पैसे के पीछे मत भागिए, अथाह दौलत भी सुख-चैन नहीं दे सकती

कर्म सिंह ठाकुर।। आज TV चैनल समाचार पत्रों में नीरव मोदी के कारनामे सुर्खियां बटोर रहे हैं। PNB को करोड़ों रुपए का चूना लगाने के बाद नीरव मोदी कहां चले गए किसी को कोई खबर नहीं। भारत विश्व में एक उभरती हुई शक्ति के रूप में अपनी पहचान बना रहा है लेकिन देश की जनता के पैसे को सरकारी तंत्र व गैर सरकारी तंत्र की मिलीभगत के कारण नीरव मोदी जैसे व्यापारी लूट कर फरार हो जाते हैं।

यूपीए-1 और यूपीए-2 के 10 वर्षों के शासनकाल में निरंतर घोटाले सामने आए थे जिससे परेशान होकर बरस 2014 के चुनावों में भारतीय जनता जनता पार्टी को भारी बहुमत देकर सत्तासीन करवाया था। वैश्विक मंच पर नरेंद्र मोदी द्वारा भारत की छवि को उभारने की भरसक कोशिश की गई जिसके काफी हद तक सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलते हैं। लेकिन हाल ही में सरकारी बैंकिंग प्रणाली में घोटाले सामने आए हैं उन्होंने सरकार की चिंताओं को भी बढ़ा दिया है। इन सरकारी बैंकों में जमा राशि देश के गरीब असहाय व जरूरतमंद लोगों की है जिन्होंने अपने संपूर्ण जीवन की पूंजी को बैंकों में जमा करा कर रखा है ताकि आने वाले कल में अपनी जरूरतों को पूरा कर सके लेकिन इस तरह की लूट जो बैंकों में देखने को मिली इससे बैंकिंग तंत्र पर भी संदेह के घेरे में आ जाता है।

भारत की वास्तविक स्थिति का आंकलन किया जाए तो देश में 17 करोड लोग भुखमरी की चपेट में है भूखे पेट सोने के लिए मजबूर है। दुनिया में सबसे अधिक बच्चे कुपोषण के शिकार भारत में ही है अन्नदाता किसान गरीबी ब ऋण को चुकाने की मजबूरी के कारण आत्महत्या करने के लिए विवश है। बेरोजगार दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर है। ऐसे देश में यदि एक समृद्ध हीरा व्यापारी बैंक को करोड़ों रुपए का चूना लगाकर भाग जाता है तो यह देश को शर्मसार करता है। कहीं ना कहीं नीरव मोदी भी चैन की नींद नहीं सो पा रहा होगा आज भारत की खुफिया तंत्र नीरव मोदी को पूरे देश में खोजने में लगी हुई है तो नीरव मोद भी अपने आप को बचाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है तथा एक-एक दिन के लिए करोड़ों रुपए स्वाहा करने पड़ रहे होंगे। तभी वह पुलिस तंत्र से बचने में कामयाबी पा रहा है।

कभी किसी एक कमरे में रात बिताता होगा तो कभी किसी दूसरे व्यक्ति के परिचय के साथ किसी अन्य होटल या अन्य देश की तरफ रुख करता होगा ताकि सुरक्षा एजेंसियों की नजरों से बचा जा सके। ऐसी परिस्थिति के लिए कौन जिम्मेवार है यह प्रशन नीरव मोदी को सता रहा होगा जबकि एक बेरोजगार असहाय गरीब ब भिखारी भी अपनी मर्जी से जहां भी चाहे जा सकता है जो चाहे खा सकता है किसी की गुलामी या एहसान का मोहताज नहीं बना हुआ है। लेकिन निर्भय मोदी करोड़ों रुपए की संपत्ति के बावजूद भी सुखचैन इज्जत की जिंदगी को जीने के लिए लाचार और विवश है।

दुनिया भर में नीरव मोदी हीरा व्यापारी के रूप में ख्याति प्राप्त कर चुका था लेकिन पश्चिम की अंधी भौतिकवादी सभ्यता ब धन की असीम लालसा ने नीरव मोदी को अंधा कर दिया और इस अंधेपन के कारण ही आज नीरव मोदी सुख व इज्जत के एक पल को पाने के लिए भी करोड़ों रुपए खर्च करने के लिए मजबूर बन गया है। नीरव मोदी द्वारा किए गए घोटाले की चर्चाएं भारत में ही नहीं पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोर रही है।

इस तरह के कृत्य का यदि वास्तविक आंकलन किया जाए तो रातों-रात धनकुबेर बनने की लालसा में मानव को अंधा कर दिया है। आज के बच्चे अपने माता-पिता व बुजुर्गों की हत्या भी महज कुछ रुपयों की को पाने की लालसा के लिए कर देते हैं। नैतिक मूल्य मूल्यों का स्तर इतना गिर चुका है कि मानव अपने अस्तित्व का ही दुश्मन बन चुका है। आज के युवा को भी नीरव मोदी के इस कुकृत्य से सबक लेना होगा दुनिया में सफलता का कोई भी शॉर्टकट नहीं है रातों रात अमीर बनने का सपना आपको नीरव मोदी जैसी जिंदगी जीने के लिए विवश कर सकता है।

इस घटना से सबक लेते हुए आज के युवा वर्ग को पूर्ण इमानदारी मेहनत व सजगता से अपने भविष्य को संवारना का प्रण लेना होगा था भिखारी से भी बदतर जिंदगी जीनी होगी जिसकी जिसका उदाहरण आज नीरज मोदी की जीवन शैली में देखने को मिलता है। ऐसी संपत्ति का भी क्या फायदा जो कि एक पल का सुख भी ना दे दे सके। किसी ने सच ही कहा है की बुरे कार्यों का नतीजा भी बुरा ही होता है और मानव द्वारा किया गया एक कुकृत्य उसके अपने जीवन के साथ-साथ उसकी संपूर्ण पारिवारिक जीवन को भी प्रभावित कर देता है। ऐसी कुकृत्यों से बचने के लिए मानव को अपनी लालसाओं को नियंत्रित करके अपनी जीवनशैली को जीना चाहिए मानव को जो मिलता है उसी में संतोष करके शांत जीवन जीने की कला सीखनी होगी। पर यह आधारभूत सत्य है जो मनुष्य को मिलता है उससे बस संतुष्ट नहीं होता है और जो नहीं मिलता है उसको पाने के लिए वह जीवन भर तड़पता छटपटाता रहता है। यही कारण है कि आज देश में नीरव मोदी जैसे व्यापारी अपनी समृद्धता के कारण भी अपने परिवार व समाज को एक इज्जतदार जिंदगी देने में असमर्थ है।

भ्रष्टाचार से निजात पाने के लिए सरकार को कड़े नियमों का निर्धारण करना होगा ताकि विजय माल्या व नीरव मोदी जैसे व्यापारी सरकारी जनतंत्र में सेंध ना लगा सके। अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट ग्लोबल करप्शन इंडेक्स 2017 के अनुसार भारत का क्रमांक 81/180 है 180 देशों में से असमय स्थान पर है भारत को अंक आ जाना है बेहद चिंतनीय बहुत शर्मनाक स्थिति को दर्शाता है। वर्तमान में भारत एक बड़ी ताकत के रूप में वैश्विक मंच पर अपनी छाप छोड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के मामले में दिन-प्रतिदिन नए-नए मामले सामने आ रहे हैं जो कि भारत की छवि को तार तार कर रहे हैं। एशिया के अति पिछड़े देश में भ्रष्टाचार व अन्य सुविधाओं के मामले में भारत से आगे निकलते नजर आ रहे हैं। भारत को एशिया महाद्वीप पर अपना स्थायित्व स्थापित करने के लिए ट्रांसपेरेंसी को बढ़ाना होगा तभी भारत है एशिया में अपनी छवि को सुधार सकता है।

भारतवर्ष में भ्रष्टाचार को लेकर बड़े-बड़े आंदोलन भी किए गए लेकिन परिणाम बेहद निराशाजनक रहे वर्तमान युग आधुनिक सूचना प्रौद्योगिकी की सुगमता से भ्रष्टाचार से निजात पाई जा सकती है। इस संदर्भ में सरकार को कड़े से कड़े नियमों का निर्धारण करके भ्रष्टाचार को मिटाना होगा ताकि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में एक साधारण से साधारण व्यक्ति तक भी सरकारी तंत्र की सुविधाओं की धरातलीय पहुंच सुनिश्चित की जा सके अन्यथा आम आदमी का विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र से विश्वास उठता जाएगा।

भ्रष्टाचार तथा घोटालेबाजी भारत को अंदर से खोखला करती जा रही है आम आदमी इसकी चपेट में पिस्ता जा रहा है धनिक तंत्र भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाता है। व्यापार की आड़ में या राजनीतिक सरकारी व गैर सरकारी तंत्र की सहभागिता के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ावा देता है। अमीर व्यक्ति दिन प्रतिदिन अमीर होता जा रहा है जबकि गरीब व्यक्ति और भी गरीब बन रहा है

(लेखक कर्म सिंह ठाकुर मंडी ज़िले के सुंदरनगर से हैं। उनसे ksthakur25@ gmail. com या 98053 71534 पर संपर्क किया जा सकता है।)

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(ऊपर लेखक के निजी विचार हैं)

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