‘हरियाणा की बसों जैसी क्यों नहीं हो सकतीं HRTC बसों की सीटें?’

इन हिमाचल डेस्क।। हिमाचल प्रदेश की सरकारी बसों को लेकर लोगों की पुरानी शिकायत रही है कि इनमें लेग रूम नहीं होता यानी टांगों के पास जगह कम होती है। सीटें इतनी पास-पास हैं ज्यादातर बसों में कि सामान्य कद-काठी वाले आदमी के भी घुटने भी अगली सीट से टच हो जाते हैं। पहाड़ों की सड़कें वैसे भी मोड़ वाली होती हैं इसलिए मोड़ आने पर इतना प्रेशर पड़ता है कि कभी घुटनों की कैप (कटोरी) भी फ्रैक्चर हो सकती है। छोटी दूरी की यात्रा करनी हो, तब तो काम चलाया जा सकता है, मगर लॉन्ग रूट की बसों में भी यही समस्या देखने को मिलती है। दिल्ली से हिमाचल तक आना-जाना सजा बन जाता है। वॉल्वो बसों को छोड़ दें तो अन्य बसों, टाटा एसी और सेमी डीलक्स तक में घुटनों की शामत आ जाती है। यही नहीं, इन सेमी डीलक्स बसों में अगर कोई रिक्लाइनर सीट की बैक पीछे कर दे तो वह पीछे वाले के पेट में धंस जाती है। कई बार तो यात्री इस चक्कर में एक-दूसरे से मारपीट पर उतारू हो जाते हैं।

लोग इतने समय से इन बसों को लेकर शिकायत कर रहे हैं मगर कोई भी ध्यान देता नहीं दिख रहा। सरकार चाहे बीजेपी की रही हो या कांग्रेस की, हर कोई इस बात को नजरअंदाज करता रहा है और यात्रियों को झेलना पड़ता है। यात्री अक्सर सवाल उठाते हैं कि HRTC की बसों के साथ ही ऐसी समस्या क्यों आती है, जबकि हरियाणा रोडवेज की बसों में न सिर्फ लेगरूम काफी होता है बल्कि वे कम्फर्टेबल भी होती हैं। फिर क्यों हिमाचल में ऐसी बसें नहीं चलाई जा सकतीं? इस बारे में सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहने वाले हिमाचल के परिवहन मंत्री से भी लोगों ने फेसबुक लाइव पर सवाल पूछे थे। उस दौरान मंत्री ने कहा था कि आगे जो भी बसें खरीदी जाएंगी, उनमें इस बात का ख्याल रखा जाएगा। मगर यात्रियों की शिकायत है कि पिछले दिनों HRTC के बेड़े में जो बसें नई जुड़ी हैं, इनके साथ भी यही समस्या है। अब लोगों का गुस्सा सोशल मीडिया पर जाहिर हो रहा है।

एक फेसबुक पेज ने 21 अप्रैल को पोस्ट डाली है, ‘हिमाचल की #HRTC बसों में लॉन्ग रूट पर सफर करना सच में मुस्किल है, बसें इतनी छोटी और सीट इतनी तंग बनाई गई हैं एसा लगता है जैसे डब्बे में पैक कर दिया हो 🙂 उपर से जहां ये बसें खाना खाने रूकती है वहाँ हमें बुरी तरह लुटा जाता है कोई सुनने वाला नहीं जो सवारी खाने के ज्यादा रेट पर बहस करती है उसको ढाबे वाले गुंडे पीटने पर उतारू हो जाते हैं जिन अधिकारियीं ने इनको बनाने का आईडिया दिया हो उनको हर महीने जरूर 10 घंटे बैठ के इन बसों में सफर के लिए बोला जाए और इन ढाबों पर इन अधिकारीयों को बासी और महंगा खाना खिलाया जाए घुटने छिल जाते हैं रिश्तेदार के यहाँ पहुँचने से पहले।’ (नीचे देखें पोस्ट)

2 दिनों के अंदर करीब डेड़ हजार लोग इसे लाइक कर चुके हैं और 600 के करीब शेयर कर चुके हैं। लोगों ने कॉमेंट करके अपने अनुभव साझा किए हैं और बताया है कि उन्हें भी समस्या होती है।

यह वाकई गंभीर समस्या है और इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिए। In Himachal का भी मानना है कि HRTC को चाहिए कि यात्राओं को सुरक्षित बनाने के साथ-साथ सुविधाजनक भी बनाना चाहिए। कई बार 2 दिन की छुट्टी बड़ी मुश्किल से मिलती है बाहर काम कर रहे या पढ़ रहे लोगों को घर जाने के लिए। अगर वे HRTC की बसों से जाते हैं तो कमर और टांगों की हालत दर्द के मारे खराब हो जाती है और सही से नींद भी नहीं आती। ऐसे में घर की यात्रा परेशानी का सबब बन जाती है।

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