शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में लॉकडाउन लगाने को लेकर अब जनता की राय मांगी है। इसके लिए हिमाचल सरकार के पोर्टल पर एक पोल शुरू किया है जिसमें लोगों से कंप्लीट लॉकडाउन और वीकेंड में लॉकडाउन लगाने को लेकर सवाल पूछा गया है। एक अगस्त तक दोनों सवालों पर लोग अपना वोट देकर राय रख सकते हैं।
बताया जा रहा है कि हिमाचल सरकार इस पोल के नतीजों के आधार पर फैसला लेगी कि लॉकलाउन लगाया जाएगा या नहीं। और अगर लगाया जाता है तो कंप्लीट लॉकडाउन होता या फिर आंशिक। सरकार इसे ‘प्रदेश हित में किसी फैसले को लेने के लिए जनता की सहभागिता के लिए अनूठी पहल’ करार दे रही है मगर इसे लेकर कुछ सवाल भी खड़े हो गए हैं।
राय देने वाले कौन हैं?
सवाल ये कि सरकार ख़ुद स्थिति का आकलन क्यों नहीं कर रही और अगर एक्सपर्ट्स की जगह जनता की राय क्यों ले रही है। क्या ऐसे संवेदनशील विषयों पर जनता की राय के आधार पर फ़ैसला लिया जाएगा, ख़ासकर तब जब वह ख़ुद नियमों का पालन नहीं कर रही। आधे से ज़्यादा लोग मास्क से नाक बाहर लटकाए घूम रहे हैं और गाँवों में टूर्नामेंटों का आयोजन हो रहा है।
यही लोग लॉकडाउन की वकालत भी कर रहे हैं जबकि आर्थिक गतिविधियाँ शुरू करने के लिए प्रदेश के बाग़वानों, किसानों, कॉन्ट्रैक्टरों और कारोबारियों ने कमर कस ली है और बाहर से प्रवासी मज़दूरों का लौटना भी शुरू हो गया है। इसके साथ ही बहुत से लोगों ने सीमित मेहमानों के साथ विवाह आदि अन्य कार्यक्रमों की भी तैयारियाँ शुरू की हैं क्योंकि कोरोना संकट का अंत होता नहीं दिख रहा।
अचानक लॉकडाउन लगाया तो होगा नुकसान
अब अगर सरकार बिना प्लैनिंग के अचानक फिर जन भावनाओं के आधार पर लॉकडाउन लगा देगी तो नुक़सान जनता का ही होगा। उस जनता का नुक़सान होगा, जिसके पास करने के लिए काम है। लॉकडाउन का सुझाव देने वाले उन लोगों का कोई नुक़सान नहीं होगा जो पहले भी ख़ाली बैठ इंटरनेट पर समय गंवाते थे और लॉकडाउन के दौरान भी यही कर रहे हैं।
सरकार ने एक अगस्त तक पोल रखा है। अगर वह उसके बाद लॉकडाउन लगाने पर विचार कर रही है तो अभी से सूचित करे ताकि लोग उस हिसाब से अपने तय कार्यक्रमों की योजना बनाएं। वरना पहले की तरह अचानक कंप्लीट लॉकडाउन लगा तो उसके झटके से सूबा कभी उबर नहीं पाएगा। ‘विकास के शिखर पर हिमाचल’ का जो लक्ष्य सरकार ने रखा है, वह भी पूरा नहीं होगा क्योंकि सड़कें बनाने, पक्की करने, इमारतें बनाने आदि का काम पहले से ही लटका हुआ है।
कंप्लीट लॉकडाउन से बेहतर होगा कि नियमों को सख़्त किया जाए और जो नियम तोड़े, उसपर जुर्माना हो। और इससे भी पहले नेता, ख़ासकर मंत्री और सांसद ख़ुद उदाहरण पेश करें जो लॉकडाउन के दौरान इधर-उधर घूमते रहे हैं, मजमा लगाते रहे हैं और वो भी सोशल डिस्टैंसिंग व मास्क के बिना।
मास्क न पहनने के लिए पहले खुद पर जुर्माना लगाएं हिमाचल के नेता