मुख्यमंत्री के फेसबुक लाइव में खुली सरकार की ‘नाकामी’ की पोल, देखें

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हिमाचल प्रदेश में मौजूदा सरकार के कार्यकाल में लोगों की परेशानियां इतनी बढ़ गई हैं कि उनका कोई हिसाब नहीं है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने फेसबुक पर लाइव किया जिसमें वह ओक ओवर पर लोगों की समस्याएं सुन रहे थे। इस फेसबुक वीडियो में अंदर से लेकर बाहर तक लोगों की भारी भीड़ दिखाई दी। इतने फरियादी एक दिन में आने का मतलब है कि विभिन्न सरकारी महकमें लोगों की समस्याओं का समाधान करने में नाकाम हुए हैं और मजबूरन लोगों को प्रदेश के दूर-दराज के इलाकों से धक्के खाते हुए कड़ी धूप में लाइन लगाकर खड़े होना पड़ रहा है।

इतने सारे लोगों का मामूली बातों के लिए सीएम के दफ्तर तक आना बताता है कि हमारी सरकारों के पास लोगों की समस्याओं के निदान का कोई मकैनिजम नहीं है। अधिकारियों के स्तर पर और विभागों के स्तर पर लोगों की समस्याएं नहीं सुलझ रहीं। ऐसे में उनके पास कोई चारा नहीं रहता कि वे मुख्यमंत्री के पास आएं। ध्यान देने वाली बात यह है कि जिनकी समस्याएं यह सरकार सवा 4 साल में न सुलझा पाई हो, उनकी समस्याएं आखिर से कुछ महीनों में कैसे सुलझाएगी? बुजुर्ग मुख्यमंत्री अकेले किन-किन बातों का ध्यान रखेंगे और किन-किन समस्याओं को सुलझाएंगे।

दूर से आए लोग कड़ी धूप में फर्श पर बैठने को मजबूर हैं। छत पर छांव के लिए कुछ है न बैठने के लिए कुछ है।

उदाहरण के लिए एक डेलिगेशन ने मुख्यमंत्री को बताया कि उनके साइन के बावजूद अब तक उनकी समस्या हल नहीं हुई। इससे पहले कि वे अपनी बात पूरी कहते, उन्हें फिर आश्वासन दे दिया गया। लोकतंत्र में लोगों को अपनी मांगों को लेकर हाथ जोड़कर मजबूरी में खड़ा होते देखना शर्मनाक दृश्य है देखें:

साफ है कि मुख्यमंत्री को ऐसे दरबार न लगाना पड़ता अगर उनकी सरकार में सभी महकमे और अधिकारी चुस्त होते। इस तरह मुख्यमंत्री के पास आने से कुख लोगों की समस्याएं हल बेशक हो जाती हों मगर आम जनता को लाभ नहीं मिलता। हर कोई शिमला आकर तो मुख्यमंत्री से मिल नहीं सकता। बेहतर होता सरकार पब्लिक ग्रीवांसेज़ को समझाने का प्रॉपर मकैनिजम बनाती। कर्मचारियों की समस्याओं को सुलझाने के लिए बाकायदा नीतियां बनी होंती। मगर सरकार किसी की भी हो, ऐसा होता नहीं।

फेसबुक और अन्य मीडिया के माध्यम से लाइव आकर यह दिखाने की कोशिश भले की जा रही हो कि मुख्यमंत्री और मंत्री सीधे लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं, मगर हकीकत में यह सरकार की नाकामियों का प्रदर्शन लगता है।