कैदियों का वीडियो डालने पर सस्पेंड हुए कॉन्स्टेबल ने शुरू की भूख हड़ताल

इन हिमाचल डेस्क।। कुछ दिन पहले मॉडल सेंट्रल जेल कंडा (शिमला) में फेसबुक यूज कर रहे कैदियों का वीडियो डालने पर सस्पेंड हुए वॉर्डन भानु पराशर ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ‘इन हिमाचल’ को ‘समाचार फर्स्ट’ पोर्टल से एक वीडियो मिला है जिसमें भानु बता रहे हैं कि मैंने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। उनका कहना है कि मैंने सच के लिए आवाज उठाई है और कुछ गलत नहीं किया। उन्होंने यह मांग भी की है कि जेल के डॉक्युमेंट्स वगैरह की जांच सीबीआई से होनी चाहिए। गौरतलब है कि भानु ने न सिर्फ कैदियों का वीडियो डाला था, जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप भी लगाए थे। दूसरी तरफ जेल प्रशासन ने आरोपों का खंडन किया था और कहा था कि भानु परमार पहले से ही अनुशासनहीन है।

 

इस नए वीडियो में भानु का कहना है कि मेरी तबीयत खराब हो चुकी है। उन्होंने यह भी कहा कि पता नहीं मेरे जीते जी मेरी आवाज सुनी जाए या नहीं, मगर जांच की रिपोर्ट अगर मेरी मौत के बाद भी आती है औप मैं गलत पाया गया तो मुझे दोषी करार दिया जाए। देखें वीडियो:

जेल प्रशासन पर लगाए थे गंभीर आरोप
भानु पराशर ने आरोप लगाए थे कि कैदी जेल में कई स्तर पर सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। कैदी संवेदनशील जगहों पर पहुंच जाते हैं और अधिकारियों के कैबिन तक आ जाते हैं। इंटरनेट, मोबाइल फोन और दूसरे गैजट्स का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। यहां तक कि कैदी बिना परोल भी जेल से बाहर जाते हैं। जेल के बाहर इसके लिए कई गाड़ियां भी खड़ी रहती हैं। भानु का कहना है कि उसने इस मामले की शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से भी की मगर उसके बदले सस्पेंशन लेटर थमा दिया गया। भानु का कहना है कि इस दौरान मुझे प्रताड़ित भी किया गया और गालियां तक दी गईं। यहां तक फेसबुक पर पोस्ट्स लाइक करने वाले सहयोगी पुलिकर्मियों को भी तंग किया जा रहा है। भानु का कहना है कि इस जेल की बात नहीं है, अन्य जगहों पर भी वह इस तरह की खामियों को लेकर आवाज उठाते रहे हैं मगर बदले में कार्रवाई ही झेलनी पड़ी है। 5 महीने से तनख्वाह तक रोकी गई है।

जेल सुपरिटेंडेंट ने भानु को बताया था अुशासनहीन
‘समाचार फर्स्ट’ ने जेल सुपरिटेंडेंट शेर चंद से भी बात की। उनका कहना था कि सारे आरोप निराधार हैं और आरोप लगाने वाला पुलिसकर्मी खुद ही अनुशासनहीन है। उसके खिलाफ कई बार विभागीय कार्रवाई की जा चुकी है। शेर चंद ने कहा कि इस कर्मी ने नाम में दम कर रखा है। जब पोर्टल ने शेर चंद से पूछा कि क्या जेल मैनुअल में कैदियों को सोशल मीडिया यूज करने की इजाजत देने का प्रावधान है, तो शेर चंद ने इनकार किया मगर कहा कि वे सोशल मीडिया नहीं, बल्कि हमारी वेबसाइट पर काम कर रहे थे। जब पूछा गया कि वेबसाइट पर स्टाफ क्यों नहीं काम कर रहा तो शेर चंद ने कहा कि अच्छे कैदियों को प्रोत्साहित करने के लिए हम कई स्तर पर कार्य चलाते हैं।

वीडियो में खुली थी जेल प्रशासन के दावों की पोल
शेर चंद का यह दावा झूठ साबित होता दिखता है, क्योंकि साफ दिख रहा है कि वे कैदी फेसबुक पर एक बच्चे की फोटो को प्रोफाइल पिक्चर सेट कर रहे थे। वे दोनों अकेले ही थे और वीडियो बनाने वाले ने जब उनसे पूछा तो सकपका गए।

कैदी फेसबुक ही यूज कर रहे थे। यह देखें स्क्रीन पर क्या खुला है।

प्रश्न यह है कि दोनों कैदी अगर पढ़े लिखे थे और उनसे वेबसाइट के लिए भी सेवा ली जा रही थी, तो उस वक्त निगरानी के लिए कोई औऱ वहां मौजूद क्यों नहीं था? हैं तो आखिर कैदी ही, फिर क्या गारंटी की वे इंटरनेट से किसी साजिश को अंजाम नहीं देंगे या किसी अन्य आपराधिक गतिविधि की योजना नहीं बनाएंगे। प्रश्न यह भी है कि जब वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि फेसबुक इस्तेमाल हो रही थी, क्यों जेल सुपरिटेंडेंट झूठ बोल रहे हैं? प्रश्न यह भी है कि अगर आरोप लगाने वाला पुलिसकर्मी भानु पराशर अगर पहले भी अनुशासनहीता कर चुका है, तब इसका मतलब यह नहीं कि वीडियो में जो दिख रहा है कि वह झूठ है।

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