चाय के बागान न बेचने का बिल नहीं हुआ पारित

शिमला।। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला लंबित होने के कारण हिमाचल प्रदेश भू-जोत अधिकतम सीमा अधिनियम, 1973 संशोधन बिल विधानसभा की प्रवर समिति को भेजा गया है। यह विधेयक चाय बागानों को बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने को लेकर था। सत्ता पक्ष व विपक्ष के कई विधायकों ने इस पर आपत्ति जताई। जिसके बाद इसे प्रवर समिति को भेजने का निर्णय लिया गया।

राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने विधानसभा में इस बिल को संशोधन के लिए पेश किया था। इस मुद्दे पर विस्तृत चर्चा के बाद सीपीएम विधायक राकेश सिंघा, भाजपा विधायक अरुण कुमार और कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने आपत्ति जताई। उसके बाद मंत्री ने इसे विधानसभा की प्रवर समिति को सौंपने पर सहमति व्यक्त की।

बिल में कहा गया था कि इस समय सरकार की पूर्व अनुमति से चाय बागान के तहत भूमि उपयोग में परिवर्तन और भूमि के हस्तांतरण का प्रावधान है। लेकिन जब से यह प्रावधान आया है, तब से देखा गया है कि चाय बागान के तहत भूमि का उपयोग चाय बागान के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रावधानों का सहारा लेकर बिक्री आदि के माध्यम से इन बागानों को स्थानांतरित किया जाना कानून की भावना और मंशा के खिलाफ है।

इस पर कई विधायकों ने आपत्ति जताई। कांग्रेस विधायक आशीष बुटेल ने कहा कि चाय बागानों के मालिक जिन्होंने निर्धारित सीमा से अधिक भूमि रखने के लिए भूमि सीमा अधिनियम का लाभ नहीं लिया था, उन्हें इस संशोधन के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए। जिन लोगों के पास सीलिंग से कम जमीन है, उन्हें चाय बागानों को उस सीमा तक जो कानून के तहत मान्य है रखने की इजाजत दी जानी चाहिए।

सीपीएम विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि आज चाय बागानों से आय न के बराबर हो रही है। ऐसे में अगर कोई वहां पर सेब या अन्य कुछ और चीज उगाना चाहता है तो उसे इसकी इजाजत नहीं है। भाजपा विधायक अरुण कुमार ने भी इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि उनके क्षेत्र में छोटे-छोटे चाय के बागान है। कई परिवारों ने इन्हें बेच दिया है। तो कइयों ने इन पर मकान बना दिये है। ऐसे में यह कानून पास आ जाता है तो इन परिवारों को मुश्किलें आ जायेगी।

इन सभी विधायकों ने इस बिल को विधानसभा की प्रवर समिति को भेजने की सिफारिश की। जिसके बाद इसे प्रवर समिति को भेजने का फैसला किया है।

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