कोर्ट ही बचा सकता है हिमाचल को ड्रग्स के मकड़जाल से

हिमाचल प्रदेश में भी नशे का कारोबार बढ़ता जा रहा है। पहले भांग के उत्पादों के लिए हिमाचल बदनाम था ही, युवा पीढ़ी कैपसूल और इंजेक्शन जैसे नशे भी करने लगे हैं। अखबार ऐसी खबरों से भरे पड़े हैं। ऐसे में इस विषय पर लेखक ने प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा है, जिसे उन्होंने हमें भी भेजा है। हम इसे यथावत प्रकाशित कर रहे हैं।

श्री मंसूर अहमद मीर जी,
माननीय मुख्य न्यायाधीश
हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय।

विषय: नशे से सबंधित मामलों के लिए अलग फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन हेतु।

श्रीमान,
बहुत दुःख के साथ आपको यह सूचित करना पड़ रहा है की नशे के सौदागरों ने हिमाचल जैसे शांत प्रदेश में भी अपनी पकड़ बना ली है। पिछले दिनों से प्रदेश के अखबार इन्ही खबरों से भरे हुए हैं की नशे की भारी खेप अलग अलग स्थानों पर पकड़ी जा रही है। चिंता की विषय यह हो गया है की नशे के यह सौदागर नाबालिगों और छात्रों को अपना शिकार बनाने में लगे हैं। स्कूल जाते बच्चों तक को प्रतिबंधित दवाइयों कैप्सूलों और चरस की सप्लाई मोहल्ले गांव तक करने तक करने के लिए नेटवर्क बन चुका है।

श्रीमान हिमाचल प्रदेश मध्यम आय वाले नागरिकों का प्रदेश हैं। यहाँ खेती बाड़ी से भी लोगों को इतनी आय नहीं है। अभिवावक अपनी मेहनत की जमा पूंजी से बच्चों को शिक्षण संस्थानों में भेज रहे हैं ताकि वो अच्छी शिक्षा के साथ नौकरी लेकर अपना जीवन यापन सम्मान पूर्वक कर सकें। परन्तु अभी पिछले कुछ मामलों में देखा गया की यही शिक्षण संस्थान नशे के सौदागरों के लिए मार्किट बन गए हैं। ऐसे हालात में तो प्रदेश की युवा पीढ़ी बर्बाद हो जाएगी। नशे की गर्त में फंसा युवा नशे की आपूर्ति के लिए गैरकानूनी रूप से धन कमाने की तरफ भी आकर्षित होगा। जिससे सभ्य समाज के ढांचे और शांति जिसके लिए प्रदेश को माना जाता रहा है उसका भी पत्तन होगा।

Drugs

महोदय प्रदेश का जिम्मेदार नागरिक होने के नाते मैं आपसे दरसखवात करता हूँ की प्रदेश में ऐसे कुकृत्यों में सलिम्पत अपराधियों को जल्द से जल्द सज़ा मिले इसके लिए अलग से एक फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाए जो इन मामलों में सुनवाई करे । समाज को पंगु और पीढ़ी को बर्बाद करने पर तुले ऐसे अपराधियों को कम समय के अंदर कड़ी सजा मिलेगी तो समाज में एक सन्देश जाएगा। कुछ दिन पहले मंडी जिला न्यायालय के फैसले को बदलते हुए माननीय उच्च न्यायालय की पीठ ने नशे के कारोबार में सलिम्पत आरोपियों को 15 से बीस साल की सज़ा का जो ऐतिहासिक फैसला सुनाया है उस फैसले से अपराधियों और इस गोरखधंदे से जुड़े लोगों के बीच अवश्य ऐसा ही सन्देश गया होगा।

मुझे उम्मीद है आप जनहित से जुड़े इस विषय पर अवश्य संज्ञान लेंगे।

भवदीय,
हिमाचल प्रदेश का नागरिक
आशीष नड्डा।

(लेखक आईआईटी दिल्ली में रिन्यूएबल एनर्जी की फील्ड में रिसर्च कर रहे हैं। मूलत: हिमाचल के बिलासपुर से हैं और प्रदेश से जुड़े मामलों पर लिखते रहते हैं। उनसे aashishnadda@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।)

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