MTV इंडिया का एक विडियो देखिए, जिसमें तीन दोस्त माल की तलाश में निकले हैं। जानिए, कैसा ‘माल’ चाहिए उन्हें..
सर्दियां लंबी खिंचने से सेबों की पैदावार पर असर
शिमला।।
सर्दियां लंबी खिंच जाने की वजह से हिमाचल प्रदेश के सेब इंडस्ट्री पर नुकसान के बादल मंडरा रहे हैं। गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश में हर साल सेबों का करीब 3,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। मगर इस बार लगातार हो रही बारिश और ओले वगैरह गिरने की वजह से पैदावार में कमी देखने को मिली है।
सर्दियां लंबी खिंच जाने की वजह से सेब का आकार छोटा रह जाता है। जाहिर है, इससे बहुत नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा ओले गिरने और तेज बारिश होने से भी नुकसान हो जाता है। सर्दियां बढ़ने की वजह से पेड़ों को सही पोषण नहीं मिल पाता है, जिससे पैदावार घट जाती है।
हिमाचल के किसान आस लगाए बैठे हैं कि कब धूप निकले और उन्हें थोड़ी राहत मिले।
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माँ चिंतपूर्णी क्षेत्र में गिरे गोल्फ बाल आकार के ओले
हिमाचल प्रदेश में मां चिंतपूर्णी मंदिर जाने वाले भक्तों के लिए एक खबर है। दरअसल, चिंतपूर्णी मंदिर में मां के दर्शन के लिए जाने वाले भक्तों को एतिहात बरतने की जरूरत है। क्योंकि यहां पर बर्फ के ओलों के चलते मौसम बेहद खराब हो गया है, जिस वजह से श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मुबारकपुर से ले कर भरवईं तक के रास्तो में डेढ़ फुट बर्फ़ की चादर बिछ गई है जिस के कारण ट्रैफि़क जाम हो गया है। मौसम में अचानक आई इस तबदीली के साथ तापमान भी नीचे गिर गया है। पूरे इलाको में करीब आधे घंटे तक ओले गिरते रहे और गौलफबाल के आकार जितने बर्फ़ के गोले पूरी सड़क पर बिछ गए।
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हर्षवर्धन के ऐतिहासिक फैसले को रद्द करने पर पकड़ा गया जे पी नड्डा का सफ़ेद झूठ
केंद्रीय स्वास्थ्यं मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने अपने ही मंत्रालय की उस ऐतिहासिक अधिसूचना को रद्द कर दिया है , जो पूर्व मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन के कार्यकाल में जारी हुयी थी। उस ऐतिहासिक अधिसूचना में तम्बाकू सिगरेट बना ने वाली कंपनियों को सख्त निर्देश दिए गए थे की। बीड़ी सिगरेट तम्बाकू आदि के पैकेट पर 85 % भाग में वैधनिक चेतावनी के साथ साथ कैंसर से होने वाले नुक्सान के फोटो भी अंकित रहेंगे। गौरतलब है की भारत में हर साल लगभग दस लाख लोग इन उत्पादों से होने वाले कैंसर से मर जाते हैं। हर्षवर्धन के कार्यकाल में आई इस अधिसूचना की देश और अंतरास्ट्रीय मंचों पर भी बहुत वाहवाही हुए थी। सूत्रों के मुताबिक़ मंत्रालय ने एक शुद्धि पत्र जारी किया है जिसमे यह कहा गया है की एक अप्रैल से अब यह नियम लागू नहीं होगा हालाँकि किसी नयी तारीख का जिक्र भी नहीं किया गया है। नड्डा के दस्तखत के बाद इसे अब लागू करने के लिए गजट में छापने के लिए भेजा गया है। हालाँकि हस्तक्षार करने के बावजूद भी नड्डा ने मीडिया के सामने इस बात से साफ़ इंकार कर दिया मंगलवार को अधिसूचना को टाले जाने की सम्भावना पर मीडिया द्वारा पूछे प्रशन में उन्होंने साफ़ इंकार कर दिया की मंत्रालय का ऐसा कोई विचार नहीं है। उन्होंने कहा की इस बारे में कोई आपत्ति आने पर मंत्रालय इस पर विचार करेगा हालाँकि उस से पहले ही वो हस्ताक्षर कर चुके थे। जनहित से जुडी यह अधिसूचना उन्हें वापिस क्यों लेनी पड़ी इस पर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे हैं पहले भी मीडिया में यह खबरे आती रहीं हैं की ही तम्बाकू और दवा माफिया के दबाब से सख्त फैसले लेने वाले मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन को इस मंत्रालय से हटाया गया था। तो क्या नड्डा उस दबाब के आगे झुक गए हैं इस पर तरह तरह की चर्चा हो रही है।
आसान नहीं थी कंगना रणौत के बॉलिवुड ‘क्वीन’ बनने की राह
कंगना रणौत भले ही फिल्मफेयर और नैशनल अवॉर्ड जीतने के बाद बॉलिवुड की क्वीन बन गई हों, लेकिन उनके लिए मायानगरी का सफर जरा-भी आसान नहीं रहा है। अपने ख्वाब को पूरा करने के लिए कंगना को बहुत कुछ करना पड़ा और बहुत दर्द भी सहने पड़े। आइए, डालते हैं कंगना के उस सफर पर नजर जो कभी फिल्मों के रुपहले पर्दे पर नजर नहीं आया…
दो नैशनल अवॉर्ड जीत चुकीं कंगना रणौत का जन्म 23 मार्च, 1987 को हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के भाम्बला गांव में हुआ, कंगना की मां आशा स्कूल टीचर और पिता अमरदीप व्यापारी हैं। कंगना बचपन से ही बोल्ड खयालातों की थीं। कंगना ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनके पापा जब उनके भाई के लिए प्लास्टिक गन और कंगना के लिए बॉल लाकर देते थे तो वह सवाल कर देती थीं कि यह फर्क क्यों किया जा रहा है। कंगना के परिवार वाले चाहते थे कि वह साइंस की पढ़ाई करें, लेकिन कंगना बेहद इमोशनल और सेंसिटिव थीं।
बॉम्बे टाइम्स के मुताबिक, कंगना की उनके पापा से नहीं बनी। झापड़ वाली बात के बाद उनके पापा ने कंगना से घर छोड़ने को कह दिया और कंगना भी सामान पैक करके अपने 10 साल बड़े एक दोस्त जसप्रीत के घर चली गईं। इसके बाद कंगना ने मॉडलिंग शुरू की और अस्मिता थियेटर ग्रुप से भी जुड़ गईं। कंगना ने यह भी कहा था कि उन्होंने खाने और रहने के लिए वह सब कुछ किया जो वह कर सकती थीं।
बॉम्बे टाइम्स के मुताबिक, जब कंगना अकेले रहने लगीं तो उनके पापा उन्हें 50 हजार रुपये देने गए ताकि उनका खर्च चल सके लेकिन कंगना ने पैसे लेने से मना कर दिया। इसके बाद, बाप-बेटी का रिश्ता और भी तल्ख हो गया।
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कंगना रणौत को उनकी पहली फिल्म गैंगस्टर किस्मत से मिली। कंगना ने अनुपम खेर के एक शो कुछ भी हो सकता है में खुलासा किया कि फिल्म हजारों ख्वाहिशें ऐसी के बाद शाइनी आहूजा हिट हो गए थे और भट्ट कैंप उन्हें गैंगस्टर के लिए साइन कर चुका था। शाइनी के साथ कंगना उम्र में काफी छोटी लग रही थीं इसलिए चित्रांगदा को साइन कर लिया गया। लेकिन फिर भाग्य पलटा और चित्रांगदा ने उसी दौरान फिल्म इंडस्ट्री को अलविदा कहने का मन बना लिया। फिर क्या था, कंगना को मेकअप से बड़ा किया गया और उन्हें सुपरहिट शुरुआत मिल गई।
जब कंगना ने गैंगस्टर में इमरान हाशमी के साथ बोल्ड किसिंग सीन दिया, तो उनके परिवार को गहरा धक्का पहुंचा। उनके दादा ने तो उन्हें यहां तक मेसेज कर दिया कि वह अपना सरनेम ही बदल लें।
बॉम्बे टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में कंगना ने बताया था कि उन्हें अपनी बहन रंगोली से बहुत प्यार है, जो कि एसिड अटैक का शिकार हो गई थीं। रंगोली के इलाज के लिए कंगना ने सब कुछ दांव पर रख दिया। बेस्ट जगहों पर रंगोली का इलाज करवाया। क्योंकि इस दौरान कंगना के पास काम भी नहीं था तो उन्होंने सिर्फ पैसे के लिए जगह-जगह गेस्ट बनकर जाना शुरू कर दिया।
यह बात भी आपको हैरान कर देगी कि कंगना खुद भले ही फिल्मों की क्वीन बन चुकी हों लेकिन एक वेबसाइट को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि उन्होंने सिर्फ 10 फिल्में देखी हैं। फिल्मों की जगह कंगना को किताबों और म्यूजिक का साथ पसंद है।
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हर तरह के फोक म्यूजिक को आगे लाना चाहते हैं आकाशदीप सिंह
दिल्ली में रहने वाले हमारे एक नियमित पाठक आशीष नड्डा ने हमें एक विडियो भेजा है। उनके अनुसार पिछले दिनों वह अपने कुछ मित्रों के साथ डिनर करने नोएडा के एक होटेल में गए थे। डिनर के साथ साथ वहां संगीत संध्या का भी आयोजन था। लोग खाने के आनंद के साथ साथ गजल भी सुन रहे थे। आशीष के ग्रुप में एक लड़का था- आकाश, जो संगीत का शौक रखता है और हिमाचल और पंजाब से सटे सीमावर्ती इलाके से है।
इन लोगों ने मैनेजर से आकाश से भी गाना गवाने के लिए रिक्वेस्ट की। मैनेजर ने काफी ना-नुकर के बाद दो मिनट का समय दिया। आकाश ने दो मिनट में क्या गाया, वह आप इस विडियो में देख सकते हैं।
आकाश सिंह आईआईटी दिल्ली से एम.टेक कर रहे हैं। उनकी बी.टेक पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज चंडीगढ़ से हुई है। समाज के पिछड़े तबके की शिक्षा के लिए काम करने के साथ साथ आकाश म्यूजिक में भी दिलचस्पी रखते हैं। क्लासिकल और सूफी फोक, हर तरह के म्यूजिक को जानना-समझना उन्हें रोमांचित करता है।
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आकाशदीप सिंह |
भविष्य में आकाश हिमाचली, डोगरी, पहाड़ी, पंजाबी, हर तरह के पारम्परिक फोक म्यूजिक को, जो कि आज विलुप्त होने के कगार पर है, एक्स्प्लोर करके आगे लाना चाहते हैं। इन हिमाचल की तरफ से आकाश सिंह को इस कार्य के लिए शुभकामनाएं।
(अन्य पाठक भी ऐसी किसी घटना के संस्मरण हमें मेल कर सकते हैं। हमारी ई-मेल आई डी है-
inhimachal.in@gmail.com)
कठुआ आतंकी हमले में हिमाचल निवासी की मौत
जम्मू-कश्मीर के कठुआ में शुक्रवार को हुए आतंकी हमले में हिमाचल प्रवेश निवासी एक शख्स की भी मौत हुई है। रणधीर सिंह नाम का यह शख्स नूरपुर का रहने वाला था। आतंकियों ने इसी शख्स की गाड़ी से लिफ्ट मांगी थी।
बताया जा रहा है कि नूरपुर के रहने वाले रणधीर सिंह और उनके साथी जम्मू मंडी से फल बेचकर महिंद्रा जीप से वापस आ रहे थे। रास्ते में सेना की वर्दी में खड़े आतंकियों ने लिफ्ट मांगी। सैनिक समझकर रणधीर ने लिफ्ट तो दी, लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि ये लोग मौत के सौदागर हैं।
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फाइल फोटो |
आतंकियों ने इसी गाड़ी को इस्तेमाल किया और पुलिस स्टेशन में पहुंचकर हमला किया। उन्होंने बंधक बनाए रणवीर की भी हत्या कर दी। इस आतंकी हमले में 3 सुरक्षाकर्मी भी शहीद हुए थे। दोनों आतंकियों को सुरक्षा बलों ने मार गिराया था।