रिश्वत मांगते वक्त जॉइंट डायरेक्टर ने कहा था- मुख्यमंत्री वीरभद्र के वकील को देनी है फीस: रिपोर्ट्स

शिमला।। आय से अधिक संपत्ति मामले में कोर्ट से मिली सशर्त जमानत को जीत की तरह पेश करने वाले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही हैं। अमर उजाला अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक रिश्वत लेते फंसे जॉइंट डायरेक्टर की बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग से बड़ा खुलासा हुआ है। रिश्वत की डील के दौरान शिकायतकर्ता और आरोपी की बातचीत रिकॉर्ड हुई थी, उससे पता चलता है कि संयुक्त निदेशक को दिल्ली के एक वकील तक बतौर फीस के 35 लाख रुपये पहुंचाने थे, जो हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का केस लड़ रहा है।

अखबार ने अपनी रिपोर्ट में सीबीआई के सूत्रों के हवाले से लिखा है कि संयुक्त निदेशक ने इसके लिए वीरभद्र के निजी सचिव का फोन आने की बात भी कही थी और कहा कि वह चाहे तो उनकी बात भी उससे करा सकते हैं। गौरतलब है कि हिमाचल के जिला सोलन के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी में तैनात उद्योग विभाग के जॉइंट डायरेक्टर तिलकराज शर्मा और उसके एक सहयोगी को सीबीआई ने चंडीगढ़ में पांच लाख रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है।

सीबीआई ने तिलकराज को रंगे हाथों पकड़ा है।

अब इस मामले के तार मुख्यमंत्री कार्यालस से जुड़ते भी नजर आ रहे हैं। अखबार का कहना है कि सीबीआई की प्रारंभिक जांच में मामले के तार नई दिल्ली स्थित हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के कार्यालय से जुड़ते दिख रहे हैं और रिकॉर्डिंग में भी ये तथ्य सामने आए हैं। तिलकराज ने शिकायतकर्ता से कहा था कि पहली किश्त के पांच लाख रुपये मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के दिल्ली कार्यालय में तैनात निजी सचिव पीएस रघुवंशी को जाएंगे।

गौरतलब है कि इसी तरह के आरोप पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल ने भी लगाए थे और इनकी पुष्टि के लिए अपनी फेसबुक टाइमलाइन पर कुछ डॉक्युमेंट्स अपलोड किए थे जिन्हें सीबीआई की एफआईआर की कॉपी बताया जा रहा है। इस मामले के सामने आने के बाद बीजेपी आक्रामक मूड में आ गई है और वीरभद्र से इस्तीफा मांग रही है। अगर यह पुष्टि हो जाती है कि रिश्वत के पैसे को वाकई मुख्यमंत्री के वकील तर पहुंचाया जाना था तो उन दावों की भी पोल खुल जाएगी जिसमें सीएम अपने ऊपर लगे आरोपों को राजनीतिक साजिश करार देते हैं।

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