प्रतीक बचलस।। हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था में पर्यटन और बागवानी का बहुत ज्यादा योगदान है। प्रदेश की कृत्रिम झीलें कई तरह से हिमाचल प्रदेश को समृद्ध बनाने में अपना योगदान दे रही हैं। ये कृत्रिम झीलें मुख्यत: सिंचाई, पीने का पानी और संचय के काम आती हैं ताकि कमी होने पर इस्तेमाल किया जा सके। फायदे तो हैं मगर इनका नुकसान भी प्रदेश को उठाना पड़ा है। एक तो बांधों का निर्माण बहुत ही खर्चीला काम है, साथ ही रख-रखाव का भी खास ख्याल रखना पड़ता है। प्रदेश की प्रमुख कृत्रिम झीलें इस तरह से हैं:
1. गोविंद सागर झील
गोविंद सागर झील हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी कृत्रिम झील है। यह बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर बनी है। इस झील की लंबाई 88 किमी.और क्षेत्रफल 168 वर्ग किमी. है। इसमें पुराना बिलासपुर शहर डूबा है। पुरानी इमारतें, महल और मंदिर तक डूबे हैं। कुछ मंदिर पानी का स्तर कम होने पर नजर आने लगते हैं।
2. पौंग झील
यह झील कांगडा जिले के नगरोटा सूरियां में स्थित है।इसकी लम्बाई 42 किमी. है। इस झील के पास पौंग बांध भी है जो 1960 में बना था। यह झील महाराणा प्रताप सागर के नाम से जानी जाती है। यहां भी कुछ मंदिर डूबे हुए है। पहचान है इसकी प्रवासी पक्षियों के खूबसूरत जमावड़े के लिए।
3. पंडोह झील
यह झील मंडी जिले में ब्यास नदी पर बनी हुई है। इसकी लम्बाई 14 किमी. है । यह राष्ट्रीय राजमार्ग -21 के किनारे है।
4. सुंदरनगर झील
यह झील बहुत ही सुंदर है।अपने मनमोहक दृश्य से ये कई पर्यटकों का मन मोह लेती है। यह मंडी जिले के सुंदरनगर शहर में स्थित है।
5. चमेरा झील
यह झील चम्बा जिले में स्थित है । यह झील रावी नदी पर बनी हुई है।यह झील डलहौजी से 25 किमी. की दूरी पर स्थित है। सर्दियों के दिनों में यहां का दृश्य और भी मनमोहक हो जाता है क्योंकि आस पास के वृक्ष और मैदान पूरी तरह बर्फ से ढक जाते है।
कुछ और झीलें भी हैं हिमाचल में जो अन्य बांधों पर बनी हैं। अगर आपको लगता है कि उन झीलों का नाम भी इनमें शामिल होना चाहिए था तो कॉमेंट करके बताएं।
(लेखक हिमाचल प्रदेश के ऊना से हैं और नैशनल ऐग्री फूड बायोटेक्नॉलजी रिसर्च इंस्टिट्यूट में सेवाएं दे चुके हैं। उनसे prateekdcoolest120@gmail com पर संपर्क किया जा सकता है।)