हॉरर एनकाउंटर सीजन 6 की पहली कहानी। ये कहानी हमें पूर्ण चंद जी ने भेजी है। उनका दावा है कि यह उनका निजी अनुभव है। उनकी गुजारिश पर हम उनका नाम नहीं बदल रहे, मगर जिस कंपनी में वह काम करते हैं, जिस कंपनी के लिए काम करते समय यह घटना हुई और उनके साथ जो-जो लोग थे, उनके नाम हमने बदल दिए हैं।
ये जुलाई 2010 की बात है। सही से डेट याद नहीं मगर उस दिन शनिवार था। उन दिनों मैं कांगड़ा में एक कार कंपनी में सर्विस मैनेजर था। उस दिन शोरूम के मालिक टूर पर थे। उसी दिन मेरे साथ काम करने वाले मेरे दोस्त विमल को मंडी से हमारी कार कंपनी से ही जुड़े एक व्यक्ति का फोन आया। उस व्यक्ति ने विमल और मुझे मिलने के लिए बुलाया। हमने अपने सहयोगी राजीव को इस बारे में बताया तो उन्होंने कहा कि अगर बुलाया है जरूर मिलना चाहिए। राजीव भी चलने को तैयार हो गया लेकिन समस्या थी कि हमारे पास अपनी कार नहीं थी। मटौर में कार अक्सेसरीज की दुकान के मालिक विक्की हमारे दोस्त थे। हमने उन्हें कहा कि चलो मंडी घुमा लाते हैं। वो अपनी कार लेकर चलने के लिए तैयार हो गए।
तो शाम को हम चार लोग विक्की की कार पर सवार होकर चल पड़े। मॉनसून सीजन था और उस दिन भारी बारिश हो रही थी। बिना रुके हम चलते रहे मगर देर हो गई। पौने 12 बजे हम मंडी पहुंचे। जिन व्यक्ति ने हमें बुलाया था, हम उनके घर पहुंचे तो दरवाजा उनकी माता जी ने खोला। उन्होंने कहा कि उनका बेटा तो सो चुका है। उन्होंने कहा कि घर पर ही रुक जाओ मगर हम अजीब स्थिति में थे। हमने सोचा कि क्यों कष्ट दें और वहां से निकल आए। मंडी के अशोका ढाबा में खाना खाया और फिर कांगड़ा की ओर चल पड़े।
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जब हम लौटते समय नगरोटा बगवां के पास पहुंचे तो वहां सड़क पर आम का पेड़ गिरा हुआ था। इस वजह से पुलिस ने ट्रैफिक को वाया चामुंडा 53 मील पठानकोट की ओर मोड़ दिया था। जब हम उस ओर बढ़ ही रहे थे कि एक जीप वाला भाई वहां आया। उसने बताया कि पठानकोट जाना है। हमने कहा कि हमारे पीछे चलो। कुछ देर सफर करने के बाद हमने देखा कि पीछे से जीप की लाइट आना बंद हो गई। हमने अपने मित्र विमल को मटौर में उनके क्वार्टर छोड़ा और फिर विक्की को उसके घर छोड़ने घुरकड़ी की ओर चल दिए।
भारी बरसात के बीच उस दिन मटौर में बिजली गुल थी। जैसे ही हम अपनी कंपनी के शोरूम के पास पहुंचे, आसमान से जोरदार चमक पैदा हुई जैसे बिजली गिरने से पैदा होती है। इतनी चमकदार कि रात को ही दिन जैसा उजाला हो गया। जैसे ही चमक गायब हुई, बीच जंगल के गुजर रही सड़क में सामने की ओर चमकदार बल्ब सा जलता हुआ दिखा।
पिछली सीट पर बैठा विक्की चिल्लाया- सर, चीज… देखो अजीब सी चीज… सर….
मैंने हैरानी से उस रोशनी की ओर देखा। मन में जिज्ञासा पैदा हुई कि ये है क्या। मैंने राजीव, जो कि गाड़ी ड्राइव कर रहा था, को कहा कि गाड़ी बंद मत करना। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गए, रोशनी और तेज होती गई। हमारी हैरानी भी बढ़ती जा रही थी। और नजदीक जाने पर उस रोशनी के बीच एक औरत जैसी दिखने लगी। ऐसा लग रहा था कि उस औरत के चारों ओर से रोशनी निकल रही हो। वो रोशनीनुमा साया सड़क पर आगे चल रहा था और हम कम से कम 30 फुट दूर पीछे।
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राजीव कहता कि भाई ये बूढ़ी औरत ही है जो लाइट लेकर कहीं जा रही है। पर मैंने कहा कि इतनी रात को अकेले बीच रोड में कहां जा रही है। जैसे ही राजीव ने हाई बीम की, विक्की डर के मारे चिल्लाने लगा- ये ये चीज हमें मार डालेगी सर… हाए मेरिए माए। वो डरा हुआ था मगर मैंने राजीव को कहा कि रुको, मैं बाहर उतरकर देखता हूं। इतने में विक्की चिल्लाने लगा- सर इसके पैर देखो पैर.. कहीं उल्टे तो नहीं हैं। मैंने गाड़ी का दरवाजा खोलकर अभी एक कदम ही बार रखा था कि वो बूढ़ी सी दिख रही महिला पीछे घूमी और मेरी ओर देखने लगी।
अजीब सा चेहरा, लाल आंखें, लाल रंग का गला। तेज रोशनी के कारण स्पष्ट नहीं हो रहा था मगर रोशनी के पुंज के बीच एक दुबली सी महिला जैसी प्रतीत हो रही थी। न तो उसके हाथ में टॉर्च थी, न लाइट। ऐसा लग रहा था कि उसके कपड़ों औऱ शरीर से दूधिया रंग की रोशनी निकल रही है। अजीब सी रोशनी का वह पुंज, जिसके बीच महिला जैसा साया दिख रहा था, ऊपर हवा में तैरने लगा। हम सभी घबरा गए। इतने में नगरोटा वाली साइड से वही जीप वाला आ गया जो हमें पीछे मिला था। हमें सड़क के बीचोबीच गाड़ी रोके देख उसने पूछा कि ऐसे क्यों रुके हो। अब तक रोशनी का वो गोला हवा में करीब 20 फुट ऊपर जा चुका था। हमने जीप वालों को इशारा किया वो देखो। जीप वाला चामुंडा माता का नाम लेते हुए वहां से तुरंत चला गया। हम वहीं खड़े रहे।
डर और जिज्ञासा का मिला जुला भाव था। इसी बीच पठानकोट से टूरिस्ट बस आई। उन्होंने चामुंडा का रास्ता पूछा। हमने कहा कि ये सीधा रास्ता है मगर ऊपर देखो। बस ड्राइवर ने देखा और बोला कि भाई निकलो यहां से, क्या कर रहे हो यहां, कुछ नुकसान हो जाएगा। वो बस भी वहां से निकल गई। मैंने राजीव को कहा कि चलो पास के शिव मंदिर में चलते हैं, वहां कोई डर की बात नहीं होगी। विक्की चुप हो गया थआ। डरे हुए राजीव ने तुरंत गाड़ी मोड़ी और हम मंदिर की ओर चले गए। वहां से कुछ देर तक उस रोशनी को आसमान में गायब होने तक देखते रहे।
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फिर तुरंत हम वहां से विक्की के घर चले गए। वहां अंकल-आंटी को पूरा किस्सा बताया कि हमने क्या देखा। उन्होंने कहा- बच्चों, बच गए आज।
अगले दिन राजीव को मैंने कहा कि साथ ही कांगड़ा से अपने होमटाउन चलेंगे। लेकिन वह अगले दिन दोपहर दो बजे अकेले ही घर निकल गया। मुझे उसने कहा कि वो चीज जो भी थी, कहीं हमारा पीछा न करे, हमें उठा न ले जाए। मैं भी डर गया और एक हफ्ते तक अपने क्वार्टर में गया ही नहीं। मैं विक्की के घर पर रहा।
इस बीच कुल्लू में एक अखबार में रिपोर्टर अपने मित्र को फोन किया। उसने कहा कि वो एक स्वामी जी से बात करवाएगा। दोस्त ने जिन स्वामी जी से बात करवाई, उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं करोड़ों में एक व्यक्ति के साथ होती है, घबराओ नहीं। उन्होंने एक मंत्र भी मुझे दिया।
मुझे एक बार पहले भी मेरे मकान मालिक ने कहा था कि रात को अकेले मत आना क्योंकि यहां पर किसी समय चुड़ैल की मौजूदगी हुआ करती थी। मैंने उसकी बात को हल्के में लिया था। लेकिन मेरे साथ जो हुआ था, उसने डर तो पैदा कर ही दिया था। जब अपने स्टाफ से बात की तो उन्होंने कहा कि जिस जगह आपको यह सब दिखा, सुना है कि राजाओं के समय में किसी महिला ने कुएं में कूदकर खुदकुशी की थी।
ये सुनकर मैं बहुत ज्यादा डर गया। मैंने कांगड़ा हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय कर लिया और फिर वहां से चला आया। मगर मेरे मन में हमेशा सवाल कौंधता था कि वो महिला, जिसे मैंने रोशनी के पुंज के बीच देखा था। जिसकी शक्ल इंसानों से थोड़ी अलग सी नजर आ रही थी, वह आखिर थी क्या।
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एक बार मैंने नासा की वेबसाइट से एक ईमेल आईडी पर अपना अनुभव लिख भेजा। उसमें जगह, दिन और समय की जानकारी दी और पूछा कि क्या वहां कोई यूएफओ आदि जैसी गतिविधि तो नहीं हुई थी। मैंने सोचा कि अगर ऐसा हुआ होगा तो वे जांच कर लेंगे। NASA की ओर से आए रिप्लाई में कहा गया- These so called extra terrestrial activities/objects are hypothetical, they do not exist. यानी इस तरह की परग्रही गतिविधियां या चीजें काल्पनिक होती हैं, उनका कोई अस्तित्व नहीं होता।
लेकिन मुझे निजी तौर पर लगता है कि वो महिला चुड़ैल नहीं थी, शायद वो कोई एलियन था जिससे हमारा सामना वाकई हुआ था। ये कोई कहानी नहीं है। इसके गवाह हम तीन लोग हैं- मैं पूर्ण चन्द, राजीव, और विक्की। अगर भ्रम हुआ होता तो एक को होता, हम तीनों को एकसाथ कैसे हो गया?
DISCALIMER: पाठकों से अनुरोध है कि इस कहानी को मनोरंजन के लिए पढ़ें, जगहों को लेकर किसी तरह का पूर्वग्रह न बनाएं। ‘इन हिमाचल’ भूत प्रेतों पर यकीन नहीं करता। हम हमेशा से अंधविश्वास को चुनौती देता आए हैं। इसलिए पाठकों से गुजारिश कि इस कहानी और हॉरर एनकाउंटर सीरीज की अन्य कहानियों को मनोरंजन के तौर पर पढ़ें। आप अपनी कहानियां हमें inhimachal.in@gmail.com पर ईमेल कर सकते हैं।
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