इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश के कई हिस्सों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि ‘चकरू-बकरू’ खाकर लोग बीमार पड़ गए। चंबा से लेकर मंडी जिले के कई पहाड़ी इलाकों में बरसात के मौसम में ऐसी घटनाएं आम हो जाती हैं। लोग घर के पास इधर-उधर उग आए खुंब यानी मशरूम की सब्जी बनाकर खाते हैं और फिर बीमार होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं। कई बार तो समय पर इलाज न मिलने से मौत तक हो जाती है।
क्या है चकरू-बकरू
चकरू बकरू एक तरह के मशरूम हैं जो बरसात के मौसम में ज़्यादा पाए जाते हैं। नम और मैली जगहों पर उग आने वाले ये छोटे मशरूम हिमाचल प्रदेश में सदियों से खाए जाते हैं। लेकिन हर मशरूम खाने लायक नहीं होता। कुछ मशरूम तो स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं मगर कुछ मशरूम बेहद जहरीले होते हैं। कुछ को खाने से नशा हो जाता है, कुछ को खाने पर अंदरूनी अंगों को इतना नुकसान पहुंचता है कि जान तक चली जाती है।
अमूमन हम लोग बाजार से लेकर जो मशरूम खाते हैं, वे पूरी तरह सुरक्षित होते हैं। उन्हें विशेष केंद्रों में उगाकर मार्केट लाया जाता है। जंगल में पाई जाने वाली गुच्छी भी सुरक्षित मशरूम है। मगर उसे पहचानना आसान होता है क्योंकि वह दिखती ही अलग तरह की है। लेकिन जंगलों या घरों के आसपास उग आने वाले सफेद रंग की छतरी वाले मशरूमों में यह पहचान करना मुश्किल हो जाता कि कौन सा विषैला है और कौन का सुरक्षित।
कई बार बहुत अनुभवी लोग भी इस काम में गलती कर देते हैं। मशरूमों की पहचान को लेकर आम तौर पर हम जो बातें अपने पूर्वजों से सुनते आए हैं, वे भी गलत हो सकती हैं। क्योंकि एक ही प्रजाति में पाया जाने वाला जहर इस बात पर अलग हो सकता है कि उसे कहां से उखाड़ा गया और कब उखाड़ा गया। इसीलिए बहुत से लोग चकरू बकरू समझकर जहरीले मशरूमों को भी खा लेते हैं और बीमार पड़ जाते हैं।
वैसे, सभी तरह के जहरीले मशरूम खाने से उल्टियां शुरू हो जाती हैं और पेट में तेज दर्द उठने लगता है। लेकिन अलग-अलग तरह के मशरूम इन लक्षणों के अलावा भी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। आम तौर पर जहरीले मशरूम खाने के दो घंटे के अंदर ही लक्षण दिखने लगते हैं। अगर आपको खाने के कुछ ही घंटों बाद लक्षण दिख रहे हैं तो इसका मतलब है कि मशरूम कम जहरीला था। लेकिन छह घंटों के बाद आपको लक्षण दिख रहे हैं तो समझ लीजिए ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि मशरूम बहुत ज़्यादा जहरीला है। ये बात आपको जरूर अटपटी लगी होगी मगर है सच।
इन बातों पर ध्यान दें
अगर किसी व्यक्ति ने मशरूम खाया है तो उसकी पहचान जरूर करें। इससे इलाज करने में आसानी होती है क्योंकि कुछ मशरूमों के कारण कई दिनों बाद गंभीर समस्याएं हो जाती हैं। लेकिन ये भी समस्या है कि हर अस्पताल या हर जगह ऐसा व्यक्ति नहीं हो सकता जो मशरूमों के बारे में जानकारी रखता हो। इसलिए मशरूम खाने से होने वाली पॉइजनिंग का इलाज लक्षणों के आधार पर ही किया जाता है। कई बार (अमूमन विकसित देशों में) स्टूल टेस्ट करके जांचा जाता है पेशंट ने कौन सा मशरूम खाया था।
भारत में सब जगह ऐसी सुविधा नहीं है, इसलिए ज्यादातर मशरूम पॉइजनिंग के मामलों में लक्षणों के आधार पर ही इलाज किया जाता है। कई बार ऐक्टिवेटेड चारकोल का इस्तेमाल किया जाता है। मगर ध्यान रहे, जरा सी लापरवाही जानलेवा बन सकती है। आगे पढ़ें, क्या-क्या गंभीर समस्याएं हो सकती हैं।
पेट और आंत में समस्याएं
Chlorophyllum molybdites और घर के पास घास में उगने वाले छोटे भूरे रंग के मशरूम खाने से पेट में गड़बड़ होने लगती है। कई बार सिरदर्द और मतिभ्रम की स्थिति भी हो जाती है। दस्त लग जाते हैं और कई बार खून भी निकल आता है। डॉक्टर लक्षणों के हिसाब से उपचार करते हैं और आमतौर पर इन मशरूम के कारण पैदा हुई स्थिति 24 घंटों में ठीक हो जाती है।
न्यूरोलॉजिक लक्षण (दिमाग़ पर असर)
कुछ मशरूम न्यूरोलॉजिक लक्षण भी पैदा करते हैं। जैसे कि आपको मतिभ्रम हो जाएगा। आपको नशे जैसी अनुभूति होगी और उटपटांग चीजें दिखने या सुनाई देने लगेंगी। बहुत से लोग ऐसे मशरूमों को नशे के लिए भी इस्तेमाल करते हैं। ये स्थिति Psilocybe जीनस के मशरूम खाने से होती है जिनके अंदर दिमाग को भ्रम में डालने वाला केमिकल psilocybin होता है।
इस तरह के मशरूम खाने के 15 से तीस मिनट के अंदर ही नशा होने लगता है। ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। हालांकि इससे घातक नुकसान कम होता है। ऐसी स्थिति वैसे तो अपने आप सुधर जाती है मगर डॉक्टर हालत सुधारने के लिए नींद की दवा दे सकते हैं।
मस्करीन के कारण गंभीर नुक़सान
मस्करीन (muscarine) ऐसा पदार्थ है जो Inocybe और Clitocybe मशरूम की किस्मों में पाया जाता है। इसके कारण कारण 30 मिनट के अंदर असर दिखने लगता है।
आंक की पुतली सिकुड़ जाती है, थूक और बलगम ज्यादा बनने लगता है, सांस लेने पर आवाज आने लगती है और अंगों में फड़कन होने लगती है।
अमूमन 12 घंटों के अंदर ये लक्षण ठीक हो जाते हैं। मगर डॉक्टर के पास ले जाना ज़रूरी है।
देर से होने वाले जानलेवा असर
जैसा कि हमने ऊपर बताया, कुछ मशरूमों के लक्षण देरी में आते हैं और वे ज्यादा जहपरीले होते हैं। Amanita, Gyromitra, और Cortinarius किस्मों के मशरूम ऐसा करते हैं। Amanita phalloides नाम के मशरूम के कारण ही दुनिया भर में मशरूम से होने वाली 95 प्रतिशत मौते होती हैं।
खाने के 6 से 12 घंटों के अंदर पेट में गड़बड़ हो सकती है। हो सकता है कुछ दिन के लिए आप ठीक हो जाएं। फिर अचानक लीवर या किडनी फेल होने का खतरा बना रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इस मशरूम में पाने जाने वाले जहर से शरीर के अंदर शुगर का स्तर बहुत कम हो जाता है। इसलिए मशरूम से होने वाली पॉइज़निंग के दौरान ब्लड शुगर चेक करते रहना चाहिए।
इसी तरह Amanita smithiana किस्म के मशरूम भी छह से 12 घंटे बाद लक्षण दिखाते हैं और एक से दो हफ्तों के अंदर किडनी फेल हो जाती है। फिर डायलिसिस ही रास्ता बचता है।
Gyromitra मशरूम भी ब्लड शुगर कम कर देते हैं। इसके अलावा दौरे पड़ना और गुर्दों और लिवर में दिक्कत आने जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
पेट गड़बड़ होने की समस्या तो तीन दिन में ठीक हो सकती है मगर मशरूम खाने के 3 से 20 दिन के बाद अचानक पेशाब की मात्रा घट सकती है। गुर्दे को पहुंचने का वाला नुकसान कई बार अपने आप ठीक हो जाता है।
इसलिए, जरा भी शक हो तो अनजान मशरूम न खाएं। पैसों की बचत करके भले बाजार से मशरूम का पैकेट ले आएं मगर जंगली मशरूम की गलत पहचान करके आत्मघाती क़दम उठाने से बचें।