sukhhu
36 Chintpurni- Kuldip Kumar
37 Gagret- Rakesh Kalia
38 Haroli- Mukesh Agnihotri
39 Una- Sat Pal Raizada
40 Jhanduta- Dr. Biru Ram Kishore

41 Ghumarwin- Rajesh Dharamani
42 Bilaspur- Bumbar Thakur
43 Sri Naina Deviji- Ram Lal Thakur
44 Arki- Virbhadra Singh
45 Doon- Ram Kumar
46 Solan- Col. Dhani Ram Shandil
47 Kasauli- Vinod Sultanpuri
48 Pachhad- Gangu Ram Musafir
49 Nahan- Ajay Solanki
50 Sri Renukaji- Vinay Kumar

51 Paonta Sahib- Kirnesh Jung
52 Shillai- Harshwardhan Chauhan
53 Chopal- Subhash Manglate
54 Kasumpti- Anirudh Singh
55 Shimla- Harbhajan Singh Bhajji
56 Jubbal ­ Kotkhai- Rohit Thakur
57 Rampur- Nand Lal
58 Rohru- Mohan Lal Brakta
59 Kinnaur- Jagat Singh Negi

बीजेपी के उम्मीदवारों के नाम जानने के लिए यहां क्लिक करें

बीजेपी की लिस्ट जारी: जानें, कौन कहां से प्रत्याशी

नई दिल्ली।। सस्पेंस खत्म हो गया है और बीजेपी के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दी गई है। इस लिस्ट में सभी 68 सीटों का नाम है। खास बात ये है इस लिस्ट में कुछ नाम मीडिया में पहले आए नामों से अलग हैं। उदाहरण के लिए धर्मशाला से किशन कपूर को टिकट दिया गया है, जबकि पहले उन्होंने टिकट न मिलने की आशंका जताते हुए कहा था कि वह हर हाल में लड़ेंगे। उनके कार्यकर्ताओं ने शक्ति प्रदर्शन भी किया था।

कुछ पार्टी नेताओं ने पहले ही नॉमिनेशन फाइल करना और टिकट मिलने का जश्न मनाना शुरू कर दिया था तो कुछ नाखुशी ज़ाहिर कर रहे थे। ये हाल तब थे जब आधिकारिक रूप से टिकटों का ऐलान नहीं हुआ था। दरअसल जिनके नाम फाइनल हो गए थे, उन्हें निजी तौर पर पार्टी ने जानकारी दे दी थी।

जानें, बीजेपी ने कहाँ से किसे उम्मीदवार बनाया गया है-

हिमाचल में वायरल हुआ सुखराम पर वरिष्ठ पत्रकार का लेख

इन हिमाचल डेस्क।। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे पंडित सुखराम और उनके परिवार के बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके ऊपर लिखा एक आर्टिकल हिमाचल प्रदेश के सोशल मीडिया सर्कल में तेजी से शेयर हो रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम का लिखा यह आर्टिकल ‘द वायर हिंदी’ पर छपा है। यह वही पोर्टल है, जिसने कुछ दिनों पहले अपनी एक स्टोरी में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के बेटे की संपत्ति बढ़ने को लेकर आर्टिकल छापा था। इस आर्टिकल ने सियासी भूचाल ला दिया था।

अजी अंजुम के इस लेख का शीर्षक है, “‘न खाऊंगा, न खाने दूंगा’ के अश्वमेध में भ्रष्टाचारी सुखराम की आहुति.”

आगे इस आर्टिकल की भूमिका में लिखा गया है, “लोहा लोहे को काटता है ये तो सुना ही था. अब हिमाचल प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए बदनाम वीरभद्र सिंह को निपटाने के लिए महाभ्रष्ट सुखराम और उनके सुपुत्र भाजपा का साथ देंगे.”

अनिल शर्मा

इस आर्टिकल में उन्होंने बीजेपी के दोहरे मापदंड पर निशाना साधा है और बताया है कि पंडित सुखराम पर क्या-क्या आरोप लगे थे और वे कैसे साबित भी हुए थे। सवाल उठाया है कि ऐसे में भ्रष्टाचार विरोधी विकल्प के तौर पर खुद को पेश करती रही बीजेपी कैसे उन्हें शामिल कर सकती है। इस आर्टिकल में अनुराग ठाकुर की सोशल मीडिया पोस्ट का स्क्रीनशॉट भी लगाया गया है।

आर्टिकल में लिखा है- “चुनाव के बाद सूबे में भाजपा की ताजपोशी होगी तो कैबिनेट मंत्री का एक ताज उन्हीं सुखराम के बेटे के सिर भी सजेगा, जो भारतीय इतिहास में करोड़ों के नोट को बिस्तर के नीचे छिपाने और नकद को नारायण मानकर पूजाघर में भगवान का दर्जा देने के लिए कुख्यात रहे हैं. डिजिटल युग में गूगल पर दर्ज सुखराम की घूसगाथा हमेशा उन्हें जिंदा रखेगी. इतिहास में देश के बड़े -बड़े रिश्वतखोरों का जब भी नाम लिया जाएगा, सुखराम का नाम सम्मान के साथ लिया जाएगा.”

पूरे आर्टिकल को पढ़ने के लिए यहां पर क्लिक करें

…और आंसुओं में छलक पड़ी प्रेम कुमार धूमल की वेदना

हमीरपुर।। प्रेम कुमार धूमल अचानक भावुक हो गए और उनकी आंखों से अश्रुधार बह निकली। हमीरपुर में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते समय न तो वह जज़्बात पर क़ाबू रख पाए और न उनके समर्थक। बीजेपी के वरिष्ठ नेता हमीरपुर के विधायक हैं और इस बार वह यहां से नहीं बल्कि सुजानपुर से चुनाव लड़ेंगे। उन्हें बीजेपी ने सीएम कैंडिडेट भी घोषित नहीं किया है।

 

हमीरपुर की जनता से धूमल का नाता टूट रहा है। वह धन्यवाद दे रहे थे लोगों और कार्यकर्ताओं को। इस बीच लोगों की आंखें नम थीं तो कुछ रो भी रहे थे। अचानक वह भी जज़्बाती हो गए। गला भर आया और आंखें डबडबा गईं।

आखिरकार उन्होंने रुमाल निकालकर आंसू पोंछे क्योंकि वे गालों से ढुलकने ही वाले थे। यह देख वहां मौजूद समर्थक भी ख़ामोश हो गए और भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश करते दिखे।

इस तरह से हमीरपुर से साथ छोड़कर धूमल अब सुजानपुर से चुनाव लड़ेंगे।

गुड़िया केस में गिरफ्तार चार आरोपी जमानत पर रिहा

शिमला।। कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस में पुलिस ने जिन संदिग्धों को गिरफ्तार किया था, अदालत ने उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया है। गिरफ्तारी के 90 दिन बाद भी इस मामले में अभी तक चालान पेश नहीं हुआ है। यही बात जमानत का आधार बनी।
मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इस मामले में एक संदिग्ध की हिरासत में मौत के मामले में आईजी समेत पुलिस एसआईटी के सदस्यों को आरोपी बनाया है, जो जेल मे हैं।
इससे पहले कोर्ट ने 13 अक्टूबर को एक आरोपी आशीष चौहान को जमानत पर रिहा कर दिया था। अब अन्य चार आरोपियों को जमानत पर पर रिहा किया है जिनके नाम दीपक, लोकजन, सुभाष और राजेंद्र उर्फ राजू हैं। पुलिस ने इन्हें 13 जुलाई को गिरफ्तार किया था।

टिकटों को लेकर बीजेपी में रोष, कहीं नारेबाजी तो कहीं इस्तीफे

शिमला।। भले ही बीजेपी की तरफ से आधिकारिक रूप से उम्मीदवारों के नाम की सूची जारी नहीं की है। मगर यह लगभग साफ हो गया है कि टिकट किसे-किसे मिलेंगे। इसी कारण विभिन्न जगहों पर जहां पार्टी के लोग जश्न मना रहे हैं, वहीं कुछ चाहवान और उनके समर्थक नाराजगी भी दिखा रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के अखबारों पर नजर डालें तो प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं, जिससे पता चलता है कि टिकट न मिलने से नाखुश समर्थक किस तरह से अपनी ही पार्टी के खिलाफ रोष प्रकट कर रहे हैं।

 

पालमपुर में इंदु गो बैक के नारे
पालमपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी नेता प्रवीण शर्मा का टिकट कटने की अटकलें चल रही हैं। इस बीच सुबह सवा दस बजे के करीब बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने शांता कुमार के घर पहुंचकर इंदु गो बैक के नारे लगाए। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि अगर प्रवीण शर्मा को पालमपुर से बीजेपी ने टिकट नहीं दिया तो मंडल के सभी पदाधिकारी अपने इस्तीफे सौंप देंगे।

 

धूमल को सीएम कैंडिडेट घोषित न करने पर इस्तीफा
पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के समर्थकों ने पार्टी हाईकमान से नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी पद से इस्तीफे दे दिए हैं। हमीरपुर भाजपा मंडल महामंत्री हरीश शर्मा ने मंडल भाजपा अध्यक्ष बलदेव धीमान को अपना इस्तीफा सौंप दिया। उन्होंने कहा कि धूमल ने विकास के नए आयाम स्थापित किए हैं और अब विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के बाद पार्टी शीर्ष नेतृत्व उन्हें प्रदेश का नेतृत्व सौंपने में आनाकानी कर रहा है।

 

धर्मशाला में किशन कपूर समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन
धर्मशाला में पूर्व मंत्री किशन कपूर समर्थकों ने बगावती सुर दिखा दिए हैं। रविवार देर शाम हुई नारेबाजी के बाद सोमवार को दाड़नू ग्राउंड में किशन कपूर के समर्थकों ने शक्ति प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने कपूर के समर्थन में नारेबाजी की और कहा कि संगठन किसी भी सूरत में पैराशूटी उम्मीदवार को स्वीकार नहीं करेगा। यही नहीं उन्होंने चेतावनी दी कि अगर ऐसा हुआ तो संगठन पैराशूटी उम्मीदवार को जिता कर दिखाए।

 

मंडी में बीजेपी कार्यकर्ताओं में नाराजगी
कांग्रेस नेता अनिल शर्मा के बीजेपी में शामिल होने के बाद मंडी बीजेपी मंडल के कार्यकर्ताओं ने बैठक करके हाईकमान को चेयाता था कि अगर इस फैसले पर पुनर्विचार नहीं किया गया तो मंडल अनिल शर्मा की जीत या हार के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। यही नहीं, कुछ का कहना था कि वे इस्तीफा दे देंगे।

ठियोग में डोला वीरभद्र का आत्मविश्वास, दोबारा अर्की से लड़ने के संकेत

शिमला।। इस बीच जहां कांग्रेस इस बात को लेकर माथापच्ची कर रही है कि कहां से किसे उतारा जाए, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद अपनी सीट तय नहीं कर पाए हैं। पिछले ही दिनों ठियोग से लड़ने का ऐलान करने वाले मुख्यमंत्री ने एक बार फिर कहा है कि वह अर्की से चुनाव लड़ सकते हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि वीरभद्र सिंह अब ठियोग से लड़ने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं? वह भी तब, जब वह खुद इसका ऐलान कर चुके थे और रविवार को विद्या स्टोक्स समेत कई कांग्रेस नेता उन्हें ठियोग से लड़ने का ‘न्योता’ भी दे चुके थे।

 

इंग्लिश अखबार द ट्रिब्यून से बात करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा, “मैं अर्की से लड़ने की भी सोच रहा हूं, जहां से हम लगातार दो टर्म्स से हारते आ रहे हैं। मैं जल्द ही अपनी सीट तय करूंगा। मगर मैं या तो अर्की से लड़ूंगा या फिर ठियोग से। दोनों से नहीं लड़ूंगा।”

 

कांग्रेस के बागी बने परेशानी
दरअसल वीरभद्र के अचानक ठियोग से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कांग्रेस के एक धड़े ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि इस तरह  का फैसला लेने से पहले पुराने कांग्रेसियों को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा था कि संगठन हें भेड़-बकरियों की तरह नहीं हांक सकता। उन्होंने सोमवार को एक बैठक भी की। नाराज कांग्रेसियों ने तय किया है कि वे सीपीएम उम्मीदवार को समर्थन करेंगे।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (File Pic)

ठियोग में कड़ी चुनौती
ठियोग में पिछली बार विद्या स्टोक्स को बीजेपी उम्मीदवार राकेश वर्मा ने कड़ी चुनौती दी थी। वह करीब 3500 वोटों के मार्जन से ही जीत पाई थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब वह खुद नहीं लड़ेंगी तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उनका पारंपरिक वोट कांग्रेस के उम्मीदवार की तरफ ही शिफ्ट होगा।

विद्या स्टोक्स

दरअसल ‘मैड स्टोक्स’ का इलाके में अपना रुतबा है और उनके अपने वोट हैं। साथ ही वीरभद्र सिंह से उनकी राइवलरी भी जगजाहिर रही है। ऊपर से उन नाराज कांग्रेसियों का गुस्सा भी झेलना पड़ सकता है जो ऐलान कर चुके हैं कि वे पार्टी के साथ खड़े नहीं होंगे।

 

राकेश सिंघा का प्रभाव
इसके साथ ही यहां से चुनाव लड़ने जा रहे सीपीएम नेता राकेश सिंघा का शिमला और आसपास के इलाकों में अच्छी पहचान है। वह अच्छे खासे वोट भी बटोरते रहे हैं  और शिमला से विधायक भी रह चुके हैं। उनकी युवाओं में भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में उनकी तरफ जो वोट आएंगे, वे कांग्रेस के पारंपरिक वोट ज्यादा होंगे।

राकेश सिंघा की युवा वर्ग में भी अच्छी-खासी लोकप्रियता है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन तमाम फैक्टर्स को ध्यान में रखें तो स्टोक्स के अलावा किसी और के लिए कांग्रेस के लिए सीट निकालना यहां से आसान नहीं होगा। शायद यही वजह है कि वीरभद्र एक बार फिर अर्की का रुख करने की बात कर रहे हैं।

13 साल के संघर्ष के बाद दिल्ली में लावारिस मरे हिमाचल के रविंदर

इन हिमाचल डेस्क।। दिल्ली के कनॉट प्लेस के पास कस्तूबरा गांधी मार्ग पर हिंदुस्तान टाइम्स हाउस के बाहर एक टेंट में रहने वाले रविंदर सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। न्यूज़ लॉन्ड्री के मुताबिक वह हिंदुस्तान टाइम्स अखबार के प्रिंटिंग डिविजन में काम करते थे मगर 2004 में उन्हें और 361 अन्य लोगों को नौकरी से निकाल दिया गया था। तभी से वह संघर्ष कर रहे थे और चाहते थे कि उन्हें उनका हक मिले। इसी उम्मीद में उन्होंने हिंदुस्तान टाइम्स की गगनचुंबी इमारत के बाहर सबवे पर डेरा डाल दिया था।

 

पीले रंग के तंबू के नीचे रहने वाले रविंदर सिंह जिन्हें लोग अक्सर ठाकुर साहब कहते थे, यहीं पिछले कई सालों से डटे हुए थे। पेड़ों के नीचे सोया करते थे। वे कहते थे कि एक दिन जरूर मुझे मेरा हक मिलेगा। मगर उनका सपना पूरा नहीं हो पाया। गुरुवार सुबह एक हॉकर ने देखा कि वह मृत पड़े हैं। यहां के लोग कहते हैं कि उनके बिना यह जगह सूनी लगेगी।

 

विडंबना यह है कि उनका शव लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल की मॉर्चुअरी में पड़ा हुआ है। पुलिस का कहना है कि उनके परिजनों का पता नहीं चल रहा। पोस्टमॉर्टम अड्रेस वेरिफाई करने के बाद ही होगा। 62 साल के रविंदर सिंह हिमाचल प्रदेश के बताए जाते हैं मगर पिछले कई सालों से वह परिवार से नहीं मिले।

Pic Credit: News Laundry

वह इस दुनिया में नहीं हैं मगर उनके संघर्ष वाले पोस्टर अब भी लगे हुए हैं। उनके साथ निकाले गए कर्मचारियों ने पुलिस से गुजारिश की है अगर कोई परिजन नहीं मिलता है तो शव उनके हवाले कर दिया जाए। वे कहते हैं कि रविंदर के पिता रंगील सिंह थे और वह भी एचटी में सिक्यॉरिटी गार्ड थे।

 

अगर आपमें से किसी को रविंदर सिंह (62 वर्ष), सुपुत्र श्री रंगील सिंह का पता चलता है जो दिल्ली में एचटी में कार्यरत थे तो जरूर जानकारी देने के लिए आगे आएं।