जब उल्टा पड़ गया दांव तो डैमेज कंट्रोल में जुटे विक्रमादित्य सिंह?

विक्रमादित्य सिंह

शिमला।। हिमाचल सरकार से अपनी करीबी दिखाने और कई अहम मुद्दों पर अपनी पार्टी के स्टैंड से बाहर जाने वाले शिमला ग्रामीण से कांग्रेस के विधायक विक्रमादित्य इन दिनों डैमेज कंट्रोल में जुट गए हैं। जब उनके बयानों और सोशल मीडिया पर डाले पोस्ट्स के खिलाफ पार्टी के अंदर से ही आवाज आने लगी तो अब वह हिमाचल सरकार और सीएम जयराम पर सीधा निशाना साधने लग गए हैं। हालांकि इस बेचैनी में वह मजाक का पात्र भी बन रहे हैं क्योंकि जिन मुद्दों पर वह सवाल उठा रहे हैं, उन्हें लेकर बीजेपी को पूर्व सीएम और विक्रमादित्य के पिता वीरभद्र पर काउंटर अटैक का मौका मिल रहा है।

पहले तारीफें
ज्यादा समय नहीं हुआ है जब विक्रमादित्य प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की सरकार के दौरान अपने इलाके में हो रहे विकास की तारीफ करते नहीं थकते थे। उन्होंने इस संबंध में पत्रकारों को बयान भी दिए और फिर खबरें छपीं तो कटिंग्स भी फेसबुक पेज पर शेयर कीं।

“सोच सकारात्मक हो तो अच्छे कार्य में कोई बाधा नहीं आती”हमारा लक्ष शिमला ग्रामीण का विकास करवाना है जिसके लिए हम सरकार के अच्छे कार्य का समर्थन वह कमियों का विरोध करने में कभी पीछे नहीं हटेंगे ।

Vikramaditya Singh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಮಂಗಳವಾರ, ಆಗಸ್ಟ್ 13, 2019

ऐसा एक नहीं, कई मौकों पर हुआ।

”लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती , कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती“मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर से मुलाक़ात कर…

Vikramaditya Singh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಸೋಮವಾರ, ಜುಲೈ 22, 2019

इसके बाद जब भारत ने जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिया और कांग्रेस ने संसद में इसका विरोध किया तो विक्रमादित्य पार्टी के रुख से अलग गए और इस कदम का स्वागत किया। यहीं से उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी मोल ली। चर्चा होने लगी कि क्यों विक्रमादित्य अचानक बीजेपी की तरफ नरम पड़ रहे हैं। आलम यह हुआ कि विक्रमादित्य को खंडन करना पड़ा कि वह बीजेपी में नहीं जा रहे।

कुछ लोग ऐसी अफ़वा फैला रहे है की विक्रमादित्य सिंह ने धारा 370 और 35A के जाने का समर्थन इसलिए किया की वह भाजपा में जा…

Vikramaditya Singh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಶನಿವಾರ, ಆಗಸ್ಟ್ 10, 2019

जब इन सब बातों को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में भ्रम की स्थिति पैदा हुई तो अचानक विक्रमादित्य का अंदाज बदल गया। वह अचानक राज्य सरकार, खासकर सीएम जयराम पर हमलावर हो गए। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना कि विक्रमादित्य जब सीएम से अपनी करीबी की खबरें सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे थे, तब उनका इरादा सीएम को लेकर बीजेपी में असंतोष पैदा करना रहा होगा मगर हुआ इसका उल्टा। बड़े नेताओं का भले इसमें कोई बयान नहीं आया मगर ब्लॉक स्तर के नेताओं में दबी जुबान में चाहा कि विक्रमादित्य अपना रुख साफ करें और इसकी खबरें भी छपीं।

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अब क्या कर रहे हैं
विक्रमादित्य मौजूदा सरकार को घेरने के लिए अलग अलग मामलों में बयान दे रहे हैं मगर सोशल मीडिया पर लोग उन्हें पिछली सरकार की याद दिला रहे हैं। उदाहरण के लिए जब उन्होंने 118 का मुद्दा उठाया तो लोगों ने पूछा कि आपके पिता के सीएम रहते कितने लोगों को जमीन खरीदने की मंजूरी मिली और लैंड सीलिंग ऐक्ट के तहत कुछ चाय बागानों का लैंड यूज क्यों बदला गया।

जब राजनीतिक नियुक्तियों पर उन्होंने प्रश्न किया तो जनता ने पूछा- आप भी तो कौशल विकास निगम के निदेशक रहे थे, तब क्यों यह पद लेने से इनकार नहीं किया। इसके बाद जब उन्होंने आर्थिक संकट और प्रदेश पर कर्ज का हवाला दिया तो उनसे पूछा गया कि वीरभद्र सरकार ने कितने करोड़ रुपये का कर्ज लिया था और वह कहाँ-कहाँ खर्च हुआ। फिर उन्होंने सरकारी वाहनों के दुरुपयोग का मुद्दा उठाया तो इसपर भी उनसे सवाल किए गए।

हाल ही में उन्होंने प्रदेश की खराब आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए विधायकों का भत्ता बढ़ाने का विरोध किया तब फेसबुक पेज पर कमेंट करके लोगों ने उनसे सवाल किया गया कि क्या पिछली सरकार ने ही विधायकों के वेतन-भत्तों को दोगुना नहीं बढ़ाया था जब प्रदेश पर 45000 करोड़ का कर्ज था।

हाल ही में उन्होंने सीएम जयराम को हेलीकॉप्टर वाला सीएम कहा तो सवाल उठे कि क्या वीरभद्र पैदल यात्राएं किया करते थे और क्या उनके परिजनों ने कभी सरकारी हेलीकॉप्टर की सैर नहीं की।

अब उन्होंने एक बार फिर सचिवालय में अन्य राज्यों के लोगों की भर्ती को लेकर सवाल पूछा है।

मुख्यमंत्री जी , हिमाचल मैं क्या पढ़े लिखो की कमी है ? आपको याद दिलाना चाहेंगे हिमाचल देश के सबसे शिक्षित राज्यों में से एक है ।

Vikramaditya Singh ಅವರಿಂದ ಈ ದಿನದಂದು ಪೋಸ್ಟ್ ಮಾಡಲಾಗಿದೆ ಬುಧವಾರ, ಸೆಪ್ಟೆಂಬರ್ 4, 2019

मगर यह सवाल मौजूदा सरकार के बजाय पिछली सरकार के लिए ज्यादा प्रासंगिक है क्योंकि वीरभद्र सरकार चुपके से नियम बदल गई थी।

यानी लगातार वह ऐसे सवाल पूछ रहे हैं जो सत्ताधारी बीजेपी को पिछली सरकार और उसके मुखिया वीरभद्र सिंह पर पलटवार करने का मौका दे रहे हैं। कांग्रेस के लिए असहज करने वाली स्थिति है क्योंकि पहले विक्रमादित्य मौजूदा सरकार की तारीफ कर रहे थे और अब उसपर हमला कर रहे हैं तो अपनी ही पार्टी की पिछली सरकार की खामियों को सामने ला दे रहे हैं जिनका बचाव करना पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।

कांग्रेस सरकार के दौरान खुला था गैर-हिमाचलियों की भर्ती का रास्ता

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