शिल्पकारों की दुकानें बंद, कारीगर दिहाड़ी लगाने को मजबूर

कुल्लू।। कोरोना के चलते हर व्यक्ति प्रभावित हुआ है। हर व्यवसाय पर इसका असर पड़ा है। कुल्लू जिला में कई पारम्परिक कारीगर और शिल्पकार हैं, जो कोरोना के चलते प्रभावित हुए हैं।

कुल्लू जिला के कई स्थानों पर यह शिल्पकार लोहे, लकड़ी, बांस, मिट्टी और सोने-चांदी की पारंपरिक कारीगरी करते हैं। कुल्लू, बंजार, मनाली सहित अन्य जगहों पर ये लोग छोटी दुकानें लगाकर सामान बेचकर परिवार चलाते थे, लेकिन कोरोनाकाल में ये शिल्पकार बेरोजगार हो गए हैं।

कोरोना के चलते जिले में करीब 100 शिल्पकारों की दुकानें बंद हो गई हैं। अब ये शिल्पकार मजदूरी करने के लिए मजबूर हैं। कई कारीगर गांवों में मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं। वहीं, कुछ परिवार के पालन पोषण के लिए सेब के बगीचों में काम कर रहे हैं।

इस बारे में प्रगतिशील विश्वकर्मा कल्याण सभा के प्रदेशाध्यक्ष उदय डोगरा ने कहा कि इन कारीगरों का पारंपरिक काम था। इनके उत्पादों की समाज को जरूरत होती है। यह आम घरों में इस्तेमाल होते हैं। सरकार को चाहिए कि वह कोरोना में बेरोजगार हो चुके हस्त शिल्पकारों को प्रोत्साहित करे।

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