‘बीजेपी MLA के कहने पर नेगेटिव बता सामान्य वॉर्ड में भर्ती कर दी संक्रमित महिला’

भाजपा विधायक अरुण मेहरा

कांगड़ा।। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले के नगरोटा बगवां में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़, स्थानीय विधायक अरुण कूका मेहरा के कहने पर नगरोटा बगवां अस्पताल प्रबंधन ने कोरोना से संक्रमित 60 साल की महिला को सामान्य वॉर्ड में भर्ती कर दिया गया और वह भी ‘नेगेटिव’ बताकर।

यह जानकारी सामने आई है कि भर्ती की गई महिला विधायक के पीए की पहचान वाली हैं। यही नहीं, इस संबंध में खबर कवर करने वाले अमर उजाला अख़बार के पत्रकार के मुताबिक़, विधायक के पीए ने उन्हें खुद फोन कर धमकी भरे लहजे में कहा कि ‘मरीज पपरोला अस्पताल से निगेटिव होकर आया था और मरीज घर में है।’ वहीं अस्पताल प्रशासन इस मामले में गोलमोल बातें कर रहा है और महिला की नेगेटिव रिपोर्ट पेश नहीं कर पाया।

नगरोटा बगवां अस्पताल सरकार की ओर से कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए अधिसूचित नहीं किया गया है। फिर भी स्थानीय विधायक का कहना है कि उन्होंने कई कोरोना मरीजों का इलाज इस अस्पताल में किया है। यह दिखाता है कि कैसे अस्पताल के पूरे स्टाफ को खतरे में डाला जा रहा है क्योंकि कोविड अस्पतालों में मरीजों की देखभाल के लिए विशेष इंतजाम किए जाते हैं जो कि अन्य अस्पतालों में नहीं होते।

क्या है मामला
कोरोना से संक्रमित महिला 20 से 26 मई तक नगरोटा अस्पताल में रही और स्टाफ उसे सामान्य मरीज समझकर इलाज करता रहा। जब उन्हें इसकी जानकारी मिली तो उनके होश उड़ गए। अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, जब इस बारे में सवाल किए गए तो अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को डिस्चार्ज कर दिया।

इस महिला की रिपोर्ट आयुर्वेदिक अस्पताल पपरोला में 15 मई को पॉज़िटिव आई थी। फिर मरीज के परिजनों ने 19 मई को वहां से महिला को डिस्चार्ज किया और नगरोटा अस्पताल ले आए। खबर के अनुसार, नगरोटा में बनी पर्ची पर लिखा गया कि मरीज 15 मई को पॉजिटिव आया है। लेकिन इसे 20 मई को नेगेटिव बताकर दाखिल कर लिया गया। एडमिशन फाइल पर मरीज को पोस्ट कोविड दर्शाया गया है जबकि इलाज के दौरान फाइल पर डॉक्टर ने जो दवाइयां लिखीं, वे वही हैं कोरोना के मरीजों को दी जा रही हैं।

ध्यान देने की बात यह है कि रिपोर्ट पॉजिटिव पाए जाने के चार दिन बाद तक मरीज़ संक्रमित रहता है और संक्रमण फैलने की स्थिति में रहता है। हिमाचल प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग के सख्त निर्देश हैं कि रिपोर्ट आने के 17 दिन बाद तक मरीज आइसोलेट रहे और उसके बाद ही उसे पूरी तरह संक्रमण मुक्त माना जाएगा। मगर इस मामले में ऐसे किसी नियम का पालन नहीं हुआ। ऊपर से अस्पताल प्रबंधन मामले को दबाने की कोशिश करता दिख रहा है।

क्या कहता है अस्पताल
इस संबंध में अस्पताल के एसएमओ हरि राज ने कहा कि उनके पास मरीज की नेगेटिव रिपोर्ट थी, इसलिए भर्ती किया गया। उन्होंने कहा कि मरीज को सांस लेने में समस्या थी। लेकिन वह इस मरीज की नेगेटिव रिपोर्ट पत्रकार को दिखा नहीं पाए। वहीं सीएमओ जीडी गुप्ता ने कहा कि इस मामले में जांच शुरू कर दी है। उन्होंने कहा यह भी कि नगरोटा बगवां अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज के लिए अधिसूचित नहीं किया गया है।

क्या कहते हैं विधायक
स्थानीय बीजेपी विधायक अरुण कूका मेहरा ने कहा कि अपने इलाके के हर शख्स की जान बचाना उनका फर्ज है। उन्होंने कहा, “बात मेरे पीए के मरीज की नहीं है, मैं हर आम आदमी का इलाज करवा रहा हूं। हमने कोरोना मरीजों के लिए नगरोटा बगवां अस्पताल में 10 बेड लगाए हैं। यहां पर हमने कई कोरोना मरीजों का इलाज किया है।”

विधायक के इस बयान को लेकर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि जब तक सरकार आधिकारिक रूप से किसी अस्पताल को कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए इजाजत न दे, वहां पर संक्रमित मरीज भर्ती नहीं किए जा सकते। वहीं अस्पताल के एसएमओ का कहना है कि मरीज की रिपोर्ट नेगेटिव थी मगर विधायक कह रहे कि उन्होंने कई संक्रमितों का इलाज अस्पताल में करवाया है।

इस बीच अस्पताल स्टाफ के बीच डर और चिंता का माहौल बना हुआ है जो राजनीतिक दखल के कारण असुरक्षित माहौल में काम करने को मजबूर हैं।

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