कई वादे करने के बावजूद विकलांग युवक के लिए PWD से नहीं बन पाई 600 मीटर सड़क

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चंबा।।

आज आप जो पढ़ने जा रहे हैं, यह किसी एक युवक को हो रही समस्या की बात नहीं है, बात सरकारी महकमों की टरकाने वाली आदत से जुड़ी हुई है। तस्वीर में दिख रहे युवक का नाम अमित है। चंबा के सलूणी में ग्राम पंचायत ठाकरी मट्टी का एक गांव है- मकडोगा। इस गांव में अमित का घर है और उनके घर से मुख्य सड़क की दूरी करीब 600 मीटर है। प्रदेश में बहुत से गांव ऐसे हैं, जहां पर कई किलोमीटर दूर सड़क है और वे कटे हुए हैं। इस हिसाब से 600 मीटर की दूरी कुछ भी नहीं लगती, मगर अमित के लिए यही दूरी परेशानी का सबब बन गई है। दरअसल अमित जन्म से ही 60 फीसदी विकलांग हैं और चलने-फिरने में असमर्थ हैं। वह वीलचेयर की मदद से ही मूव कर पाते हैं। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्हें कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ता होगा।

सड़क से काफी ऊंचाई पर उनका घर है। कहीं भी आना-जाना हो, उनके लिए मुश्किल हो जाती है। गांव से सड़क तक आना और फिर सड़क से वापस घर तक जाना बहुत मुश्किल काम है। उपचार के लिए महीने में 2-3 बार अस्पताल भी जाना पड़ता है। ऐसे में उन्हें कई बार रिश्तेदारों के यहां महीनों रुकना पड़ता है तो कई बार पिता जी के साथ डलहौजी में। उनकी मांग है कि गांव को सड़क से जोड़ा जाए, ताकि वह भी सामान्य लोगों की तरह जीवनयापन कर पाएं।

अच्छी बात यह है कि उनके घर तक के रास्ते में जितने भी लोगों की जमीन पड़ती है, वे सड़क के लिए जमीन देने को तैयार हैं। पिछले कई सालों से अमित सड़क बनाने की मांग कर रहे हैं। करीब ढाई साल पहले उन्होंने आयुक्त विकलांगजन हिमाचल प्रदेश को अपनी समस्या के बारे में बताया था और आयुक्त ने जिला उपायुक्त और जिला कल्याण अधिकारी को इस ओर ध्यान देकर कदम उठाने के लिए कहा था।

Amit

लोक निर्माण विभाग ने गांव से नीचे दरोल नाला से सर्वेक्षण किया और पाया कि सिर्फ 600 मीटर सड़क बननी है। गांव के लोग निजी भूमि देने को भी तैयार है और इस बारे में लोक निर्माण विभाग को एफिडेविट भी दे चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक सड़क बन ही नहीं पाई।

अमित दोनों पैरों की विकलांगता के वावजूद खुद कई बार एडीएम, जिला उपायुक्त चम्बा, जिला कल्याण अधिकारी चम्बा, से मिल चुके हैं, मगर इन्हें आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। उन्होंने सांसद शांता कुमार को भी इस बारे पत्र लिखा, मगर जवाब आय़ा कि राज्य सरकार का मामला है और वह कुछ नहीं कर सकते। एक लेटर मुख्यमंत्री हिमाचल प्रदेश को लिखा गया और वहां से सख्त आदेश आने के बाद कागजी कार्रवाई तो हुई, मगर इसे टाल दिया गया।

आखिर में परिवार सहित अमित ने डलहौज़ी की विधायक से भेट की और उन्होंने लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत ही सड़क निर्माण करवाने का आशवासन दिया। इस तरह से लोक निर्माण विभाग हर बार दो-तीन महीनों में सड़क निर्माण कार्य शुरू करने का आशवासन देता रहा। इसके बाद भी कोई प्रभावी कार्यवाही होती नहीं दिखी। एक लेटर राष्ट्रपति और महामहिम राज्यपाल हिमाचल प्रदेश को लिखा। राष्ट्रपति भवन ने अपर मुख्य सचिव अनुपम कश्यप लोक निर्माण विभाग को लेटर भेजा व उचित कार्यवाही करने को लिखा। प्रधान सचिव राज्यपाल हिमाचल प्रदेश, राज भवन शिमला से भी अतिरिक्त मुख्य सचिव लोक निर्माण विभाग को आवश्यक कार्यवाही करने का लिखित निर्देश हुआ, मगर अब तक कुछ नहीं हुआ।

आज भी अमित को 600 मीटर सड़क के लिए जगह-जगह भटकाया जा रहा हैं। पिछले तीन साल से निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ। विकलांग अधिकार अधिनियम-1995 के अनुसार इस सड़क को तुरंत बनाया जना चाहिए था। वैसे भी यह सड़क एक व्यक्ति के लिए नहीं, पूरे गांव के लिए फायदेमंद होगी। आखिर में अमित ने फैसला लिया है कि एक महीने के अंदर काम शुरू नहीं हुआ तो परिवार के साथ जिला प्रशासन के दफ्तर के बाहर भूख हड़ताल पर बैठ जाएंगे।

(पाठक अजय राणा की इनपुट के साथ)