फ़तेहपुर में एक बार फिर बीजेपी का मुक़ाबला बीजेपी से! यहां बागियों के चलते नहीं हुई 13 वर्षों से वापसी 

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फतेहपुर।। फ़तेहपुर में एक बार फिर बीजेपी का मुक़ाबला बीजेपी से ही होता नज़र आ रहा है। हालात ऐसे हैं कि बीजेपी अपने बाग़ियों के कारण यहाँ क़रीब 13 वर्षों से जीत नहीं सकी है। इस बार भी हालात कुछ ऐसे ही बनते जा रहे हैं। फ़तेहपुर विधानसभा सीट पर फिलहाल चतुष्कोणीय मुक़ाबला है, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी भवानी सिंह पठानिया और बीजेपी प्रत्याशी राकेश पठानिया को छोड़ दें तो बाक़ी के दो प्रत्याशी बीजेपी के दिग्गज नेता रहे हैं। ऐसे में हर बार की तरह यहाँ बीजेपी का मुक़ाबला बीजेपी से ही है। भाजपा के दो पूर्व सांसद यहाँ से मैदान में हैं। एक आम https://inhimachal.in/news/fatehpur-bjp-eelection-2022-bjp-rebel/आदमी पार्टी तो दूसरे आज़ाद बीजेपी को चुनौती दे रहे हैं।

बीजेपी ने इस बार प्रयोग के तौर पर नूरपुर की सीट बदलते हुए अपने वन मंत्री राकेश पठानिया को यहां से टिकट देकर चुनाबी मैदान में उतारा है। अब उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी भवानी सिंह पठानिया से पहले बीजेपी के पूर्व दिग्गज नेता और वर्तमान में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी डॉ. राजन सुशांत से टक्कर मिल रही है। डॉ. राजन सुशांत बीजेपी से कई मर्तबा विधायक, मंत्री और सांसद रह चुके हैं।

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हालांकि फ़तेहपुर में मुक़ाबला त्रिकोणीय ही रहता, लेकिन यहाँ 2017 की तरह बीजेपी के ही एक नेता बाग़ी होकर आज़ाद प्रत्याशी के तौर पर चुनावी समर में कूद गए हैं। इस बार पूर्व राज्य सभा सांसद एवं बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाल परमार भी चुनाब भवंर मे कूद पड़े है जिन्होंने भाजपा प्रत्याशी राकेश पठानिया की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। 2017 में इस सीट से बीजेपी ने कृपाल परमार को प्रत्याशी बनाया था। उस दौरान बीजेपी के ही बलदेव ठाकुर निर्दलीय मैदान में उतर आए थे, जो यहाँ से बीजेपी प्रत्याशी कृपाल परमार की हार का बड़ा कारण रहा था।

अभी तक इतिहास गवाह है कि फतेहपुर मे भाजपा ने ही भाजपा का खेल बिगाडा़ है। यही कारण है कि  फतेहपुर में कांग्रेस पिछले 13 वर्ष से विजय भव का आशीर्वाद प्राप्त किए हुए है और इस बार भी बीजेपी के बाग़ी इतिहास दोहराने को तैयार बैठे हैं। हालाँकि नामांकन वापसी की तारीख़ में अभी भी कई दिन बाक़ी हैं और बीजेपी अपने बाग़ियों में को मनाने में लगी हुई है। ऐसे में देखना होगा कि बीजेपी इस बार फ़तेहपुर में अपने बाग़ियों को मनाने का रिवाज बदल पाती है या नहीं।

सबसे बड़ा सवाल यह भी बनता है की पहले से ही फतेहपुर के कई दावेदारों को दरकिनार कर और आज तक हमेशा से ही बाहरी नेताओं का विरोध होने के बाबजूद बाहरी प्रत्याशी को फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी का टिकट देना कहां तक उचित रहेगा।