इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश में दावत के दौरान दी जाने वाली धाम को खाने का मजा ही कुछ और है। विभिन्न व्यंजनों वाले इस भोज को हम चटखारे लेकर तो खाते ही हैं, अब पता चला है कि सेहत के लिए यह फायदेमंद है। एक रिसर्च में यह बात निकलकर सामने आई है।

क्षेत्रीय आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान फॉर न्यूट्रीशल डिसऑर्डर, मंडी के रिसर्च में मंडयाली धाम को आयुर्वेदिक आहार बताया गया है। रिसर्च में पाया गया कि धाम पकाने से लेकर परोसने तक के पीछे वैज्ञानिक दृष्टिकोण है। सेहत के लिए इसे गुणों की खान माना गया है।

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सबसे पहले बूंदी मीठा, फिर सेपू बड़ी और झोल फूड वैल्यू बढ़ा देता है। शोध के बाद संस्थान अब धाम को पेटेंट करवाने के लिए आवेदन करेगा। सहायक निदेशक एवं अनुसंधान अधिकारी डॉ. ओम शर्मा का कहना है कि अब मंडयाली धाम को पेटेंट करवाने के लिए आवेदन किया जा रहा है।

रिसर्च में कहा गया है कि फूड वैल्यू को देखते हुए धाम अपने आप में एक अनूठा आहार है। इसे परोसने का तरीका भी अनूठा है। हरी पत्तलों और हाथ से धाम खाने का जो लाभ शरीर को मिलता है, वह प्लास्टिक से बनी प्लेटों और चम्मच से खाने से नहीं मिलता।

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धाम पत्तलों पर परोसी जाती है। मंडयाली धाम में सबसे पहले बूंदी मीठा परोसा जाता है। इसे लोकल बोली में बदाणा कहा जाता है। उसके बाद सेपू बड़ी, कद्दू खट्टा, कोल का खट्टा, दाल और झोल परोसा जाता है। इसे टौर के हरे पत्ते से बनी पत्तलों पर परोसा जाता है जिससे इसकी फूड वैल्यू और बढ़ जाती है।

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संस्थान के सहायक उपनिदेशक एवं अनुसंधान अधिकारी डॉ. ओम राज शर्मा की अगुवाई में इसी संस्थान के सुमित गोयल, दीप शिखा आर्य, विनीता नेगी, विकास नरयाल और प्रशांत शिंदे की टीम ने मंडयाली धाम के हर पहलू पर शोध किया है। शोध पत्र जनरल इंटरनेशनल जनरल ऑफ एडवांस रिसर्च के फरवरी अंक में प्रकाशित हो गया है।

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