क्वॉरन्टीन टूरिजम: पैसे देकर होटलों के कमरे देखने हिमाचल आएंगे लोग?

प्रतीकात्मक तस्वीर

आई.एस. ठाकुर।। जब एक अख़बार में आज सुबह ये ख़बर पढ़ी कि हिमाचल सरकार ने प्रदेश को ‘क्वॉरन्टीन डेस्टिनेशन’ बनाने पर विचार करने की बात की है, सिर चकरा गया। मैं सोचने लगा कि मुझे ये अख़बार पढ़ना बंद कर देना चाहिए क्योंकि इसने ज़रूर कुछ गड़बड़ बात छापी है।

सच कहूँ तो मुझे लगा कि कोई ऐसी बात भला कैसे कर सकता है, ज़रूर किसी रिपोर्टर ने गड़बड़ की है। मगर फिर उसके आगे मैंने नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री की प्रतिक्रिया पढ़ी जिनका कहना था कि ‘यह विचार अनैतिक है और लोगों को क्वॉरन्टीन के लिए यहाँ लाना सही नहीं है।’

फिर मैंने इंटरनेट पर सर्च करके वीडियो देखा तो पता चला कि ये बात सच है और हिमाचल प्रदेश के सीएम का कहना है कि ‘कोरोना संकट के कारण प्रदेश के पर्यटन उद्योग को धक्का लगा है और ऐसे सुझाव आ रहे हैं कि अगर भविष्य में कोरोना की स्थिति बेहतर होती है और लोगों को क्वॉरन्टीन में रहने के लिए कहा जाता है तो वे हिमाचल आकर ऐसा कर सकते हैं।’

मन भारी हो गया है। हैरान था कि हमारे हिमाचल प्रदेश के नेता क्या सोच रहे हैं और ऐसा कैसे सोच पा रहे हैं?

अव्यावहारिक सुझाव
पहली बात तो ये कि क्वॉरन्टीन डेस्टिनेशन बनाने की बात करना बहुत ही छिछला और वाहियात सुझाव है। व्यावहारिक होना तो दूर की बात है, इस पर तो विचार करना भी समझदार लोगों को शोभा नहीं देता। ऐसा इसलिए, क्योंकि देश में कोरोना संकट में ंकमी तभी आ आएगी, जब कोई वैक्सीन बनेगी, इलाज का तरीक़ा मिलेगा और टेस्टिंग बढ़ेगी। अभी इलाज का तरीक़ा नहीं है और टेस्ट करने के लिए पर्याप्त किट्स नहीं हैं तो लोगों को क्वॉरन्टीन किया जा रहा है और लक्षण सामने आने पर संदिग्ध संक्रमितों के ही टेस्ट किए जा रहे हैं।

मगर कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए बनी विशेष कमेटी कह चुकी है कि एक डेढ़ महीने में भारत रोज़ाना बड़े पैमाने पर लोगों का टेस्ट कर पाएगा। अगर ऐसा होगा तो लोगों को क्वॉरन्टीन किए जाने की ज़रूरत नहीं होगी। अभी इसलिए क्वॉरन्टीन किया जा रहा है ताकि टेस्ट होने से पहले कोई व्यक्ति कैरियर बनकर अपने संपर्क में आने वाले लोगों को संक्रमित न कर दे। ऐसे में, आपदा को अवसर में बदलकर क्वॉरन्टीन डेस्टिनेशन बनाने का विचार ही अव्यावहारिक है।

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क्वॉरन्टीन होने के लिए ट्रैवल कौन करेगा?
चलिए, मान लेते हैं कि भविष्य में टेस्टिंग फ़ैसिलिटी नहीं बढ़ेगी और लोगों को क्वॉरन्टीन रहने के लिए कहा जाता रहेगा। तो क्या उस अवस्था में लोगों को ट्रैवल करने दिया जाएगा? क्वॉरन्टीन का मतलब होता है ख़ुद को ऐसे अलग-थलग रखना कि आप किसी संक्रमण की चपेट में न आ सकें। जब आप ट्रैवल करेंगे और वो भी एक राज्य से दूसरे राज्य में तो बीच में आप कई व्यक्तियों और संक्रमित चीज़ों के संपर्क में आ सकते हैं।

विभिन्न क्वॉरन्टीन उन्हीं लोगों को किया जा रहा है जो कहीं बाहर से लौट रहे हैं या फिर संक्रमित व्यक्ति के क़रीब आए होते हैं। तो आप ये बताइए कि कोई व्यक्ति गोवा से अपने घर हरियाणा पहुँचा है और उसे प्रशासन की ओर से क्वॉरन्टीन रहने के लिए कहा जाता है तो क्या वह ये बोलेगा कि यहां नहीं, मुझे हिमाचल के होटल में क्वॉरन्टीन होना है?

और अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित के संपर्क में आया है और फिर उसे क्वॉरन्टीन होने के लिए कहा जाता है, तो वह कहता है कि जी ठीक है, मेरे घर के बाहर बेशक यह लिखा है कि कोई और शख़्स अंदर नहीं आ सकता मगर आप मुझे हिमाचल भेज दो। तो क्या उस संभावित संक्रमित व्यक्ति को वहाँ का प्रशासन कहीं बाहर ट्रैवल करने देगा? क्या हिमाचल सरकार ख़ुद अपने यहाँ ऐसा करने दे रही है?

मान लेते हैं कि उसे इजाज़त मिल जाती है और वो हिमाचल चला आता है। लेकिन फिर जब वह हिमाचल में क्वॉरन्टीन होकर अपने प्रदेश लौटेगा तो उसे फिर से क्वॉरन्टीन रहने के लिए नहीं कहा जाएगा? क्योंकि क्वॉरन्टीन अवधि में बंद रहने के बाद जब आप हिमाचल में अपने राज्य के लिए ट्रैवल कर रहे होंगे, वायरस से तो तब भी संक्रमित हो सकते हैं। है न?

होटलों के इंटीरियर देखने आएँगे लोग?
और सबसे बड़ी बात ये है कि क्वॉरन्टीन का मतलब ही जब कहीं अलग थलग रहना है तो हिमाचल में आने पर भी तो लोगों को होटलों में बंद ही रहना होगा? या अभी कर्फ़्यू लगाकर बैठी सरकार टूरिजम को बूस्ट करने के लिए बाहर से क्वॉरन्टीन होने आए संभावित कोरोना संक्रमितों को खुलेआम पहाड़ों के नज़ारे देखने देगी? नहीं न? तो फिर कोई बंदा बेवकूफ है जो भारी भरकम पैसे खर्च करके सिर्फ़ होटलों का इंटीरियर देखने हिमाचल आएगा? कमरा तो कमरा है, हिमाचल के होटलों से कहीं बेहतर कमरे उसे कम पैसों पर अपने शहर में मिल जाएंगे।

कुल मिलाकर बात ये है कि हिमाचल को कोरोना क्वॉरन्टीन डेस्टिनेशन बनाने का हास्यास्पद सुझाव देने वाले को ‘मोस्ट इनोवेटिव आइडिया ऑफ़ द इयर’ का अवॉर्ड देना चाहिए।

मतलब सुझाव देने वालों के पास ऐसा आइडिया आ कहां से जाता है और हैरानी इस बात की है कि सरकार इसे विचार करने लायक भी समझ लेती है। और तो और, नेता प्रतिपक्ष को ये आइडिया अव्यावहारिक और अजीब नहीं बल्कि ‘अनैतिक’ लगता है। शायद हमारे नेताओं के पास सोचने के लिए समय नहीं है या फिर समझ नहीं है। जो भी हो, स्थिति ख़तरनाक है।

(लेखक लंबे समय से हिमाचल और देश-दुनिया से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। ये उनके निजी विचार हैं। आप उनसे kalamkasipahi @ Gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं)

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सीएम बोले- हिमाचल को क्वॉरन्टीन डेस्टिनेशन बनाने पर कर रहे विचार

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