महेंद्र नाथ सोफत: वरिष्ठ बीजेपी नेता की ‘बगावत’ और ‘घर वापसी’ की कहानी

शिमला।। एक समय भाजपा के वरिष्ठ नेता और शांता कुमार सरकार में प्रभावी मंत्री रहे महेंद्र नाथ सोफत ने भाजपा का दामन थाम लिया है। सोलन ज़िला के धर्मपुर क्षेत्र से सबंध रखने वाले महेंद्र नाथ सोफत जनसंघ समय से भाजपा से जुड़े रहे। शांता कुमार के खास माने जाने वाले सोफत की गिनती उस दौर के तेज़तर्रार युवा नेताओं में होती थी।

शांता कुमार के प्रदेश अध्यक्ष रहने के समय सोफत को प्रदेश महामंत्री का पद दिया गया। उसी कार्यकारिणी में सुरेश चंदेल महामंत्री संगठन तो प्रेम कुमार धूमल भी महामंत्री थे ।

धर्मपुर सीट अनुसूचित जाती के लिए रिज़र्व होने पर 1990 के चुनाव में सोफत को सोलन सीट से चुनाव लड़वाया गया। सोफत पहला चुनाव जीते और शांता कुमार सरकार में परिवहन मंत्री बने। परिवहन विभाग में निजी क्षेत्र का आगमन सोफ़त के समय ही हुआ।

1993 में भाजपा विरोधी लहर में सोफत भी चुनाव हारे । वहीं 1998 में सोफत को 25 वोट से हारा घोषित किया गया। सोफत ने काउंटिंग ग़लत किए जाने का आरोप लगाया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। कोर्ट ने सोफत के हक़ में फ़ैसला सुनाया और सोलन चुनाव को रद्द कर दिया ।

नाटकीय घटनाक्रम में भाजपा ने 2000 में सोलन उपचुनाव से सोफ़त का टिकट काट दिया और राजीव बिंदल को टिकट थमा दिया। सोफ़त ने मित्र मंडल के बैनर तले सोलन से अगला चुनाव 2003 में लड़ा परंतु हार गए।

सोफत तब से भाजपा से निष्कासित चल रहे थे मगर फिर उनकी पार्टी में वापसी हुई। 2012 में सोफ़त हिमाचल लोकहित पार्टी से जुड़े पर चुनावी राजनीति से दूर रहे। बाद में महेश्वर सिंह ने हिलोपा का भाजपा में विलय कर दिया पर सोफ़त इससे सहमत नहीं रहे।

पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ सोफत का 36 का आँकड़ा रहा जिसे समय-समय पर सोफत ने विभिन मंचों और मीडिया से बातचीत में भी ज़ाहिर किया।

जयराम ठाकुर जब सीएम बनने के बाद पहली बार सोलन आए थे तो सोफत को सभा में मंच पर बिठाया गया था। उसी समय से तय माना जा रहा था की सोफत भाजपा में वापस आ सकते हैं ।

शांता कुमार के कट्टर समर्थक सोफत के भाजपा में आने के पीछे मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर और पूर्व में भाजपा प्रदेश महामंत्री रहे महेंद्र पाण्डेय के प्रयासों को भी माना जा रहा है ।

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