कंडक्टर भर्ती केस: पूर्व IAS अधिकारी समेत 5 डीएम मुश्किल में

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में 2003 में उस समय की कांग्रेस सरकार के दौरान हुई कंडक्टर भर्ती में पुलिस ने अनियमितताएं मिलने की बात कही है। एसआईटी के मुताबिक इस मामले में सेवानिवृत्त आईएएस समेत पांच डीएम के खिलाफ ठोस सबूत इकट्ठा कर लिए गए हैं।

क्या है मामला
24 अक्तूबर, 2003 को एचआरटीसी के निदेशक मंडल की बैठक में कंडक्टरों के 300 पद भरने को मंजूरी दी गई। इनमें सामान्य वर्ग के 166, ओबीसी के 54, एससी के 66 और एसटी के 14 पद भरे जाने थे। इन पदों के लिए 17 हजार 890 आवेदन आए। 20 सितंबर, 2004 को 300 की जगह 365 पद भरे। 12 मई, 2005 को 13 और पद भर दिए गए।

इसी बीच, भर्ती विवादों में आ गई। कोर्ट के आदेश पर शिमला पुलिस ने 14 मार्च, 2017 को तत्कालीन एमडी, डीएम समेत पांच लोगों को आरोपी बनाकर सदर थाने में एफआईआर दर्ज की। इसके बाद एसआईटी का गठन हुआ।

अतिरिक्त पदों पर चयन क्यों
विज्ञापन 300 पदों का था, लेकिन चयन 378 का कर लिया। अकेले धर्मशाला डिवीजन से ही करीब 147 कंडक्टर चयनित किए गए। इनमें भी तत्कालीन परिवहन मंत्री के विधानसभा क्षेत्र नगरोटा बगवां से 73 और सीएम के क्षेत्र रोहड़ू से 35 लोग चयन सूची में थे। भर्ती में डिवीजन स्तर पर मेरिट नहीं बनी। भर्ती दस्तावेजों में कटिंग और ओवर राइटिंग थी।

अब क्या हो रहा है
अब पुलिस का कहना है इस मामले में अभियुक्त अफसरों के हस्ताक्षरों के नमूनों की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट का इंतजार है। रिपोर्ट आते ही एसआईटी चार्जशीट तैयार कर कोर्ट में दाखिल करेगी। एसपी शिमला ओमापति जमवाल ने पत्रकारों को बताया है कि छानबीन के दौरान भर्ती में अनियमितताएं सामने आई हैं।

अभियुक्त परिवहन निगम अधिकारी की अग्रिम जमानत पर मंगलवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज की कोर्ट में सुनवाई हुई। दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अग्रिम जमानत पर सुनवाई को 11 जून की तिथि मुकर्रर की। इसी सुनवाई में अदालत फैसला ले सकती है कि आरोपी अधिकारी को नियमित जमानत दी जाए या उसे गिरफ्तार किया जाए।

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