बसों का किराया 25% बढ़ाकर बोली सरकार- बाक़ी राज्यों से कम बढ़ाया

प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कैबिनेट के फ़ैसलों की जानकारी देते सुरेश भारद्वाज (File Photo)

शिमला।। हिमाचल प्रदेश कैबिनेट ने आज कई फ़ैसले लिए जिनमें बसों का किराया बढ़ाना भी शामिल है। कैबिनेट ने बसों का किराया 25 प्रतिशत तक बढ़ाने की इजाज़त दी है। यानी अगर कहीं जाने के लिए आपको 100 रुपये का टिकट कटवाना होता था तो अब 125 रुपये देने पड़ सकते हैं। हालाँकि, किराया कब से बढ़ना है और कितना बढ़ना है, एचआरटीसी को यह फ़ैसला लेना है।

लंबे समय से सरकार की ओर से इस तरह के बयान आ रहे थे कि किराया बढ़ाया जा सकता है। मगर जनता के बीच विरोध होने के बाद परिवहन मंत्री इस बात से पलट गए थे। पिछली कैबिनेट बैठक के बाद गोविंद ठाकुर का कहना था कि बैठकों में कई विषयों पर चर्चा होती है मगर ज़रूरी नहीं कि हर बात पर फ़ैसला ले ही लिया जाए। मगर इसके कुछ ही दिन बाद अब किराया वाक़ई बढ़ाने की इजाज़त दे दी गई है।

कैबिनेट के फ़ैसलों की जानकारी देने के लिए बैठक के बाद शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज मीडिया से मुख़ातिब हुए। उन्होंने कहा, “देश के विभिन्न राज्यों, जैसे कि पंजाब ने भी बसों के किराये बढ़ा दिए हैं। उत्तराखंड ने तो बहुत ही ज़्यादा बढ़ाए हैं। हिमाचल में भी आज बसों का किराया बढ़ाने का फ़ैसला किया गया है। कोविड-19 के कारण 33 प्रतिशत बसें नहीं चल पा रही हैं। डीज़ल के रेट भी बढ़े हैं इसलिए 25 प्रतिशत तक किराया बढ़ाने की मंज़ूरी दे दी गई है।”

इसके आगे उन्होंने फिर कहा, “कैबिनेट बढ़ोतरी नहीं करना चाहता था मगर आस पड़ोस के राज्यों ने हिमाचल से ज़्यादा बढ़ोतरियाँ की हैं।” उनकी इस बात का क्या लॉजिक है, यह समझ से परे है। ज़्यादा बढ़ोतरियाँ पड़ोसी राज्यों द्वारा कर दिए जाने से हिमाचल सरकार कैसे किराया बढ़ाने को मजबूर हुई, यह उन्होंने नहीं समझाया और न ही बाद में पत्रकारों की ओर से सवाल पूछा गया।

आगे उन्होंने कहा, “यहाँ पर प्राइवेट ट्रांसपोर्टर्स और एचआरटीसी की बसें आज की कैपेसिटी में चल रही हैं, उसका एक हफ़्ते में पाँच करोड़ के घाटे में पड़ रही हैं। तो सब इस बर्डन को उठाए, इसलिए इसमें ज़्यादा बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसलिए सबके ऊपर थोड़ा थोड़ा बर्डन डाला गया है कि सब इस इसे उठाएं। इसका निर्णय लिया गया है।”

ऐसा हाल तब है, जब बसें फ़ुल कैपेसिटी में चल रही हैं यानी यात्री चिपककर बैठ रहे हैं। उसमें दूरी भी उचित नहीं बन पा रही। सवाल ये है कि बसें 33 प्रतिशत ही चल रही हैं तो बाक़ी बसों को क्यों नहीं उतारा जा रहा? जब प्रदेश में लोगों के आय के साधन कम हो गए हैं, उसी दौर में किराये को 25 प्रतिशत तक बढ़ाने का एलान परेशान करने वाला है। हालाँकि, माना जा रहा है कि बाद में किराया 25 प्रतिशत की बजाय कम बढ़ाया जाए और लोगों को ऐसा संदेश देने की कोशिश की जाए कि सरकार ने उन्हें और राहत देकर कम किराया बढ़ाया है।

भारद्वाज ने कहा कि अब वर्तमान विधायक एचआरटीसी की बसों में मुफ़्त यात्रा नहीं कर पाएँगे। हालाँकि यह भी शोध का विषय है कि हिमाचल का कौन सा सिटिंग एमएलए एचआरटीसी की बसों में यात्रा करता है।

बस किराया बढ़ाने के प्रस्ताव पर हिमाचल के परिवहन मंत्री का यू-टर्न

SHARE