इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश एक छोटा सा राज्य है और यहां पर खबरों की कमी रहती है। ऐसे में छोटी सी उपलब्धि भी अखबारों में जगह पाती है। जैसे कि किसने किस क्लास में कौन सा स्थान प्राप्त किया, कौन विदेश जाकर भाषण दे आया, कौन किस जगह नौकरी लग गया। इसमें कोई बुराई भी नहीं क्योंकि इसी से बाकियों को प्रेरणा मिलती है। मगर इस तरह के मामलों को रिपोर्ट करने में कई बार अखबार और पोर्टल आदि गलती भी कर देते हैं। ऐसा ही एक मामला सामने आया है शिमला से जहां पर एक प्रतिष्ठित अखबार ने खबर तो छापी मगर रिपोर्ट में कई सारी तथ्यात्मक गलतियां हैं जिससे समाज में गलत संदेश जा सकता है।
इसमें हिमाचल प्रदेश की एक बेटी की उपलब्धियों का जिक्र किया है जिसने कथित तौर पर 13 साल की पढ़ाई सात साल में पूरी की। इस बेटी ने साढ़े पांच साल का बीएचएमएस कोर्स, तीन साल की बीए, दो साल की एमए और ढाई साल की एमबीए की है।यह उनकी उपलब्धि हो सकती है मगर जो सवाल उठ रहा है, वह है अखबार में लिखी गई बातों पर जिन्हें पब्लिश किए जाने से पहले क्रॉस चेक किया जाना चाहिए था।
1. अखबार लिखता है- ***** का नाम एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए भी नामांकित हुआ है। भारत सरकार ने ***** का नाम इंडिया बुक में दर्ज करने के साथ उन्हें मेडल और प्रशस्ति पत्र जारी किए हैं।
जबकि हकीकत यह है कि भारत सरकार का इंडिया बुक से कोई लेना देना नहीं है। इंडिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स एक प्राइवेट रेफरेंस बुक है जो हर साल भारत में छपती है और इसमें भारत में बनने वाले असामान्य रिकॉर्ड्स को जगह दी जाती है। दूसरी बात यह है कि इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से ही संबद्ध है।
2. अखबार में यह भी लिखा गया है- उनकी पढ़ाई के प्रति रुचि और कम उम्र में बड़ी उपलब्धि के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी की ओर से डाक्टरेट की डिग्री करने को आमंत्रित किया है।
हकीकत यह है कि वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी गैर-मान्यता प्राप्त संगठन है। इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स का भी इससे संबध है। यह कोई स्थापित यूनिवर्सिटी नहीं है जहां आप पढ़ाई करेक किसी तरह की डिग्री करें। बल्कि जो लोग किसी तरह का रिकॉर्ड बनाते हैं और उन्हें इंडिया बुक या ऐसी कुछ अन्य रिकॉर्ड बुकों में जगह मिलती है, वे इसकी वेबसाइट पर जाकर अप्लाई कर सकते हैं और फिर यह तथाकथित यूनिवर्सिटी आपको कुछ शुल्क लेकर डॉक्टरेट की मानद उपाधि दे देती है जिसकी कोई मान्यता नहीं है।
हर कोई नहीं दे सकता मानद डिग्री
बता दें कि अपने क्षेत्रों में बड़ा काम करने वाली हस्तियों को प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय मानद उपाधि देते हैं और उसकी वैल्यु भी होती है क्योंकि यह मानद डिग्री एक स्थापित और प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान की ओर से दी जा रही होती है। मगर वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी ऐसी स्थापित यूनिवर्सिटी नही है। इसने गुरमीत राम रहीम को भी डॉक्टरेट की डिग्री दी थी जिसे बाद में वापस ले लिया था। उस दौरान भी इसे लेकर काफी सवाल उठे थे।
उस समय टाइम्स ऑफ इंडिया ने लिखा था कि यह तथाकथित यूनिवर्सिटी, जिसका लंदन में हेडक्वॉर्टर है, दरअसल गैर-मान्यता प्राप्त है (रिपोर्ट पढ़ें)। उस समय अखबार ने वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी के पार्टनर और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के संपादक बिस्वरूप रॉय चौधरी से बात की थी तो उन्होंने कहा था, “यह यूनिवर्सिटी सिर्फ रिकॉर्ड बनाने और तोड़ने को कवर करती है जिसे पूरी दुनिया में अन्य कोई यूनिवर्सिटी कवर नहीं करती। रिकॉर्ड होल्डर्स को डिग्री तभी दी जाती है जब वे थीसिस में यह बताते हैं कि उन्होंने रिकॉर्ड कैसे बनाया।”
दैनिक ट्रिब्यून ने भी अपनी एक रिपोर्ट में इस तथाकथित यूनिवर्सिटी पर सवाल उठाए थे जिसमें जिक्र था कि कैसे यह ‘उचित मूल्य’ पर डिग्री देती है (रिपोर्ट पढ़ें)। इस रिपोर्ट में स्कॉलर्स के हवाले हरियाणा के फरीदाबाद स्थित ऑफिस से इस तरह मानद डिग्री दिए जाने को लेकर भी प्रशन किए गए थे।
बहरहाल, हिमाचल की बेटी ने जो हासिल किया हो वह उनकी अपनी उपलब्धि है। वह आगे भी तरक्की करें और पहले से अधिक रिकॉर्ड बनाएं, इसके लिए शुभकामनाएं। यह बुक या तथाकथित यूनिवर्सिटी क्या कर रही है, वह भी उसका अपना मामला है। मगर सजग न्यू मीडिया पोर्टल होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि लोगों को किसी भी तरह के फिजूलखर्च और निरर्थक बात से बचाएं।