हिमाचल: अब निगरानी रखने के साथ ड्रोन से होम डिलीवरी भी होगी

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में अब सार्वजनिक सेवा क्षेत्र में ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्य सचिव राम सुभग सिंह की अध्यक्षता में इस संबंध में सचिवालय में एक अहम बैठक हुई है। बैठक में कुछ मुख्य विभागों के सचिव और एचओडी मौजूद थे। इसके अलावा कांगड़ा, सोलन, हमीरपुर और सिरमौर जिला के डीसी भी वर्चुअली जुड़े थे।

मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में निदेशक आईटी मुकेश रेपसवाल को नोडल ऑफिसर बनाया गया है। वह सभी विभागों के साथ समन्वय का इस बारे में एक ड्राफ्ट तैयार करेंगे। हिमाचल में इस समय ड्रोन को रजिस्टर करने की कोई प्रक्रिया नहीं है। न ही कोई फ्लाइंग ट्रेनिंग स्कूल है। कृषि, पुलिस, बागवानी, वन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बड़े विभागों से इस बारे में पहले सुझाव लिए जाएंगे।

सार्वजनिक सेवा क्षेत्र में कुछ विभागों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें मुख्य रूप से वन कटान, माइनिंग और नशे की खेती पर नज़र रखने से लेकर आबादी देह जमीन की मैपिंग तक में संबंधित विभागों द्वारा ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा।

दरअसल, 26 अगस्त 2021 को भारत सरकार द्वारा नई ड्रोन पॉलिसी जारी की गई है। जिसके तहत सरकारी कामों में ड्रोन को इस्तेमाल करने पर फोकस किया गया है। ड्रोन बनाने वालों और उड़ाने वालों की रजिस्ट्रेशन जरूरी की गई है। इसके साथ ही ड्रोन के इस्तेमाल और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को और अधिक आसान करने पर फोकस किया गया है। इसके अलावा, बिना यूआईएन नंबर के कोई भी ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकेगा।

ड्रोन पॉलिसी के तहत ड्रोन के इस्तेमाल के लिए हर राज्य में रेड, येलो और ग्रीन तीन जोन बनेंगे। रेड जोन में किसी भी सूरत में ड्रोन नहीं उड़ाया जा सकेगा। येलो जोन में परमिशन के साथ ड्रोन उड़ाए जा सकेंगे। वहीं, ग्रीन जोन में ड्रोन उड़ाने के लिए किसी परमिशन की आवश्यकता नहीं होगी। यूनिक आईडेंटिफिकेशन नंबर से रजिस्टर्ड ड्रोन बिना परमिशन के उड़ाए जा सकेंगे।

भारत सरकार द्वारा लोगों को जमीन का स्वामित्व देने के लिए आबादी देह जमीन की मैपिंग ड्रोन से करने की अनुमति दी गई है। इस काम को हिमाचल सरकार भी ड्रोन की मदद से करेगी। इसके अलावा कुछ सेवाओं की होम डलीवरी से लेकर एरियल निगरानी के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जाएगा। मुख्य सचिव ने सभी विभागों से फीडबैक लेने को कहा है।

बता दें कि पिछले साल राज्य स्वास्थ्य मिशन के तहत मंडी जिला के कुछ दुर्गम स्थानों में क्षयरोग यानी टीबी के सैंपल ड्रोन के जरिये लेने की अनुमति मांगी गई थी। लेकिन इसकी अनुमति नहीं मिली। नई ड्रोन पॉलिसी के तहत अब इस तरह के काम आसान ही जाएंगे। ड्रोन की अनुमति के लिए केस दिल्ली भी नहीं भेजना पड़ेगा।

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