युवाओं को बैंकों के क़र्ज़ न लौटाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे उद्योग मंत्री?

शिमला।। हिमाचल प्रदेश सरकार ने ‘मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना’ को लेकर बैंकों से पूछा है कि जब सरकार ख़ुद गारंटी दे रही है तो युवाओं को क़र्ज़ देने में क्यों आनाकानी की जा रही है। बैंकों के प्रतिनिधियों के साथ राज्य सचिवालय में हुई बैठक में सरकार ने बैंकों से पूछा कि जब वह ख़ुद गारंटर बन रही है तो लोन देने में देरी करने का कोई मतलब नहीं है।

बैंकों से यह भी कहा गया है कि अगर किसी का लोन का आवेदन रद्द किया जाता है तो वजह क्या है, साफ़ लिखा जाना चाहिए; ऐसा नहीं होना चाहिए कि ‘औपचारिकताएँ पूरी नहीं हैं’ लिख दिया जाए। इस संबंध में उद्योग मंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर ने कहा, “सरकार इस बात की गारंटी दे चुकी है कि बेरोज़गारों को दिया गया क़र्ज़ नहीं डूबेगा और अगर यह फँसा तो सरकार इसका भुगतान करेगी।”

सवाल उठ रहा है कि उद्योग मंत्री क्या कहना चाह रहे हैं-
1. बैंक आँख मूँदकर किसी को भी लोन दे दें?
2. युवाओं को अगर लोन मिल जाए तो वापस करने की चिंता छोड़ दें?

क्या है यह योजना
मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना हिमाचल सरकार की स्कीम है जिसके तहत बेरोजगारों को 60 लाख रुपये तक का काम शुरू करने के लिए सब्सिडी देने की व्यवस्था है। इसके तहत युवा जेसीबी मशीन खरीदने, शटरिंग, टेंट हाऊस, इक्को टूरिज्म, एप्पल ग्रेडिंग मशीन, डायग्नोस्टिक सिस्टम, प्रिटिंग प्रेस सहित कई और कामों के लिए भी लोन और सब्सिडी ले सकते हैं।

ग़ौरतलब है कि कोई भी बैंक लोन देने से पहले देखता है कि सामने वाला इसे चुका पाने की स्थिति में होगा या नहीं। यह भी देखा जाता है कि जिस कार्य के लिए लोन लिया जा रहा है, उससे रिटर्न की संभावनाएँ कितनी हैं। ऐसे में बैंक फूंक-फूंककर कदम रखते हैं ताकि ऐसा न हो कि दिए गए लोन वापस मिल ही न पाएं। ऐसी स्थिति में बैंकों को घाटा उठाना पड़ता है और हालात बेहद ख़राब हों तो इससे बैंकों में पैसे जमा करवाने वाले लोग तक प्रभावित हो सकते हैं।

सरकार की ओर से प्रोत्साहन देना सही है मगर खुलेआम कहना और बैंकों पर दबाव बनाना कि आप लोन दो, गारंटी हम देंगे और लोन लेने वाला चुका न पाए तो सरकार चुकाएगी, बेहद ग़लत है। वह इसलिए क्योंकि सरकार खुले तौर पर संदेश दे रही है कि लोन लीजिए और चुकाने के बारे में भूल जाइए। वह भी तब, जब हाल ही में उसने एससी-एसटी वर्ग का पाँच साल पुराना 50 हज़ार रुपये तक का क़र्ज़ माफ़ किया है।

अगर हिमाचल प्रदेश संपन्न राज्य होता तो बात और होती। जो सरकार ख़ुद ही 50 हज़ार करोड़ के क़र्ज़ में है, वह कैसे गारंटी दे रही है? वह कहीं और से क़र्ज़ लेकर युवाओं का क़र्ज़ चुकाएगी? आज भले ही सरकार में बैठे कुछ लोग लोक लुभावन बातें कर रहे है मगर बैंड लोन्स का पूरा बोझ आख़िर में प्रदेश पर आएगा जो उसकी आर्थिक हालत को और ख़राब कर देगा।

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