उद्धव ठाकरे के ‘गांजे की खेती’ वाले बयान पर क्या बोलीं कंगना?

शिमला।। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में कंगना रणौत की ओर से बॉलिवुड के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम देखते ही देखते मुंबई या महाराष्ट्र बनाम हिमाचल प्रदेश की जंग बन गई है। पहले जहां कंगना ने मुंबई की तुलना पीओके से ही थी, अब उद्धव ठाकरे ने इशारों में कहा है ‘हिमाचल में गांजे की सबसे ज्यादा खेती होती है।’

दरअसल कंगना ने सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद फिल्म इंडस्ट्री के ड्रग्स की गिरफ्त में होने का दावा किया था। बाद में कंगना रणौत की ओर से महाराष्ट्र की शिवसेना सरकार को लेकर निशाना साधने और फिर मुंबई में उनके ऑफिस पर बुलडोज़र चलने के बाद मामले ने राजनीतिक रंग ले लिया।

केंद्र सरकार ने जहां कंगना को उच्च दर्जे की सिक्यॉरिटी दे दी, साथ ही हिमाचल बीजेपी ने खुलकर कंगना का समर्थन करते हुए उन्हें ‘हिमाचल की बेटी’ का तमगा देते हुए रैलियां निकालीं और समर्थन किया। इस बीच जब कंगना ने मुंबई के हालात की तुलना पीओके से की थी तो जवाब में अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर ने भी हिमाचल प्रदेश में नशे की बहुलता को लेकर निशाना साधा था। बाद में कंगना ने उर्मिता को सॉफ्ट पॉर्न स्टार तक कह दिया।

इस बात को लंबा समय हो गया मगर कंगना की ओर से और शिवसेना नेताओं की ओर से एक-दूसरे पर बयानबाजी और हमलों का सिलसिला जारी रहा। टीवी चैनलों से इतर ट्विटर और बाकी सोशल मीडिया पर भी यह जंग जारी रही। इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आ गया जब रविवार को शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने नाम लिए बिना कंगना पर निशाना साधा।

उद्धव ठाकरे ने क्या कहा?
महाराष्ट्र के सीएम ने कहा, “कुछ लोग मुंबई रोजी-रोटी के लिए आते हैं और इसे पीओके बताकर गाली देते हैं। वे ऐसी तस्वीर बनाना चाहते है कि मुंबई पीओके है और यहां हर जगह ड्रग्स लेने वाले लोग हैं। वे कुछ इस तरह की तस्वीर बनाना चाहते हैं। वे नहीं जानते हैं कि हम अपने घरों में तुलसी उगाते हैं, गांजा नहीं। गांजे के खेत आपके राज्य में है, आप जानते हो कहां, महाराष्ट्र में नहीं।”

कंगना ने क्या टिप्पणी की?
अब कंगना ने कंगना ने ट्विटर पर जवाब देते हुए लिखा, ”मुख्यमंत्री आप बहुत तुच्छ व्यक्ति हैं। हिमाचल को देव भूमि कहा जाता है, यहां सबसे अधिक संख्या में मंदिर हैं और क्राइम रेट शून्य है। हां, यहां की जमीन बहुत उपजाऊ है, यह सेब, कीवी, अनार और स्ट्रॉबेरी की उपज होती है, यहां कोई कुछ भी उगा सकता है।”

बेबुनियाद बयानबाजी
इस तरह से यह पूरा का पूरा मामला अब दो जगहों के बीच की लड़ाई बनता जा रहा है। हालांकि, ध्यान देने की बात यह है कि इस राजनीतिक विवाद से बिना वजह देश के लोगों में विभाजन की लकीर खिंच रही है। क्योंकि दो लोगों या संगठनों की लड़ाई को राज्यों के बीच लड़ाई बनाना किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है। समस्या की बात यह है कि दोनों पक्ष अब अनाप-शनाप बयानबाजी कर रहे हैं।

जहां तक उद्धव और कंगना के दावों की बात है, दोनों के ही दावे पूरी तरह सच नहीं हैं। भांग के पौधे प्राकृतिक रूप से हिमाचल प्रदेश में बहुतायत में पाए जाते हैं। इसके लिए भौगोलिक परिस्थितियां जिम्मेदार हैं। इसलिए यह कहना उचित नहीं कि हिमाचल में गांजे के खेत हैं।

हालांकि, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कुछ लोग इसकी खेती करते हैं और कारोबार भी। हिमाचल की कुछ जगहें इसके लिए बदनाम  भी हैं। हिमाचल बेशक देवभूमि है, यहां सबसे अधिक मंदिर हैं मगर यह भी सच्चाई है यह नशे के चंगुल में आता जा रहा है।

कंगना का यह दावा भी सही नहीं कि हिमाचल में क्राइम रेट भी शून्य नहीं है। बाकी अपराध तो हैं ही, सिर्फ भांग के अवैध उत्पादों के मामलों की ही बात करें तो हिमाचल पुलिस आए दिन बड़ी संख्या में लोगों को चरस, गांजा आदि के साथ पकड़ती है। यह सिलसिला कई सालों से जारी है और अब तक इस पर पूरी तरह अंकुश नहीं लग सका है। यही कारण है कि पूरे देश में हिमाचल चरस-गांजे के कारण बदनाम है।

SHARE