हिमाचल में मंत्रियों तक के साथ होता है जाति आधारित भेदभाव

शिमला।। हिमाचल प्रदेश साक्षरता (शिक्षा नहीं) के मामले में भले ही देश में अग्रणी है मगर यहां लोगों के ऊपर से जातिवाद का भूत नहीं उतर पा रहा। स्कूलों में बच्चों के साथ भेदभाव की खबरें आए दिन आती हैं और परेशान करती हैं। मगर हालात इस कदर खराब हैं कि विधायकों और यहां तक कि मंत्रियों तक को जातिगत भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

मंत्री डॉ. राजीव सैजल और विधायक विनोद कुमार को नाचन के एक मंदिर में प्रवेश न दिए जाने की घटना के सामने आने पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने दुख जताया है। राज्यपाल ने कहा कि देवभूमि में इस तरह की घटना से वह आहत हैं। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान सामाजिक व्यवस्था में नागरिकों के समानता की बात करता है।

दरअसल, मंगलवार को विधानसभा में संविधान (एक सौ छब्बीसवां संशोधन) विधेयक 2019 के अनुसमर्थन के लिए बुलाए गए एक दिवसीय विशेष सत्र में चर्चा के दौरान सहकारिता मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने एक घटना का जिक्र करते हुए मंदिर में प्रवेश न मिलने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “मैं मुख्यमंत्री के जिले में विधायक विनोद कुमार के साथ उनके हलके में गया था। वहां एक मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया था।”

डॉक्टर राजीव सैटल

राजीव सैजल का कहना था कि प्राचीन समय में भेदभाव नहीं था। उन्होंने कहा, “भगवान श्रीराम ने निषाद को गले लगकर और शबरी के हाथों से बेर खाकर भेदभाव को समाप्त करने का संदेश दिया है। आज भी प्रदेश में जाति के आधार पर भेदभाव है और इसे सवर्ण जाति द्वारा पहल कर दूर किया जा सकता है।”

विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने कहा कि हालात अभी उतने नहीं बदले हैं, जितनी कि उम्मीद थी। उन्होंने कहा, “अब भी दलितों को प्रताडि़त करने की खबरें प्रकाशित होती रहती हैं।”

ठियोग से माकपा विधेयक राकेश सिंघा ने आरक्षण के विधेयक का समर्थन किया और कहा, “आरक्षण को बढ़ाना एक रिव्यू है। आज भी इसकी जरूरत क्यों है यह सोचने वाली बात है। 70 साल बाद भी इस वर्ग को न्याय नहीं दे पाए हैं। मिड डे मील में अलग बिठाया जाना, मंदिरों में प्रवेश न देना व अन्य भेदभाव आज भी जारी है। एससी एसटी के पास जमीन भी 14 फीसद ही है। नौकरियां भी इन वर्गों के पास कम हैं।”

जगत नेगी ने कहा कि आज देश को मनुवादी, रूढि़वादी व छुआछूत से आजादी जरूरी है। उन्होंने कहा, “देश पर 30 फीसद लोग राज कर रहे हैं। जब तक छुआछूत रहेगी, तब तक आरक्षण की जरूरत रहेगी और मानसिकता बदलने की जरूरत है।”

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