हिमाचल: बिना मास्क आम लोगों का ही चालान क्यों कर रही है पुलिस?

पिछले दिनों कोरोना संक्रमित रहे महेंद्र सिंह ठाकुर ने ये तस्वीर 24 अक्तूबर सुबह 11 बजे अपने फेसबुक पेज पर शेयर की है। इस लेख के प्रकाशित होने से मात्र दो घंटे पहले।

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों से आए दिन खबरें आती हैं कि वहां पर पुलिस ने बिना मास्क घूम रहे इतने लोगों का चालान किया। पुलिस की यह कार्रवाई काबिल-ए-तारीफ है। जो लोग लापरवाही बरत रहे हैं, नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं, उनपर कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि ऐसे लोग न सिर्फ अपनी, बल्कि अपने परिवार और बाकियों की जान भी खतरे में डाल रहे हैं। लेकिन ऐसा ही कर रहे कितने नेताओं, मंत्रियों, विधायकों और सांसदों का चालान अब तक काटा गया है?

कोरोना ऐसा अजीब वायरस है जो कुछ लोगों को ज्यादा बीमार नहीं करता तो कुछ लोगों की जान तक ले लेता है। खतरा उन्हें बहुत ज्यादा है जो बुजुर्ग हैं या फिर अन्य किसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं। मगर सोशल मीडिया पर मौजूद भ्रामक जानकारी के कारण कुछ युवा यह मानने लग गए हैं कि कोरोना जानलेवा नहीं है और ऐसे ही माहौल बनाया जा रहा है। इसी सोच के कारण आज हिमाचल में भी यह स्थिति पहुंच गई है कि हर दिन मौतें हो रही हैं।

ऐसे लापरवाह लोगों को अपनी जान की परवाह न हो, कोई बात नहीं। मगर वे खुद संक्रमित होने पर बाकी लोगों को संक्रमित करके वायरस का फैलाव बढ़ा सकते हैं जिससे बाकियों की जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में इस तरह के लोगों का चालान काटकर जुर्माना भरना मामूली सजा है। इनके ऊपर भारी आर्थिक दंड लगाने के साथ अन्य संबंधित धाराओं में मुकदमा भी दर्ज होना चाहिए।

देखने को मिल रहा है कि पुलिस कुछ मामलों में तो अपनी ड्यूटी अच्छे से निभा रही है। लेकिन सवाल उठता है कि जब बड़े-बड़े कार्यक्रमों, रैलियों और आयोजनों में सत्ताधारी पार्टी और विपक्षी दलों के नेता बिना मास्क नजर आते हैं तो वहां पर मौजूद पुलिसकर्मी हाथों पर हाथ बांधे क्यों खड़े रहते हैं? जब सरकार के मंत्री और विधायक इधर-उधर बिना मास्क दिखते हैं, तब वहां मौजूद पुलिसकर्मियों को सांप क्यों सूंघ जाता है?

ऐसे कई उदाहरण आपको मिल जाएंगे जहां पर इन नेताओं, विधायकों, मंत्रियों और सांसदों ने बिना मास्क भीड़ के बीच घूमते हुए अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर भी पोस्ट की हैं। फिर भी पुलिस की ओर से न कोई हिदायत देखने को मिलती है और न कोई चेतावनी। अब तक प्रदेश भर में असंख्य लोगों के चालान बिना मास्क घूमने के लिए काटे जा चुके हैं मगर इनमें एक भी मंत्री, विधायक और बड़ा राजनेता नहीं है। ऐसा क्यों?

क्या राजनेता कोरोना के प्रति इम्यूनिटी हासिल कर चुके हैं? अगर कर चुके होते तो इतनी बड़ी संख्या में विधायक और मंत्री कोरोना पॉजिटिव न होते। फिर क्यों पुलिस को वे नियमों का उल्लंघन करते हुए दिखाई नहीं देते? जैसे ये राजनेता देश और जनता के सेवक हैं, वैसे ही पुलिस भी देश और जनता की सेवक है। दोनों की अपनी भूमिकाएं हैं। पुलिस इस देश और संविधान के प्रति जवाबदेह है, राजनेताओं के प्रति नहीं। फिर भी क्यों पुलिसकर्मी या अधिकारी इस मामले में अपने कर्तव्य का निष्पक्षता से पालन नहीं करते।

क्या हो जब कल को हिमाचल की जनता अपने फोन पर मंत्रियों और राजनेताओं के ताजा कार्यक्रमों की तस्वीरें लेकर बिना मास्क घूमें और पुलिसवाले पूछें कि आप मास्क नहीं पहना तो कहें- ये देखो तस्वीरें, आपकी ड्यूटी तब कहां जाती है जब ये नेता फ्लां तारीख को फ्लां जगह बिना मास्क नियम तोड़ रहा था, इस पर भी कार्रवाई की? हमें यकीन है कि अगर कोई ऐसा करेगा तो पुलिसकर्मियों का आत्मसम्मान नहीं जागेगा बल्कि स्वाभिमान को ठेस पहुंचेगी और वे आईना दिखाने वाले व्यक्ति को ही निशाना बनाने लगेंगे।

इसलिए, हिमाचल पुलिस को चाहिए की दोहरे मापदंड न अपनाए। उदाहरण पेश करना है तो नेताओं के भी चालान काटे। उससे समाज को भी संदेश जाएगा। यह जिम्मेदारी पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों की है कि वे पहल करें और अपनी फोर्स का मनोबल भी बढ़ाए। वरना नेता वही करेगी जो सरकार में बैठे लोग कर रहे हैं। कानून अगर सबके लिए समान है तो यह पुलिस की जिम्मेदारी है कि उसका पालन भी समानता से करे। अपना फर्ज निभाए और सभी को एक नजर से देखे।

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