अनार की बागवानी से कई लोगों की किस्मत बदल चुके हैं कुल्लू के एच.एस. पाल

इन हिमाचल डेस्क।। आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं उस शख्सियत से जिससे हिमाचल प्रदेश को बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है। जिस दौर में रोजगार का संकट सबसे विकराल नजर आ रहा है, उस दौर में स्व-रोजगार ही एक विकल्प नजर आता है। स्वरोजगार में बागवानी की भी बड़ी भूमिका हो सकती है और उसके जरिए आप न सिर्फ पैसा बल्कि नाम भी कमा सकते हैं। इसकी मिसाल हैं कुल्लू जिले के बजौरा के पास थरास गांव के होतम सिंह पाल जो अनार उत्पादक हैं और 13 बार सम्मान हासिल कर चुके हैं।

पाल ने 1969 के दौर में अनार के कुछ पौधे रोपे थे। फिर अनार पैदा हुए तो ललक बढ़ी कि क्यों न अनार उत्पादन को ही बड़े स्तर पर बढ़ाया जाए। फिर वह आगे बढ़ते रहे और धीरे-धीरे करके अनार के पौधे रोपते रहे। अच्छी बात यह रही कि उन्होंने एक ही किस्म नहीं बल्कि कई किस्मों के अनार उगाए। इनमें गणेश, कांधारी और सिंदूरी जैसी किस्में शामिल थीं। आखिर में उन्होंने देखा कि अपने इलाके में सबसे कामयाब किस्म है कांधारी अनार की। उन्होंने इसी पर फोकस किया और कामयाबी के कीर्तिमान बनाते रहे।

कंधारी अनार उगाने में सफलता मिली

शिक्षा विभाग में अफसर रहे एचएस पाल आज भी अफना ज्यादातर समय बागीचों में गुजारा करते हैं। बीते साल अनार की कीमतें काफी ऊंची रहीं। अक्टूबर महीने में वह अनार की फसलों को बाजार पहुंचाने में जुटे रहे। साल 1973 की बात है जब उन्होंने खुद अपने बागीचों में उगाए अनार को दशहरा उत्सव में बागवानी विभाग की ओर से लगाई प्रदर्शन में सजाया था। यहां उन्हें बेहतरीन पैदावार के लिए बागवानी विभाग की ओर से पहला पुरस्कार भी मिला था। अब तक वह अनार उत्पादन के लिए विभिन्न मंचों से 13 बार पुरस्कृत हो चुके हैं।

H.S. Pal

पाल बताते हैं कि 1969 में जब उन्होंने अनार उगाए थे तो लोगों ने ध्यान नहीं दिया। मगर जब पौधों में फल लगने शुरू हुए तो अन्य लोगों ने भी आकर्षित होकर इस तरफ ध्यान दिया। अनार का उत्पादन और लोग भी करने लगे तो नजदीक ही सब्जी मंडियां खुलने से अनार को अच्छा बाजार मिल गया। फल आसानी से बिकने लगे और लोगों को और प्रोत्साहन मिला। आज कई लोग अनार उगाकर पैसा कमा रहे हैं।

सेवानिवृति के बाद पाल भी अनार उगाकर अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। उन्होंने यह सलाह भी दी कि बागवानी जैसे कामों में विशेषज्ञों से मदद जरूर लेनी चाहिए और हर साल लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मिट्टी का भी परीक्षण करवाना चाहिए। ऐसा नहीं कि मन किया तो देखा-देखी में कुछ भी उगाने लग गए। इस तरह की लापरवाही नुकसान भी करवा सकती है।

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