बिना प्रिंसिपल के चल रहे हिमाचल के 47 प्रतिशत सरकारी कॉलेज

शिमला।। हिमाचल प्रदेश के कम से कम 66 सरकारी कॉलेजों में नियमित प्रिंसिपल नहीं है। यह संख्या प्रदेश के कुल सरकारी कॉलेजों की संख्या का 47 प्रतिशत से अधिक है। हिमाचल प्रदेश में कुल 138 सरकारी कॉलेज हैं।

47 प्रतिशत कॉलेजों में नियमित प्रिंसिपल न होने का कारण विभागीय पदोन्नति समिति (डीपीसी) है। डीपीसी पिछले कुछ वर्षों में एक भी बैठक आयोजित करने में विफल रही है। यहां तक ​​​​कि कई पात्र शिक्षक बिना पदोन्नति के ही सेवानिवृत्त हो गए हैं।

कॉलेजों में प्रिंसिपल की यह वैकेंसी शिक्षा की गुणवत्ता पर असर डालने के अलावा, राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (एनएएसी) से मान्यता प्राप्त करने में बाधा पैदा कर रही हैं, जो छह या उससे अधिक साल पहले स्थापित कॉलेजों के लिए अनिवार्य है।

यूजीसी और राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत अनुदान प्राप्त करने के लिए कॉलेजों के लिए एनएएसी मान्यता अनिवार्य है। क्योंकि इसके लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचे और स्टाफ की आवश्यकता है। राज्य में केवल कुछ मुट्ठी भर ग्रेड ए सरकारी कॉलेज हैं। इनमें से अधिकांश संस्थानों ने या तो मान्यता के लिए आवेदन नहीं किया है या आवश्यकता को पूरा नहीं कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (एचजीसीटीए) के महासचिव डॉ आरएल शर्मा ने कहा कि 66 सरकारी कॉलेज नियमित प्रिंसिपल के बिना हैं, 19 में कार्यवाहक प्रमुख हैं और शेष 53 संस्थानों में नियमित प्रिंसिपल हैं।

एचजीसीटीए द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार कांगड़ा जिले में 28 में से 12, शिमला में 20 में से 14, मंडी में 18 में से नौ, सोलन में 12 में से सात, सिरमौर में 14 में से नौ, कुल्लू में सात में से तीन, चंबा में 10 में से पांच, बिलासपुर में चार में से एक, ऊना में 10 में से चार, लाहौल-स्पीति में दो में से एक और किन्नौर में एक में से एक पद खाली है। सिर्फ हमीरपुर जिले में प्रिंसिपल के सभी छह पद भरे गए हैं।

शिक्षकों का आरोप है कि सरकार यूजीसी के मानकों के अनुसार योग्य प्रिंसिपल्स को बढ़ावा देने और प्रोफेसरों के नए पद बनाने की उनकी मांग पर ध्यान देने में विफल रही है।

इस बारे उच्च शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा का कहना है कि मामला विचाराधीन होने के कारण प्रिंसिपल के पद नहीं भरे गए थे। दो मामले अदालत में लंबित थे।

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