जब तीन घंटों के लिए लापता हो गए थे हिमाचल के मुख्यमंत्री

इन हिमाचल डेस्क।। क्या हो जब पूरे प्रदेश में राजनीतिक उठापटक मची हो और राज्य का मुखिया का कहीं पता ही चल रहा हो कि वह कहां है? यह साल 1980 की बात है। ये वह दौर था जब पूरे देश में और हिमाचल में भी दल-बदल चरम पर था। कथित तौर पर कांग्रेस के ठाकुर रामलाल ने धन-बल का लालच देकर कई विधायक अपनी पार्टी में कांग्रेस में ले लिए।

उस दौरान पाला बदलने वालों में कौल सिंह, गुलाब सिंह, सुजान सिंह पठानिया शामिल थे, जो उन दिनों जनता पार्टी में थे। इस कदम से सरकार अल्पमत में आ गई और राम लाल कांग्रेस की तरफ से सरकार बनाने की स्थिति में आ गए।

सरकार बची रहे, इसके लिए कई बिचौलिए और विधायक सेटिंग करने के लिए उस समय के मुख्यमंत्री के पास आने लगे. मुख्यमंत्री को कहा जाने लगा कि जनाब, सरकार बचानी है तो असंतुष्टों को कोई पद दे दो, ये पार्टी नहीं बदेंलेगे। मुख्यमंत्री पर दिल्ली से आलाकमान का भी प्रेशर था कि सरकार गिरनी चाहिए, कुछ भी करो।

सब इंतज़ार लगाए बैठे थे कि अब क्या होगा। सरकार गिरेगा या बचेगी। थोड़ी देर में शिमला में हड़कंप मच गया कि मुख्यमंत्री गायब हो गए हैं। यही नहीं, यह जानकारी भी फैल गई कि सीएम का इस्तीफा राज्यपाल के पास पहुंच चुका है।

अब सीएम को ढूंढा जाने लगा। न वह कार्यालय पर मिले न घर पर। तीन घंटे तक अफसरशाही परेशान। दिल्ली से कॉल पर कॉल आएं कि आखिर सीएम कहां चले गए।

बाद में पता चला कि मुख्यमंत्री इन दल-बदलुओं से आगे ब्लैकमेल होने के बजाय शिमला के सिनेमा हाउस में ‘जुगनू’ मूवी देखने चले गए थे। तीन घंटे बाद सीएम हॉल से बाहर आए। बाद में दिल्ली से आडवाणी जी का फोन आया। सबसे पहले पूछते हैं- फिल्म कैसी थी?

सिनेमा हॉल से निकलने वाले और दल-बदलुओं की ब्लैकमेलिंग के आगे न झुकने वाले यह सीएम थे- शांता कुमार।

शांता कुमार
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