हिमाचल: गुणात्मक शिक्षा के दावे, मगर हज़ारों स्कूलों में एक और दो शिक्षक

शिमला।। भले ही हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में गुणात्मक शिक्षा के दावे किए जाते हैं, लेकिन यह दावे हवा साबित हो रहे हैं। हिमाचल में कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जो मात्र एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। वहीं, कुछ स्कूल ऐसे भी हैं जहाँ पर एक भी शिक्षक नहीं है। इस बात का खुलासा यू डाइस-2020-21 (यूनिफाइड डिस्ट्रिक इनफार्मेशन सिस्टम फार एजुकेशन) की रिपोर्ट में हुआ है।

यू डाइस की रिपोर्ट में पता चला है कि हिमाचल प्रदेश के 1991 प्राइमरी और 66 मिडिल स्कूल एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। वहीं, आठ प्राइमरी और एक मिडिल स्कूल ऐसा है, जहां पर एक भी शिक्षक नहीं है। इन स्कूलों में एसएमसी के माध्यम से अस्थायी शिक्षक तैनात किया गया है। प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों की हालत सबसे ज़्यादा खराब है। इसके अलावा, दो माध्यमिक स्कूलों और एक वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में भी सिर्फ एक-एक शिक्षक सेवा दे रहा है।

रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश के 6479 प्राइमरी और 378 मिडिल स्कूलों में दो-दो शिक्षक हैं। इसी तरह 1573 प्राइमरी और 746 मिडिल स्कूलों में तीन-तीन शिक्षक ही नियुक्त हैं। 459 प्राइमरी स्कूलों में चार से छह शिक्षक हैं। प्रदेश में मात्र 26 प्राइमरी स्कूल ही ऐसे हैं, जहां पर सात से 10 शिक्षक हैं, जबकि दो स्कूल ऐसे हैं जहां पर 11 से 15 प्राइमरी शिक्षक कार्यरत हैं।

एसएसए की ओर से तैयार करवाई गई यह रिपोर्ट प्रदेश सरकार को भेज दी गई है। रिपोर्ट के अनुसार कांगड़ा और मंडी जिला के हालात बेहद खराब हैं। सबसे ज़्यादा स्कूल कांगड़ा जिला के ही हैं जो एक-एक शिक्षक के सहारे चल रहे हैं। कांगड़ा जिला में 371, मंडी में 361, शिमला में 250, सिरमौर में 215, चंबा में 189, सोलन में 148, बिलासपुर में 136, कुल्लू में 109, हमीरपुर में 103, ऊना में 79, लाहौल-स्पीति में 18 और किन्नौर में 12 स्कूल एक-एक शिक्षक के सहारे हैं।

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