अरुण धूमल सोशल मीडिया पर फिर सक्रिय, शांता पर साधा निशाना?

शिमला।। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल  विधानसभा चुनाव से पहले अक्सर सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते थे मगर चुनावों के नतीजे आने के बाद से सोशल मीडिया पर उनकी सक्रियता कम हो गई थी। इन चुनावों में उनके पिता प्रेम कुमार धूमल सीएम कैंडिडेट होते हुए भी सुजानपुर से चुनाव हार गए थे।

 

मगर वीरभद्र सिंह पर लगे आय से अधिक संपत्ति मामले में वकामुल्ला चंद्रशेखर की ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद वह सक्रिय हो गए हैं। उन्होंने न सिर्फ इसका श्रेय लिया बल्कि एक अन्य घटनाक्रम में नाम लेते हुए इशारों ही इशारों में पार्टी के वरिष्ठ नेता शांता कुमार द्वारा सरकार पर असंतोष जताने पर भी प्रहार किया है। वकामुल्ला पर प्रतिक्रिया देने से पहले उन्होंने दो ही पोस्टें डाली थीं- 22 जनवरी को वसंत पंचमी की और 14 जनवरी को एक पोस्ट क्रिकेट पर। दिसंबर में भी एक पोस्ट धर्मशाला स्टेडियम से संबंधित वीडियो की की थी।

क्या लिखा है अरुण ने
अरुण ने आज एक के बाद एक कुछ पोस्ट डाले हैं, जिनसे समझा जा सकता है कि इशारा किस तरफ है। गौरतलब है कि पीएनबी स्कैम को लेकर शांता कुमार सरकार के नाकाम रहने पर असंतोष जताया था। पढ़ें, क्या लिखते हैं अरुण-

गौरतलब है कि पिछले दिनों शांता कुमार ने ही उस दौरान कार्यकर्ताओं को अनुशासन की शिक्षा दी थी, जिस समय वे प्रेम कुमार धूमल के चुनाव हारने के बावजूद उन्हें मुख्यमंत्री पद देने के लिए पीटर हॉफ के बाहर केंद्र से आए नेताओं के सामने नारेबाजी कर रहे थे। ऐसे में एक के बाद एक डाले गए पोस्ट इशारा यही करते हैं।

कुछ टिप्पणियां पर्सनल भी मालूम होती हैं।

2016 में भी अरुण धूमल ने शांता कुमार पर निशाना साधते हुए कुछ अपरिपक्व टिप्पणियां की थीं और इशारों ही इशारों में विक्रम (शांता के पुत्र) और कायाकल्प (शांता कुमार के ट्रस्ट) का ज़िक्र किया था।

बहरहाल, वकामुल्ला पर अरुण धूमल ने जो लिखा है, इससे यही प्रतीत होता है कि इस मामले में सारी एजेंसियां उन्हीं से पूछकर कार्रवाई कर रही हैं। बता दें कि हाल ही में राज्य में आई बीजेपी सरकार ने उनके भाई अनुराग ठाकुर से जुड़े एचपीसीए के मामले वापस लेने का फैसला किया है।

2012 के अंत में सत्ता में आते ही वीरभद्र सरकार ने एचपीसीए के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर और अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरो में कई मामले दर्ज किए। पिछली कांग्रेस सरकार के पूरे कार्यकाल में इन तमाम मामलों पर जांच चलती रही, जबकि भाजपा नेता इन्हें राजनीतिक मामले ही बताते रहे।

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