शिमला । हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विधानसभा और विधान परिषदों के पीठासीन अधिकारियों का 82वां सम्मेलन हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों का सम्मेलन (एआईपीओसी) भारत में व्यवस्थापिकाओं की शीर्ष संस्था है, जो 2021 में अपना शताब्दी वर्ष मना रही है।
शताब्दी वर्ष मनाने के लिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के 82वें संस्करण का आयोजन 17-18 नवंबर को शिमला में हो रहा है। प्रथम सम्मेलन का आयोजन भी शिमला में साल 1921 में किया गया था। इस सम्मेलन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला कर रहे हैं।
उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के सम्मेलन से सभी को प्रेरणा मिलती है। भविष्य में देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। देश के विकास के लिए सभी राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सभी राज्य एकजुट थे। आजादी के अमृत महोत्सव में पीठासीन अधिकारियों के यह सम्मेलन एक संयोग है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सदन में हमारा आचार-व्यवहार भारतीय मूल्यों के हिसाब से हो। देश की एकता-अखंडता सभी सदनों की जिम्मेदारी है। डिबेट्स में मर्यादा और गंभीरता का पालन हो। सदन में सार्थक चर्चा-परिचर्चा जरूरी है।
नरेंद्र मोदी ने कहा, लोकतंत्र भारत के लिए महज सरकार चलाने की व्यवस्था नहीं बल्कि स्वभाव है। उन्होंने कहा कि बीते सालों में देश में ‘वन नेशन-वन राशन कार्ड’ जैसी कई व्यवस्थाओं को लागू किया है। मेरा एक विचार ‘वन नेशन वन लेजिस्लेटिव’ प्लेटफार्म का है। एक ऐसा पोर्टल जो न केवल हमारी संसदीय व्यवस्था को जरूरी तकनीकी बढ़ावा दे, बल्कि देश की सभी लोकतांत्रिक इकाइयों को जोड़ने का भी काम करे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र और विधानसभाएं पेपरलेस मोड में काम करें। हम आजादी के 100 साल की ओर बढ़ रहे हैं। अगले 25 साल भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इस दौरान प्रधानमंत्री ने संसद व विधानमंडलों में सदन कैसे सुचारू रूप से चल सकें इसे लेकर अन्य सुझाव भी दिए।
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और अन्य लोगों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि हिमाचल के लिए यह गर्व की बात है कि अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन के 82वें संस्करण का आयोजन शिमला में हो रहा है। संसद, विधानसभा और विधान परिषद हमारे देश की प्रजातांत्रिक व्यवस्था के केंद्र बिंदु हैं। हमारे प्रदेश की विधानसभा का भी गौरवशाली इतिहास रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश का यह सदन अपनी उच्च परंपराओं के निर्वहन और सकारात्मक विचार-विमर्श के लिए जाना जाता है।
इस दौरान जयराम ठाकुर ने हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार, हिमाचल विधानसभा के पहले अध्यक्ष जयवंत राम को भी याद किया। उन्होंने हिमाचल के विकास में अपना योगदान देने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री ठाकुर रामलाल, शांता कुमार, वीरभद्र सिंह और प्रेम कुमार धूमल का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, प्रणब मुखर्जी और हाल ही में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस सदन को संबोधित कर इसका गौरव बढ़ाया है।
पीठासीन अधिकारियों के इस सम्मेलन में संसद व विधानमंडलों में सदन कैसे सुचारु रूप से चल सकें, जनहित का किस तरह से ध्यान रखा जाए और सरकारों की जवाबदेही कैसे तय की जाए, इन मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। इस सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री भाग ले रहे हैं।