जमीन पर अवैध कब्जे के मामले में अनुराग ठाकुर को हाई कोर्ट से झटका

शिमला।। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने अनुराग ठाकुर, संजय शर्मा और गौतम ठाकुर द्वारा अपने खिलाफ धर्मशाला में दर्ज भ्रष्टाचार के मामले को रद करने जुड़ी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। अब धर्मशाला में विशेष न्यायाधीश कांगड़ा (धर्मशाला) के समक्ष इन सभी आरोपियों के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले पर मुकदमा चलेगा। इन सभी आरोपियों के खिलाफ निचली अदालत में चार्जशीट दायर हो चुकी है लेकिन हाईकोर्ट द्वारा आगामी ट्रायल पर रोक के कारण मामले पर सुनवाई नहीं हो पा रही थी।

यह है मामला
इस मामले में एचपीसीए के पदाधिकारियों पर आरोप हैं कि इन्होंने सरकारी अधिकारियों से मिल कर सरकारी भूमि पर बने सरकारी कॉलेज के भवन को गिरा कर उस भूमि पर नाजायज कब्जा किया और होटल बनाया। अब सभी आरोपियों के खिलाफ विशेष न्यायाधीश के समक्ष चलेगा ट्रायल।

गौरतलब है कि 3 अक्टूबर 2013 को सतर्कता विभाग धर्मशाला में अनुराग ठाकुर सहित अन्य एचपीसीए पदाधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया था। विस्तृत जांच के बाद 14 नवंबर 2014 को विशेष न्यायाधीश धर्मशाला के समक्ष आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया गया। एचपीसीए, अनुराग ठाकुर, संजय शर्मा और गौतम ठाकुर ने हाईकोर्ट में अपने खिलाफ चल रहे भ्रष्टाचार में मुकदमे को खारिज करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।

कोर्ट ने प्रार्थियों की दलीलों से असहमति जताते हुए उनकी याचिकाएं खारिज कर दीं। हालांकि कोर्ट ने अपने आदेशों में यह भी स्पष्ट किया कि निचली अदालत हाईकोर्ट द्वारा दिए गए इस फैसले से प्रभावित हुए बगैर ट्रायल को आगे बढ़ाए।

विस्तार से समझें:

विजिलेंस ब्यूरो की रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि HPCA ने कानून लीज़ पर मिली 50 हजार स्क्वेयर फुट जमीन के अलावा 3000 स्क्वेयर फुट एक्स्ट्रा जमीन पर एनक्रोचमेंट कर ली। यह जानकारी बाहर नहीं आती, अगर यूजीसी से फंडेड सरकारी कॉलेज इस स्टेडियम से न सटा होता। 2002 में धूमल सरकार अतिरिक्त जमीन अधिग्रहित करने में नाकाम रही, क्योंकि गवर्नमेंट पीजी कॉलेज के पास वह जमीन थी। मगर अपनी सेकंड टर्म (2008-12) में मुख्यमंत्री रहते हुए अपने बेटे के लिए इस समस्या का समाधान भी प्रेम कुमार धूमल ने कर दिया।

जब स्टेडियम बन रहा था, कॉलेज ने निर्माण के लिए NOC दे दिया था, मगर तीन शर्तें रखी थीं। पहली यह कि भविष्य में कॉलेज के विस्तार के  लिए पर्याप्त जगह रखी जाए। दूसरी यह कि कॉलेज के स्टूडेंट्स को स्डेडियम इस्तेमाल करने की इजाजत हो और तीसरी यह कि कॉलेज के लिए अलग से एंट्री रखी जाए ताकि इसकी पनी ऐक्टिविटीज़ में कोई दिक्कत न हो।

विजिलेंस के मुताबिक 2008 में धूमल ने अपने दूसरे कार्यकाल में कांगड़ा के डीसी के.के. पंत के साथ स्पेशल मीटिंग की, जिसका मकसद पीजी कॉलेज को खंडित और इस्तेमाल के लिए असुरक्षित घोषित करवाना था कि यह खिलाड़ियों के लिए भी खतरनाक है।

पंत और जिले के अन्य अधिकारियों ने मार्च 2008 में मीटिंग की और कॉलेज प्रिंसिपल को बिल्डिंग को अन्य जगह पर शिफ्ट करने का आदेवन करने को कहा। सरकारी कॉलेज में अब तक किसी ने शिकायत नहीं की थी कि बिल्डिंग जीर्ण हो चुकी है। मगर HPCA के अधिकारियों, जो उस मीटिंग में थे, ने कहा कि हम लोग बिल्डिंग की वजह से क्रिकेटर्स की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।

इसके तुरंत बाद जिले के अधिकारियों ने बिल्डिंग को असुरक्षित घोषित कर दिया, जबकि यह 25 साल ही पुरानी थी और 2 साल पहले ही इसकी मरम्मत हुई थी। एजुकेशन डिपार्टमेंट ने कोई दखल नहीं दिया (इन्हें भी चार्जशीट में नामजद किया गया है।

जुलाई 2008 में अनुराग ठाकुर ने स्टेडियम के साथ 720 स्क्वेयर मीटर और जमीन मांगी, मगर इस जमीन पर कॉलेज की इमारत खड़ी थी। इस जमीन के लिए फॉरेस्ट डिपार्टमेंट द्वारा दी गई मंजूरी पर भी सवाल उठे हैं। चार्जशीट में कहा गया है कि वन विभाग ने 1980 में यहां 2000 पेड़ लगाए थे। मगर क्लियरेंस देते वक्त वन विभाग ने कहा कि जमीन बंजर है। (एचपीसीए पर 500 पेड़ काटने का आरोप है)।

इस पूरे मामले को समझने के लिए आप नीचे दिए आर्टिकल पढ़ सकते हैं। दूसरे वाले में आपको पता चलेगा किस कॉलेज भवन की बात हो रही है।

पढ़ें: यहां तक पहुंचने के लिए अनुराग ने किए हैं कई खेल

पढ़ें: धूमल पर लगे हैं बेटे की HPCA को गलत फायदा पहुंचाने के आरोप

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