कुल्लू प्रशासन की बनाई वेबसाइट का डोमेन खरीदकर किसी ने डाल दी अश्लील सामग्री

शिमला।। पिछली सरकार के दौरान कुल्लू प्रशासन की ओर से बनाई गई वेबसाइट गोकुल्लू डॉट कॉम का डोमेन खरीदकर किसी ने अरबी भाषा में अश्लील सामग्री डाल दी है। जब यूनुस खान कुल्लू के डीसी थे, तब भारी भरकम रकम खर्च कर इस वेबसाइट को पर्यटकों के लिए फायदेमंद बताते हुए जगह जगह इसका खूब प्रचार किया था। 2017 में तत्कालीन सीएम वीरभद्र सिंह ने इसे लॉन्च किया था। मगर प्रशासन ने इसका डोमेन रिन्यू नहीं करवाया, किसी और ने खरीद लिया और अब अश्लील सामग्री डाल दी।

टाइम्स ऑफ इंडिया के पत्रकार सुरेश शर्मा ने इस सम्बंध में अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर पोस्ट डाल कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने बताया है कि कैसे इसका झूठा प्रचार किया गया था और अब सारा पैसा बर्बाद हो गया है। उन्होंने जो लिखा है, आगे पढ़ें-

“किसी को पॉर्न (porn) वेबसाइट देखनी है? कुल्लू प्रशासन की तीन साल पहले बनाई वेबसाइट http://gokullu.com पर क्लिक करो (18 + only)…

ये वो “झूठी” वेबसाइट है जिसके लिए कुल्लू प्रशासन को कई राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं। दावा किया था की इस वेबसाइट पर कुल्लू आने वाले पर्यटक (खासकर ट्रैकर) अपना रेजिस्ट्रेशन करें (मोबाइल नंबर डालकर) तो अगर वो रास्ता भटक जाते हैं/गुम हो जाते हैं तो कुल्लू प्रशासन उन को ढून्ढ निकालेगा। बकवास.

मैंने लॉन्चिंग के दिन ही प्रशासन (कुछ साल पहले) को चैलेन्ज किया था कि मैंने अपनी डिटेल डाल दी हैं। ज़रा मेरी लोकेशन ट्रेस करके बताना तो। कहाँ से करते। मैंने अपनी जिओलोकेशन और नेटवर्क रीच ऑफ़ कर रखी थी।

मैंने कई प्रश्न पूछे थे जैसे कि जब कोई ट्रेकर गायब होता है तो दो चार दिन में अक्सर उसका फ़ोन डेड (बैटरी ड्रेन) हो जाता है। और अगर डेड नहीं भी हुआ तो उसके फोन में नेटवर्क नहीं होगा।

जिओलोकेशन या नेटवर्क लोकेशन बेस्ड ये वेबसाइट गायब होने वाले की लास्ट लोकेशन ही बताएगी जबकि बन्दा शायद कई किलोमीटर आगे या इधर उधर निकल चुका होगा। अगर उसके फोन में नेटवर्क होगा तो इस एप्लिकेशन की ज़रूरत उसे नहीं पड़ेगी, वो खुद फोन कर सकता है या अपनी लोकेशन भेज सकता है। इस बेकार वेबसाइट को पॉलिटिकल लेवल पर इतना प्रोमोट किया कि ईनाम मिल गया।

मोबाइल (नंबर) से किसी की लोकेशन पता करने के आमतौर पर 2 तरीके होते हैं। एक तो होता है जीपीएस लोकेशन पता लगाना जो बहुत आसान है। लेकिन इसके लिए फ़ोन से जीपीएस सिग्नल एमिट होना ज़रूरी है। दूसरी टेक्निक है मोबाइल में इस्तेमाल होने वाली सिम और आसपास के टावर्स से ट्रांसमिट/रिसीव होने वाली मोबाइल रेडियो वेब्स के इंटरसेक्शन पॉइंट का पता लगाना, मतलब multilateration of mobile radio signals between phone and mobile towers.

इस तकनीक का इस्तेमाल पुलिस करती है। gokullu.com इन दोनों टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ट्रेकिंग में गायब होने वाले केस में कर ही नहीं सकता।

अब wordpress पर बनी ये below एवरेज सिक्योरिटी वाली इस वेबसाइट को प्रशासन ने renew नहीं किया और किसी दूसरे ने gokullu.com खरीद लिया है। ऐसा नहीं है कि प्रशासन के पास इसको रिन्यू करने को दो चार हज़ार रुपए नहीं थे, बात ये है कि कमर्शियल एक्सटेंशन (.com) वाली इस बेवसाइट का सारा क्रेडिट कोई और ले गया था, इसलिए शायद आगे किसी को इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं थी।

अरबी भाषा में एडल्ट कंटेंट डाल दिया है इस में. इंग्लिश में ट्रांसलेट करके पढोगे तो शर्म आएगी। इस एडल्ट कंटेंट से कुल्लू प्रशासन का कोई लेना देना नहीं है क्यूंकि ये इसके नए मालिक ने डाला है लेकिन मुद्दा ये है कि राष्ट्रीय पुरस्कार लेने वाली और दूसरों की जान बचाने का दावा करने वाली इस वेबसाइट की अपनी जान कई दिनों से आफत में पड़ी हुई है तो अब इसको कौन बचाएगा।
चूंकि अपनी फ्रस्ट्रेशन निकालने और इन लोगों को बेइज़्ज़त करने के बदले ये लोग मुझे परेशान ज़रूर कर सकते हैं इसलिए कुछ स्क्रीनशॉट्स और डंप डाटा डाउनलोड कर दिया है।

यहाँ कुल्लू प्रशासन से मेरा मतलब कोई एक अफसर नहीं बल्कि बहुत सारे अफसर है जो कुल्लू में ईमानदार और कमरतोड़ मेहनत करके जिले के विकास के लिए उत्तरदाई हैं ना कि लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए हमने इन को दफ्तरों में सजा रखा है। उस वक्त भी कुल्लू में एक महनती अफसर था जिसको हमेशा इग्नोर किया जाता रहा। ये पोस्ट पढ़ कर वो भाई खुश बहुत होगा।”

SHARE