राजीव बिंदल का बीजेपी अध्यक्ष बनना तय : दिवाली के बाद हो सकती है औपचारिक घोषणा !

भाजपा संगठन चुनाव 
  • इन हिमाचल डेस्क 
  मंडल एवं जिले के चुनाव शांतिपूर्वक करवाने में बी जे पी इस बार सफल रही है।  हालाँकि गौर किया जाए तो आलाकमान के इशारे पर पुराने लोगों को ही रिपीट होने का मौका दिया गया है।
भाजपा में मंडलों एव जिलो के चुनाव तो ज्यादा महत्व नहीं रखते पर हाँ अद्यक्ष पद के लिए जद्दोजेहद होने की इस बार भारी  उम्मीद थी ।  शांता -धूमल एवं  अब नड्डा समर्थक उमीदवार अपने लिए गोटिया बिछाने लगे हुए थे हैं।  
सुगबुगाहटों की  की बात की जाए तो इस समय संग़ठन में अद्यक्ष सत्ती पार्टी  उपाद्यक्ष  सांसद राम स्वरुप शर्मा , एवं  महामंत्रियों में बिंदल , रणधीर एवं  विपिन  परमार  के नाम अद्यक्ष पद के लिए चर्चा में  रहे ।  कुछ लोग जय राम ठाकुर का नाम भी लेकर आ रहे हैं परन्तु जय राम अभी कुछ साल पहले तक भाजपा अद्यक्ष रह चुके है  इसलिए इस बात में अभी दम नहीं जान पड़ता है।  
सतपाल सत्ती का नाम इसलिए चर्चा में है क्योंकि सत्ती दोनों गुटों से सतंतुलित  समीकरण बनाकर चलने में कामयाब रहे थे परन्तु खिमी राम के कार्यकाल को भी मिला दिया जाए तो सत्ती के दो कार्यकाल हो चुके हैं इसलिए तीसरा मिलना भाजपा सविंधान के विरूद्ध है।
जहाँ तक राम स्वरुप की बात है वो धूमल गुट के ही माने जाते रहे हैं।  परन्तु सांसद बन ने के बाद उन्होंने भी गुटबाज़ी का त्याग करके संतुलन का रास्ता अपना लिया है।  सूत्रों की माने  तो संघ के प्यारे राम स्वरुप भी अपने लिए लॉबिंग नहीं कर रहे और फिलहाल इस जिमेदारी से दूर ही रहना चाहते हैं 
इसके बाद धूमल गुट से रणधीर शर्मा का नाम चला है , रणधीर  शर्मा आजकल पूर्ण रूप से धूमलमय हो गए हैं।  धूमल परिवार पर कांग्रेस के  आरोपों का हर दिन जबाब रणधीर शर्मा ही दे रहे हैं।  परन्तु बिलासपुर जिला से  सबंधित होने के कारण बिना नड्डा के  रणधीर की नाव का पार लगना थोड़ा मुश्किल लग रहा है।  
वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने इस बार चुनावी और संग़ठन की गतिविधियों से अपने आप को दूर कर लिया है जिस से कांगड़ा से विपिन परम्मार की दावेदारी खत्म मानी जा रही है।  
इन सब  बीच सूत्रों की माने तो आलाकमान संघ एवं केंद्रीय मंत्री जे पी नड्डा की सहमति  पार्टी महासचिव एवं नाहन के विधायक  राजीव बिंदल  पर बन गयी है।  संग़ठन महामंत्री रामलाल ने  बिंदल का का नाम  इस पद के लिए आगे रखा है।   बिंदल किसी जमाने में धूमल के ख़ास सिफालसार माने जाते थे।  परन्तु अब वो जे पी नड्डा के साथ हैं।   इतिहास कहता है की सोफत को राजनीति में पीछे धकेलकर बिंदल को सोलन से लाने में नड्डा की भी विशेष भूमिका रहे थी।  
चुनावी  रणनीति के माहिर बिंदल अगर भाजपा अध्यक्ष बनते हैं तो प्रदेश में नए समीकरण भविष्ये में उभर कर आ सकते हैं।  बिंदल संघ काडर के भी बहुत करीबी हैं सोलन शिमला सिरमौर तक की राजनीति में बिंदल एक ख़ास अहमियत रखते है।  सूत्रों की माने तो दिवाली के बाद बिंदल  के नाम की औपचारिक घोषणा हो सकती है 
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