सरकार के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं, जिससे पता चले ऑक्सीजन की कमी से कितनी मौतें हुईं

नई दिल्ली।। कोरोना की दूसरी लहर में हजारों लोगों ने अपने करीबियों को खोया है। कई लोगों की मौत तो स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और ऑक्सीजन न मिलने के कारण हुई है। ऑक्सीजन की कमी की वजह से बहुत से लोगों ने अपनों को अपने सामने दम तोड़ते देखा। लेकिन केंद्र सरकार ने संसद में कहा है कि ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई। हालांकि केंद्र सरकार ने ये भी कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और ये जानकारी राज्यों से मिले आंकड़ों पर ही आधारित है।

ऑक्सीजन या फिर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी से एक भी मौत न होने के बाद हर कोई अलग-अलग तर्क दे रहा है।स्वास्थ्य विशेषज्ञों को इसे लेकर जरा भी हैरानी नहीं है। क्योंकि इन्हें पहले से ऐसे जवाब की उम्मीद थी। इसके पीछे कारण है कि केंद्र और राज्य सरकारों के पास ऐसा कोई सिस्टम ही नहीं है जिसके आधार पर बताया जाए कि दूसरी लहर में कितने लोगों की मौत ऑक्सीजन न मिलने या अस्पताल में भर्ती नहीं होने से हुई?

हालांकि सरकारों के पास अस्पतालों का ब्यौरा मौजूद है। इस ब्यौरे को ऑडिट करवाया जा सकता है। लेकिन बहुत से लोगों की मौत अस्पतालों के बाहर व घरों में भी हुई है। जिसे इन कागजों तक लाना काफी मुश्किल है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने सरकार के इस बयान पर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया है। पात्रा ने कहा कि यह रिपोर्ट राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए आंकड़ों पर आधारित है। किसी भी राज्य ने ऑक्सीजन की कमी को लेकर हुई मौत पर कोई आंकड़ा नहीं भेजा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री ने राज्यों द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर ही सदन में यह बात कही थी। केंद्र खुद डेटा तैयार नहीं करता है।

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