हिमाचल बोर्ड ने जांच में पाया- अध्यापकों ने ढंग से जांचे बिना ही दे दिए थे जीरो नंबर

शिमला।। 12वीं की वार्षिक परीक्षा में हमीरपुर के दरब्यार और पौहंज स्कूल की पूरी कक्षाएं ही गणित विषय में फेल कर दी गई थीं। बच्चों की ओर से आरटीआई से जानकारी लेने के बाद शिक्षा बोर्ड ने दोनों ही स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को पास घोषित कर दिया था। अब हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की जांच में पता चला है कि पेपर चेक करने वाले अध्यापकों ने बिना ढंग से पेपर चेक किए बिना ही बच्चों को जीरो नंबर दे दिए थे। बोर्ड ने गलत मूल्यांकन करने वाले अध्यापकों के नाम प्रदेश सरकार और शिक्षा निदेशालय को भेज दिए हैं। अब इन पर कार्रवाई निदेशालय को करनी होगी।

मामले की जांच के लिए बोर्ड के उच्च अधिकारियों की देखरेख में एक जांच कमिटी बना गई थी। पूरी जांच के बाद ही रिपोर्ट को बोर्ड सचिव और अध्यक्ष को सौंपा गया है। गौरतलब है कि स्कूल शिक्षा बोर्ड ने मार्च में दसवीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं ली थीं। 24 अप्रैल को 12वीं कक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया था। इसमें राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला दरब्यार और पौहंज की गणित विषय की पूरी क्लास फेल हो गई।

आलम यह रहा कि इनमें से एक छात्र (दरब्यार स्कूल का स्टूडेंट शिवम) ने जेईई की परीक्षा पास की थी। जब छात्रों को संदेह हुआ कि जीरो नंबर कैसे आ गए, उन्होंने आरटीआई के जरिए आवेदन किया। इसके बाद सभी 6 स्टूडेंट्स न सिर्फ पास हुए बल्कि फर्स्ट डिविजन में पास हुए। पौहंज स्कूल ने भी आरटीआई से आवेदन किया तो यहां भी पूरी क्लास पास हो गई।

दोषी अध्यापकों को मिलनी चाहिए कड़ी सजा
दरअसल सब एग्जामिनर (जिसका काम पेपर चेक करना होता है), हेड एग्जामिनर (जो रैंडमली यह चेक करता है कि सब एग्जामिनर्स नियमों के आधार पर मूल्यांकन कर रहे हैं या नहीं) और चेकिंग असिस्टेंट (जिसका काम रैंडमली यह चेक करना है कि सब एग्जामिनर दिए गए अंकों का जोड़ वगैरह सही है या नहीं) से यह बड़ी चूक हुई है। इस मामले में कार्रवाई करने की जिम्मेदारी अब शिक्षा निदेशालय की है। यह साफ लापरवाही का मामला है और बच्चों का मनोबल तोड़ने वाला काम भी है। इस मामले में कड़ी कार्रवाई किया जाना जरूरी है ताकि बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले अध्यापकों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है ताकि भविष्य में पेपर चेकिंग करने वाले अध्यापक लापरवाही बरतने से पहले सौ बार सोचें। इस तरह के मामले पहले भी देखने को मिलते रहे हैं और लापरवाही पाए जाने पर ऐसे अध्यापकों को ज्यादा से ज्यादा पेपर चेकिंग से रोक दिया जाता। मगर जानकारों का कहना है कि यह सजा काफी नहीं है।

 

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