पीएम मोदी ने लिया अटल टनल बनने का क्रेडिट, सुनाया एक किस्सा

कुल्लू।। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अटल टनल रोहतांग का लोकार्पण कर दिया है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि आज हिमाचल के करोड़ों लोगों का इंतजार खत्म हुआ है। हालांकि, हिमाचल की आबादी अभी तक एक करोड़ भी नहीं हुई है। बहरहाल, आगे उन्होंने कहा कि जब वह हिमाचल प्रभारी होते थे, तब अटल जी के हिमाचल आने पर उनसे मिलने जाया करते थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वह पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ मिलकर अटल जी से बात करते थे तो अक्सर इस टनल का सुझाव रखते थे। पीएम ने कहा, “यही सुझाव न जाने कब अटल जी का ध्येय बन गया।”

…तो 2040 तक पूरा होता काम
पीएम ने कहा कि जिस हिसाब से कांग्रेस के कार्यकाल में इस सुरंग का काम चल रहा था, उस हिसाब से यह 2040 में पूरी होती। पीएम ने कहा कि अटल जी ने 2002 में टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था और फिर इस काम को भुला दिया गया। उन्होंने कहा, 2013-14 तक मात्र 1300 मीटर टनल बनी थी और इसी हिसाब से काम चलता रहता तो 2040 तक पूरा होता।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद काम में तेजी आई और छह साल में 26 साल का काम पूरा कर लिया गया। 950 करोड़ इसकी लागत थी मगर अब देरी के कारण 3200 करोड़ रुपये खर्च होने के बाद पूरी हुई है। अगर और समय लगता तो और आर्थिक नुकसान होता।

पिछली सरकारों को कोसा
पीएम ने कनेक्टिविटी का महत्व बताते हुए कहा कि देश की रक्षा और विकास के लिए कैसे यह अहम है। उन्होंने कई उदाहरण देते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने इसकी महत्ता नहीं समझी, जबकि पिछले छह सालों में (जबसे उनकी सरकार बनी है), दर्जनों प्रॉजेक्ट पूरे किए जा चुके हैं और दर्जनों पर तेजी से काम चल रहा है।

पीएम ने यह भी बताया कि सेना और रक्षा के लिहाज से पिछली सरकारें उदासीन थीं। पीएम ने इसके लिए वन रैंक, वन पेंशन लागू करने के अपनी सरकार के फैसले की उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि हिमाचल के एक लाख फौजी साथियों को इसका लाभ मिला है। देश हित से बड़ा हमारे लिए कुछ नहीं मगर देश ने वो दौर देखा है जब देश के रक्षा हितों से समझौता किया गया।”

पीएम ने रफाल लाने को भी सरकार की उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा, “सेना संसाधनों और हथियारों के लिए तरसती थीं और फाइलें आगे नहीं बढ़ती थीं मगर कोई सुनवाई नहीं होती थी। इन लोगों ने एचएएल और आयुद्ध निर्माणियों को कमजोर किया, तेजस जैसे स्वदेशी विमान को डब्बे में डालने की तैयारी कर दी थी।” पीएम ने कहा कि अब उनकी सरकार में न सिर्फ ये समस्याएं दूर हुई हैं बल्कि रक्षा क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बन रहा है और आगे बढ़ रहा है।

डॉक्युमेंटेशन बनाने का सुझाव
आखिर में पीएम ने रक्षा मंत्रालय, बीआरओ और शिक्षा मंत्रालय को सुझाव दिया कि इस सुरंग का काम खुद में मिसाल है। इसलिए इससे जुड़े 1500 लोगों से उनका अनुभव लिखवाया जाए कि इस काम के दौरान क्या चुनौतियां आईं। ये व्यक्ति श्रमिक भी हो सकते हैं, इंजीनियर भी। सबसे अनुभव शामिल होंगे पांच-दस पन्नों के। फिर इसका डॉक्युमेंटेशन किया जाए। पीएम ने कहा- छापने की जरूरत नहीं है, डिजिटल कर दीजिए। फिर इसे देश की टेक्निकल यूनिवर्सिटी के बच्चों को केस स्टडी काम दिया जाए और आठ-दस बच्चों के बैच आकर यहां आकर देखें कि कैसे काम किया।

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