भेड़चाल में बीपीएल मुक्त क्यों होने लगी हैं हिमाचल की पंचायतें?

राजेश वर्मा।। प्रदेश की कुछेक पंचायतों में आजकल एक नया ही ट्रेंड शुरू हो गया है- “बीपीएल मुक्त।”  समझ से परे है की एकाएक इन पंचायतों में ऐसी क्या क्रांति आ गई। क्या सभी पंचायत वासी गरीबी रेखा से ऊपर उठ गए? क्या इन पंचायतों में सभी पात्रों को नौकरियां मिल गई, क्या सभी को पक्का घर मिल गया? या फिर इन सभी के लिए “कौन बनेगा करोड़पति की स्कीम” लांच हो गई या कोई लाटरी निकल गई ?

हद तो तब है जब पंचायतों द्वारा अपनी मनमर्जी करने के आरोप लग रहे हैं। स्वयं सरकार व मंत्रियों तक को पंचायत सचिवों को फटकार लगानी पड़ रही है। कांगड़ा में तो डीसी ने जांच के आदेश दे दिए हैं। माना कोई पंचायत लोगों की सहमति से बीपीएल मुक्त होना भी चाहती है तो इसका मतलब ये नहीं की अन्य पंचायते भी पब्लिसिटी के लिए, एक दिन की खबर के लिए  बिना किसी ठोस आधार के बीपीएल मुक्त के प्रस्ताव पारित करती रहें।

ये मत भूलिए की भले ही प्रत्येक पंचायत में कुछेक अपात्र  लोग बीपीएल में दर्ज हों लेकिन अभी भी ऐसे लोगों की संख्या कम नहीं जिनकी पेट की भूख बीपीएल से मिलने वाला राशन ही शांत करता है। बहुतों को इसी बीपीएल से सिर पर छत नसीब हुई है तो कईयों को मिलना शेष है।

सरकार जरूरतमंदों के लिए योजनाओं पे योजनाएं चला रही है और यहां पंचायतें बीपीएल मुक्त से नाम चमका रही हैं। जो भी पंचायतें बीपीएल मुक्त हुई हैं एक बार उन पंचायतों में सरकार व विभाग द्वारा खुद  निरीक्षण करवाना चाहिए ताकि बीपीएल मुक्त का सच सामने आए। माना आज सभी के जीवन स्तर में सुधार हुआ है लेकिन इतना भी नहीं आया की रातों रात सरकारी योजनाओं व जन कल्याण की योजनाओं की जरूरत ही महसूस न हो। बहुत से परिवारों के पास कमाई का जरिया नहीं है।

जो कार्य प्राथमिकता के आधार पर होने चाहिए वह हो नहीं रहे। प्रदेश में बहुत सी पंचायतों में परिवार रजिस्ट्रर अभी तक आनलाईन तक नहीं हो पाए। परिवार रजिस्ट्रर में त्रुटियां होने की संभावना के चलते विभाग ने 31 जुलाई तक प्रदेश वासियों को संबंधित पंचायतों में जाकर अपने-अपने नाम व परिवार रजिस्ट्रर में हुई इन गलतियों को सुधारने का मौका दिया है। वहीं बहुत सी पंचायतों में पहुंच कर पता चल रहा की अभी तक परिवार रजिस्ट्रर आनलाइन ही नहीं हुए। क्या ऐसी कार्यप्रणाली से पंचायतें बीपीएल मुक्त का टैग लगाकर आगे बढ़ पाएंगी?

जो काम करने को है वह करने नहीं और जो करने नहीं उनको देखादेखी करने की होड़ मची है। पंचायत में भले एक ही व्यक्ति बीपीएल के लिए पात्र हो अन्य हजारों चाहे इस दायरे में न आते हो, तो इसका मतलब यह नहीं की आप हजारों के चक्कर में 1 को मिलने वाले लाभों से वंचित कर दें। यदि ऐसा होता है तो यह सरकार के उपर अपनी सरकार चलाने का चलन होगा, जोकि लोकतंत्र का मजाक है।

(स्वतंत्र लेखक राजेश वर्मा लम्बे समय से हिमाचल से जुड़े विषयों पर लिख रहे हैं। उनसे vermarajeshhctu @ gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है)

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