हिमाचल के नाहन में शिया नहीं, सुन्नी निकालते हैं ताजिये

एमबीएम न्यूज नेटवर्क, नाहन।। हम पाठकों को बताते रहे हैं कि कैसे हिमाचल प्रदेश सांप्रदायिक सौहार्द्र की मिसाल है पूरी दुनिया के लिए। कैसे यहां पर मुस्लिम समुदाय के लोग ईद और शिवरात्रि पर भंडारा लगाते हैं, कैसे इस बार भगवान रघुनाथ के रथ को हिंदुओं और मुस्लिमों ने मिलकर खींचा और सिख समुदाय के लोगों ने इत्र का छिड़काव किया। वहीं मुसलमानों में शिया और सुन्नी समुदायों के बीच का प्रेम भी यहां देखने लायक है।

पूरी दुनिया में यह माना जाता है कि शिया और सुन्नी समुदाय के लोगों के बीच के रिश्ते अच्छे नहीं होते। इराक, सीरिया और यहां तक कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान तक में शिया और सुन्नियों के बीच हिंसक झड़कों की खबरें आती रही हैं। अपने देश की ही बात करें तो कई मौकों पर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की स्थिति तनावपूर्ण हो जाती है

मुहर्रम पर शिया समुदाय के लोग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं। हिमाचल प्रदेश के नाहन शहर में बुधवार को ताजियों का जुलूस निकाला गया। देश के विभिन्न हिस्सों में ताजिये निकालने की पंरपरा शिया समुदाय के लोग निभाते हैं, मगर यहां सुन्नी समुदाय के लोग यह काम करते हैं। गौरतलब है कि नाहन शहर में एक भी शिया परिवार नहीं है। विभिन्न मस्जिदों से आए चारों ताजिये कच्चा टैंक स्थित जामा मस्जिद में इकट्ठे हुए। इनके सामने मुस्लिम युवकों ने मातम किया। युवकों ने खुद को यातनाएं देकर और छाती पीटकर इमाम हुसैन की शहादत को याद किया।

नाहन की तस्वीर। Courtesy: MBM News Network
नाहन की तस्वीर। Courtesy: MBM News Network

सुन्नी समुदाय के लोग कई सालों से यह अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं। शहर के चार मोहल्लों हरिपुर, गुन्नूघाट, रानीताल और कच्चा टैंक में सुन्नी समुदाय के लोग मुहर्रम से दस दिन पहले ही ताजिये बनाने शुरू कर देते हैं। दिन-रात काम करने के बाद आकर्षक ताजिये तैयार होते हैं।

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सुन्नी मुस्लिमों द्वारा मुहर्रम मनाने की परंपरा 18वीं शताब्दी में महाराजा शमशेर प्रकाश के समय में शुरू हुई थी। उस समय यहां कुछ शिया परिवार रहते थे। वह परिवार अब यहां पर नहीं रहते। महाराजा सुरेंद्र प्रकाश के समय में इस बारे में एक फरमान जारी हुआ था कि सभी धर्मों के लोग इस समारोह में शामिल होंगे। आज भी सुन्नी मुस्लिम रियासतकाल की इस परंपरा का लगातार निवर्हन कर रहे हैं।

जिस दौर में हर धर्म के लोगों में कट्टरपन बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, उस दौर में हिमाचल मिसाल बना हुआ है। बहरहाल, हम भी यही कामना करते हैं कि हिमाचल प्रदेश को किसी की नजर न लगे और देश के अन्य हिस्से भी यहां से प्रेरणा लें।

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