मुख्यमंत्री वीरभद्र के बेटे विक्रमादित्य के प्रमोशन पर सरकारी पैसा खर्च हो रहा है?

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में मौजूदा कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के युवाओं को तो बेरोजगारी भत्ते के लिए लाइनों में खड़ा करवा दिया मगर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे का राजनीतिक करियर सेट करने के लिए पैसा पानी की तरह बहाया जा रहा है। वह सरकारी पैसा जो करदाताओं यानी आम जनता की जेब से जाता है। जी हां, यह कोई अतिशयोक्ति या खोखला आरोप नहीं बल्कि प्रत्यक्ष दिख रही बात है। फेसबुक पर एक प्रोफाइल है- Shimla Grameen. इस प्रोफाइल पर हिमाचल प्रदेश यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह की तस्वीर प्रोफाइल पिक्चर लगी है और कवर पेज पर उनके साथ वीरभद्र सिंह भी हैं। डिस्क्रिप्शन में लिखा है- Official profile of Shimla Rural constituency. यह अनोखी बात है कि कब से विधानसभा क्षेत्रों की ऑफिशल प्रोफाइल्स बनने लग गई। खैर, जो भी हो। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें एक वीडियो शेयर किया गया है- शिमला ग्रामीण के विकास की दास्ताँ !!! समय निकाल कर देखे और आपने विचार COMMENT BOX मैं लिखे !!! इस वीडियो को विक्रमादित्य सिंह बुशहर पेज पर भी शेयर किया गया है और साथ में लिखा गया है- कन्धों से मिलते है कंधे क़दमों से क़दम मिलते हैं, हम चलते है जब ऐसे तो दिल दुश्मन के हिलते हैं।।।

हिलना-विलना तो ठीक है मगर इस वीडियो में विक्रमादित्य का प्रमोशन किया गया है और बताया गया है कि कैसे वह तीन दिन पूरे इलाके में घूमे। इसमें उनकी साउंड बाइट भी है जिसमें वह कह रहे कि मुझे लोगों से मिलने का मौका मिला। वीडियो के आखिर में वॉइस ओवर में बताया गया है कि कैसे शिमला ग्रामीण के लोगों को अब एक चेहरे (विक्रमादित्य) में उम्मीद और विश्वास दिख रहा है। बात यहां तक होती तो कोई दिक्कत नहीं होती क्योंकि प्रचार के लिए वीडियो बनाना गलत नहीं है। कोई भी इस तरह का प्रमोशनल वीडियो बना सकता है। मगर ध्यान देने वाली बात यह है कि इस वीडियो में हिमाचल प्रदेश सरकार की सील यानी मुहर लगी हुई है।

वीडियो में हिमाचल सरकार की मोहर लगी हुई है (लेफ्ट टॉप कॉर्नर)

सरकारी सील को निजी तौर पर यूज नहीं किया जा सकता
गौरतलब है कि यह सील सरकार की आधिकारिक मुहर है और इसे कोई भी थर्ड पार्टी और खासकर राजनीतिक व्यक्ति अपने फायदे के लिए किसी कॉरस्पॉन्डेंस में इस्तेमाल नहीं कर सकता और निजी वीडियो में यह दिखाने के लिए लोगों की तरह नहीं लगा सकता कि यह सरकार द्वारा प्रमाणित वीडियो है। इस वीडियो में सरकारी मुहर लगाने का मतलब या तो यह है कि हिमाचल सरकार के किसी विभाग ने ऑफिशली इस वीडियो को बनाया है और इसीलिए अपनी मुहर को लोगो के तौर पर इस्तेमाल किया है। यदि ऐसा है तो यह सरासर गलत है क्योंकि इसमें सरकार के कार्यों का नहीं, बल्कि एक व्यक्ति, सत्ताधारी पार्टी के पदाधिकारी और मुख्यमंत्री के परिजन का प्रमोशन किया गया है और वह भी उस जगह के संबंध में, जहां का वह विधायक तक नहीं है। और अगर अपनी मर्जी से लगा दिया गया है तब तो और गलत है और मामला कानूनी चौखट तक जा सकता है।

इस वीडियो को बनाने में सरकारी पैसा खर्च हुआ है तो गलत है
इतना तय हो जाता है कि इस वीडियो को उसी ने बनाया है, जिसने उस वीडियो को बनाया था जिसमें मुख्यमंत्री का प्रचार किया गया था। यानी पिता और पुत्र दोनों के प्रचार करने वाले वीडियो एकसाथ बनाया गया है क्योंकि दोनों के पब्लिश होने में कुछ ही घंटों का अंदर है, दोनों का स्टाइल एक जैसा है और वॉइस ओवर भी एक ही शख्स ने किया है। आदर्श स्थिति तो यह है कि निजी प्रमोशन के लिए कोई भी सरकारी पैसा खर्च नहीं कर सकता। मगर चूंकि वीरभद्र मुख्यमंत्री हैं और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकारी विज्ञापनों में उनका चेहरा इस्तेमाल हो सकता है, इसलिए कोई यह तर्क दे सकता है कि उनके वीडियो में सरकार की उपलब्धियां गिनाई गई हैं। मगर जो वीडियो विक्रमादित्य पर बना है, उसमें किसी भी आधार पर सरकारी पैसा खर्च नहीं हो सकता और न ही सरकारी मुहर इस्तेमाल की जा सकती है। आप नीचे खुद देखें वीडियो और बताएं कि यह सरकारी पैसे का दुरुपयोग करना है या नहीं। (UPDATE: नीचे आपको वीडियो नहीं दिखेगा क्योंकि उसे विक्रमादित्य ने डिलीट कर दिया है। यहां क्लिक करके पढ़ें अपडेटेड न्यूज)

बहरहाल, साफ नजर आ रहा है कि सरकार निजी फायदे के लिए सरकारी मशीनरी और पैसे का भी दुरुपयोग कर रही है। जहां प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है, प्रदेश के बच्चों का भविष्य बर्बाद है, वहां पर सराकरी पैसे से ही मुख्यमंत्री के बेटे और कांग्रेस के नेता के प्रचार वाले वीडियो बन रहे हैं। यह गैर-कानूनी तो है ही, शर्मनाक भी है।

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